बंधनों की डोर काटना

By: सद्गुरु  जग्गी वासुदेव Sep 5th, 2020 12:20 am

अगर आप जागरूकता के साथ शामिल हों तो ये बहुत खुशी से भरा हुआ रहेगा। आज हम वैज्ञानिक तरीके से यह साबित कर सकते हैं कि आपके शरीर का हर एक परमाणु सारे ब्रह्मांड के साथ बात करता है। आप उस अद्भुत घटना से मुंह फेरने की कोशिश कर रहे हैं जो आपके जीवन का मूल आधार है और सृष्टि की रचना का भी…

आप बंधनों की डोर क्यों काटना चाहते हैं? इसे काटने की कोई जरूरत नहीं है। किसी चीज के साथ भागीदारी होने और उसमें उलझने में अंतर है। जीवन को जानने का एक ही तरीका है भागीदारी, पूरी तरह से शामिल होना। ये सिर्फ  आध्यात्मिकता की बात नहीं है। अगर आप किसी चीज में पूरी तरह से शामिल नहीं होते, उससे पूरी तरह से नहीं जुड़ते, तो क्या आप अपने जीवन में कुछ भी जान पाएंगे? लोगों में जो कमी है, वह है भागीदारी। जब भागीदारी भेदभाव कर के की जाती है तो वह उलझन बन जाती है, आप फंस जाते हैं। तो अपनी भागीदारी को बिना किसी सोच विचार के, संपूर्ण होने दीजिए। जिस जमीन पर आप चलते हैं, जो खाना आप खाते हैं, जो पानी आप पीते हैं, जिस हवा में आप सांस लेते हैं और वह जगह जहां आप हैं, देखिए क्या आप हर चीज के साथ पूरी तरह से शामिल हो सकते हैं? वैसे तो आप शामिल हैं ही, पर बिना जागरूकता के, अचेतन ढंग से।

जिस हवा में आप सांस ले रहे हैं, उसके साथ अगर आप पूरी तरह से शामिल नहीं हो, तो आप मर जाएंगे। आपको बस इस बात की जागरूकता रखनी है कि जीवन सिर्फ  इसी ढंग से होता है। आपको बस ये देखना है कि आप जागरूक होकर भागीदार रहें।  अगर आप बिना जागरूकता के शामिल होंगे तो ये एक बड़ा बोझ लगेगा। अगर आप जागरूकता के साथ शामिल हों, तो ये बहुत खुशी से भरा हुआ रहेगा। आज हम वैज्ञानिक तरीके से यह साबित कर सकते हैं कि आपके शरीर का हर एक परमाणु सारे ब्रह्मांड के साथ बात करता है। आप उस अद्भुत घटना से मुंह फेरने की कोशिश कर रहे हैं, जो आपके जीवन का मूल आधार है और सृष्टि की रचना का भी। आपकी तकलीफ  इस वजह से नहीं है कि आप अपने परिवार के साथ बहुत ज्यादा जुड़े हुए हैं, बल्कि इस कारण से होती है कि आप उस अद्भुत घटना की ओर ध्यान नहीं देते। क्या आज सूरज सही समय पर निकला था? हां! धरती अपने सही समय पर चक्कर लगा रही है, फूल खिल रहे हैं। ब्रह्मांड की अनगिनत गैलेक्सियों में सब कुछ एकदम सही ढंग से हो रहा है। पर आपके दिमाग में एक खराब विचार आ जाता है और आपका दिन खराब हो जाता है। समस्या ये है कि आप ने यह समझ ही खो दी है कि आप कौन हैं?

आप अपने स्वयं के बारे में बहुत ज्यादा ही सोचते हैं। अभी तो जीवन के बारे में आपका पूरा अनुभव बस आपके भौतिक रूप तक सीमित है। पर एक भौतिक आकार के रूप में आप इस ब्रह्मांड में क्या हैं? अपने घर में आप का कुछ महत्त्व हो सकता है, अपनी गली में कुछ ज्यादा नहीं, शहर में कुछ भी नहीं और इस ब्रह्मांड में तो आप धूल के एक कण के बराबर भी नहीं हैं। कृपया अपनी समझ ठीक कीजिए। एक भौतिक अस्तित्व के रूप में आप कुछ भी नहीं हैं। अगर आप ये समझ लेंगे, तो आप हर चीज को बहुत आश्चर्य और भागीदारी के साथ देखेंगे। फिर एक छोटे से विचार, एक छोटी सी भावना का कोई महत्त्व नहीं होगा क्योंकि ये चिंता की बात ही नहीं है। यह आप खुद ही बना रहे हैं। आपके मन में जो कुछ है, वो आप ही बना रहे हैं। आपकी समस्या ये नहीं है कि जिंदगी उस तरह नहीं चल रही जैसी आप चाहते हैं। आपकी समस्या ये है कि आपका सपना वैसा नहीं है जैसा आप चाहते हैं। जिंदगी में जरूरी नहीं जो आप सोचते हैं, वही सही हो।


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