भैया-भाभी संग मामा के घर सूरजपुर पहुंचे क्रिकेटर सुरेश रैना

By: निजी संवाददाता-ठाकुरद्वारा Sep 19th, 2020 8:10 am

पठानकोट में मामा-मामी और पुराने दोस्तों के साथ बिताया समय, मामी के हाथ से बनी पनीर की सब्जी खाकर ताजा की यादें

ठाकुरद्वारा-पठानकोट पहुंचे सुरेश रैना अपने दो दिवसीय दौरे के बाद गाजियाबाद लौट गए। इस दौरान रैना ने अपनी बुआ, तीन मामा और दो मौसियों के घरों में जाकर उनसे मुलाकात की और उनका हालचाल जाना। रैना का 22 साल में पठानकोट का दूसरा दौरा है। आज से पांच साल पहले भी वे इंदौरा के गांव सूरजपुर में अपने मामा के घर आए थे।

 तब वे शादी पर न बुलाए जाने से नाराज मामा-मामी को मनाने पहुंचे थे। बुधवार शाम पहले वे पठानकोट के कस्बा सुजानपुर स्थित घासमंडी में अपनी मौसी के यहां गए और रात को अपने भाई दिनेश रैना और भाभी नेहा रैना के साथ इंदौरा के गांव सूरजपुर निवासी अपने मामा शशिपाल के घर पहुंचे।

रैना के आने की सूचना मिलते ही सूरजपुर ओर उसके आसपास के गांवों के उसके बचपन के साथी उससे मिलने के लिए उसके मामा के घर पहुंचे। उन्होंने रात का खाना भी सूरजपुर में ही खाया। इस दौरान रैना ने पांव छूकर परिवार के बड़े बुजुर्गों का आर्शीवाद लिया और फिर मामी के हाथ की बनी पनीर की सब्जी खाई। परिवार की मानें तो रैना को मामी के हाथ की बनी पनीर की सब्जी बेहद पसंद है। वहीं, रैना ने सूरजपुर से संबंधित अपने बचपन की यादों को ताजा किया। उसके बाद रैना नेहरू नगर निवासी अपने मामा स्वर्ण सिंह के यहां भी गए।

छुट्टियां बिताने आते थे रैना

मामा के पारिवारिक सदस्यों ने बताया कि रैना छुट्टियां बिताने सूरजपुर आते थे और यहां अपने से बड़ी उम्र के युवकों के साथ क्रिकेट खेलते थे। देर रात रैना ने रिश्तेदारों के साथ बैठकर पुरानी यादों को ताजा किया। रैना पांच साल पहले भी सूरजपुर पहुंचे थे। तब उनके साथ मां प्रवेश रैना और पिता त्रिलोक के अलावा पत्नी प्रियंका भी थी। बता दें, रैना का परिवार पहले पठानकोट के गांव जसवाली में रहता था। पिता के तबादले के बाद परिवार गाजियाबाद शिफ्ट हो गया। रैना की प्राथमिक शिक्षा यहीं पर हुई।

कोरोना के कारण छोड़ा आईपीएल

रैना ने बातचीत के दौरान बताया कि आईपीएल छोड़ने के पीछे दो बड़े कारण थे। उन्होंने बताया कि पहला यह कि पूरा विश्व कोरोना की चपेट में है। कहा कि उनके दो बच्चे है, जो कि काफी छोटे हैं। इसके अलावा घर पर माता-पिता भी हैं। वह महामारी के दौर में उन्हें अकेला नहीं छोड़ सकते थे। दूसरा कारण यह कि उनकी बुआ के परिवार के साथ जो भी हुआ। उससे माता-पिता काफी परेशान थे।


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