कोर्ट में हाजिर हों मुख्य सचिव-स्वास्थ्य सचिव, मेडिकल स्टाफ की कमी के मुद्दे पर आदेश

By: विधि संवाददाता -  शिमला Sep 26th, 2020 9:00 am

स्वास्थ्य केंद्रों में स्टाफ की कमी के मुद्दे पर उच्च न्यायालय ने जारी किए आदेश

प्रदेश के स्वास्थ्य केंद्रों में मेडिकल स्टाफ की कमी के मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए प्रदेश उच्च न्यायालय ने राज्य के मुख्य सचिव और स्वास्थ्य सचिव को शनिवार को अदालत में उपस्थित रहने का निर्देश दिया है। हालांकि, शनिवार को अदालत के लिए एक गैर कार्य दिवस है, लेकिन विशेष रूप से इस मामले के लिए मुख्य न्यायाधीश लिंगप्पा नारायण स्वामी व न्यायाधीश अनूप चिटकारा की खंडपीठ ने यह आदेश पारित किए। जनहित में दायर किए गए मामले में मेडिकल स्टाफ की कमी के मुद्दे पर प्रकाश डाला गया है। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से उठाए गए कदमों के बारे में अवगत करवाया गया।

 कोर्ट को बताया गया कि स्वास्थ्य केंद्रों सहित कोर्ट में सूची दायर कर दी है।  हालांकि प्रार्थी की ओर से कहा गया कि स्वास्थ्य केंद्रों में डाक्टरों और चिकित्सा कर्मचारियों की भारी कमी है। राज्य द्वारा उठाए गए कदम पर्याप्त नहीं हैं। भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य मानकों के दिशा-निर्देशों के अनुसार भी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में कर्मचारियों की कमी है।  अदालत ने दविंद्र शर्मा द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर ये आदेश पारित किए। इसमें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र घणाहट्टी (शिमला) में मेडिकल स्टाफ की कमी को उजागर किया गया है। जनहित में दायर याचिका का विस्तार करते हुए कोर्ट ने राज्य के पीएचसी में डाक्टरों और कर्मचारियों की उपलब्धता के बारे में जानकारी मांगी थी।

महिला आत्महत्या केस में क्या कार्रवाई की

शिमला – प्रदेश हाई कोर्ट ने जिला शिमला के रिपन अस्पताल में कोरोना संक्रमित महिला आत्महत्या मामले में संज्ञान ले लिया है। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि उन्होंने इस मामले में अभी तक क्या कार्रवाई की है। मुख्य न्यायाधीश लिंगप्पा नारायण स्वामी  व न्यायाधीश अनूप चिटकारा की खंडपीठ ने कोर्ट के नाम लिखे पत्र पर संज्ञान लेते हुए उपरोक्त आदेश दिए। गौरतलब है कि मंगलवार को चौपाल की रहने वाली 54 वर्षीय महिला ने कोरोना संक्रमित महिला ने शिमला के रिपन अस्पताल में आत्महत्या कर ली थी। कोर्ट ने मामले पर सुनवाई के दौरान कहा कि सरकारी अस्पताल में करोना संक्रमित मरीज को आत्महत्या जैसे कदम उठाना चिंतनीय है। अब मामले पर सुनवाई अगले सप्ताह होगी।


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