प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी में नेगेटिव मरीज को बता दिया पॉजिटिव, विभाग भी हैरान

By: स्टाफ रिपोर्टर - शिमला Sep 23rd, 2020 9:09 am

दो दिन तक कोविड मरीजों के साथ रहने के बाद युवक को पता चली सच्चाई, विभाग भी हैरान

प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी की एक बड़ी लापरवाही सामने आई है। यहां पर एक नेगेटिव मरीज को पॉजिटिव बता कर उसे मशोबरा शिफ्ट कर दिया गया है। यहां पर उसे दो दिन तक कोविड-19 पॉजिटिव मरीजों के साथ भी रखा गया, लेकिन जब बाद में युवक ने अपनी रिपोर्ट की जांच करवाई तो उसे मालूम हुआ कि वह नेगेटिव है। युवक का कहना है कि उसे यहां पर रखे हुए पांच दिन हो चुके हैं।

सोमवार को भी उसका रैपिड टेस्ट हुआ था, जो कि नेगेटिव आया था। जानकारी के अनुसार आईजीएमसी के जेनेरिक मेडिसिन स्टोर में काम करने वाले हेमंत का कहना है कि वह अपनी बहन को छोड़ने के लिए कश्मीर गया हुआ था। उसने कश्मीर जाने से पहले और वहां से हिमाचल आने से पहले भी कोविड का टेस्ट करवाया था, जो कि नेगेटिव आया था, लेकिन उसके बावजूद वह नौ सिंतबर को हिमाचल पहुंचने के बाद घर में आइसोलेट हो गया था। ड्यूटी ज्वाइन करने से पहले उन्हें दोबारा से कोविड का टेस्ट करवाने के लिए कहा गया। 17 सितंबर को उन्होंने अपना कोविड का टेस्ट आईजीएमसी में करवाया।

18 को उनकी रिपोर्ट को पॉजिटिव बताया गया, जिसके चलते उन्हें 18 रात को ही मशोबरा शिफ्ट होने को कहा गया। हेमंत ने बताया कि यहां पर जब वह दो दिन तक रहा तो उसे किसी भी तरह का लक्षण नहीं दिखाई दिया। इसके बाद उसने अपनी कोविड की रिपोर्ट किसी तरह से निकलवाई, जिसमें वह नेगेटिव आया था। हेमंत ने बताया कि उनके नाम के आगे हेमंत-25 लिखा था, जा कि नेगेटिव थी, जबकि एक और हेमंत था, जिसकी उम्र 26 थी, वह पॉजिटिव था। ऐसे में हेमंत-26 समझ कर उसे ही पॉजिटिव बता दिया गया और उसे मशोबरा शिफ्ट कर दिया गया। पीडि़त का कहना है कि पांच दिन से वह यहीं पर है और उसे अभी तक किसी तरह का लक्षण नहीं है। सीएमओ शिमला सुरेखा  चोपड़ा का कहना है कि हो सकता है कि युवक पहले पॉजिटिव आया हो और बाद में नेगेटिव आ गया हो। फिर भी इस संबंध में रिपोर्ट मंगवाई जाएगी, जिसके बाद ही वह कुछ कहा जा सकता है।

युवक बोला, सभी परिजन भी घर में आइसोलेट

युवक का कहना है कि उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद उनके घर में भी सभी को आइसोलेट किया गया है। पड़ोसी भी उन्हें घृणा की नजर से देख रहे हैं। वे ढली के रहने वाले हैं। नगर निगम की टीम भी उनके घर पहुंच कर घर को सेनेटाइज कर चुकी है, लेकिन जिस तरह से उनकी रिपोर्ट को बदला गया है, उससे वे भी मानसिक रूप से परेशान हुए हैं। इस बारे में उन्होंने जब अस्पताल प्रशासन से बात की तो उन्होंने कहा कि गलती से रिपोर्ट इधर-उधर हो गई थी।


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