सुप्रीम कोर्ट में एसएमसी शिक्षकों की सुनवाई आठ अक्तूबर तक टली
हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ की गई है अपील
हिमाचल सरकार ने अपनी बात रखने की मांगी इजाजत
सुप्रीम कोर्ट में एसएमसी शिक्षकों द्वारा हाई कोर्ट के आदेशों को चुनौती देने वाली विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई आठ अक्तूबर के लिए टल गई है। सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से बताया गया कि वह भी हाई कोर्ट के फैसले को एसएलपी के माध्यम से चुनौती देना चाहती है। सरकार के इस वक्तव्य के पश्चात सुप्रीम कोर्ट ने यह मामला आठ अक्तूबर को कोर्ट के समक्ष रखने के आदेश दिए।
उल्लेखनीय है हाई कोर्ट ने इन अध्यापकों की नियुक्तियों को रद्द करने का फैसला सुनाया था। मामले के अनुसार प्रार्थी कुलदीप कुमार व अन्यों ने सरकार द्वारा स्टॉप गैप अरेंजमेंट के नाम पर एसएमसी भर्तियां को प्रदेश हाई कोर्ट में यह कहते हुए चुनौती दी थी कि एसएमसी शिक्षकों की नियुक्ति गैरकानूनी है। यह सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की सरासर अवहेलना है। प्रार्थियों की यह भी दलील थी कि एसएमसी शिक्षकों की भर्तियां भर्ती एवं पदोन्नति नियमों के विपरीत हैं। इससे सभी को समान अवसर जैसे मौलिक अधिकार का उल्लंघन हो रहा है। दूसरी तरफ एसएमसी अध्यापकों कहना था कि वे वर्ष 2012 से हिमाचल के अति दुर्गम क्षेत्रों में बिना किसी रुकावट के अपनी सेवाएं दे रहे हैं। उनका चयन प्रदेश सरकार द्वारा नियमों के तहत किया गया है।
कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया था कि राज्य सरकार छह महीने के भीतर नियमों के तहत अध्यापकों की नियुक्तियां करे। इन आदेशों को एसएमसी पीरियड बेस अध्यापकों के संघ व कुछ एसएमसी अध्यापकों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। उधर, हाई कोर्ट में भी इसी मामले को लेकर सरकार के आवेदन पर सुनवाई हुई। सरकार ने हाई कोर्ट से फैसले पर अमल करने के लिए अधिकतम एक वर्ष का समय मांगा। सरकार का कहना है कि एसएमसी अध्यापक दुर्गम क्षेत्रों में कोरोना काल के दौरान भी निर्बाधित सेवाएं दे रहे हैं, इसलिए मौजूदा कोरोना संकट को देखते हुए इनकी सेवाएं फिलहाल जरूरी हैं। सुनवाई के दौरान इन नियुक्तियों को चुनौती देने वाले प्रार्थियों की ओर से बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट में भी गुरुवार को इस मामले को लेकर सुनवाई हो रही है। इस कारण कोर्ट ने सरकार के आवेदन पर सुनवाई शुक्रवार के लिए टाल दी। शुक्रवार को फिर से हाई कोर्ट में सरकार के आवेदन पर सुनवाई होगी।
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