आईआईआईटी विधियां संशोधन विधेयक पास, कराधान विधेयक भी पारित

By: एजेंसियां — नई दिल्ली Sep 22nd, 2020 3:27 pm

नई दिल्ली — राज्यसभा ने आज विपक्षी सदस्यों की गैर मौजूदगी में भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईआईटी) विधियां संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी। इसके तहत सार्वजनिक निजी साझेदारी के तहत चल रहे पांच आईआईआईटी संस्थानों को राष्ट्रीय महत्व का दर्जा देने का प्रावधान है। मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने इस विधेयक को कल सदन में पेश किया था, लेकिन कृषि क्षेत्र से जुड़े दो विधेयकों का विरोध कर रहे विपक्ष के आठ सदस्यों के निलंबन के बावजूद सदन में मौजूद रहे, जिसके कारण कार्यवाही स्थगित कर दी गई थी। सदन में आज इस विधेयक पर चर्चा हुई।

विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों के अनुसार, उक्त अधिनियम सार्वजनिक निजी साझेदारी के तहत बीस भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान स्थापित करने के लिये अधिनियमित किया गया है। इसके तहत पहले राष्ट्रीय महत्त्व की संस्थाओं के रूप में 15 ऐसे संस्थान निगमित किए गए थे।

सरकार ने पांच और संस्थानों को इनमें सम्मिलित करने का निश्चय किया है। ये सोसायटी के रूप में भागलपुर (बिहार), सूरत (गुजरात), रायचुर (कर्नाटक), भोपाल (मध्य प्रदेश) और अगरतला (त्रिपुरा) में स्थापित किये जा चुके हैं। उक्त अधिनियम के तहत ये राष्ट्रीय महत्ता के संस्थान हैं।

चर्चा का जबाव देते हुए श्री निशंक ने इसमें पूर्वाेत्तर को शीर्ष प्राथमिकता दी गई है। उन्होंने कहा कि अब आईआईआईटी में दक्षेस देशों के एक हजार से अधिक छात्र शोध करने के लिए आ रहे हैं। श्री निशंक ने कहा कि पूरी दुनिया में भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी पेशेवरों की धूम है।

इससे पहले विपक्ष की गैरमौजूदगी में हुई चर्चा में वाईएसआर कांग्रेस के विजय साई रेड्डी, जनता दल यूनाइटेड के रामचंद्र प्रसाद सिंह और टीडीपी के कनकमेदला रवीन्द्र कुमार आदि सदस्यों ने भाग लिया।

कंपनियों के कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) की राशि पीएम केयर्स फंड में देने और इसमें योगदान को आयकर से छूट का प्रावधान करने वाले कराधान एवं अन्य विधि (कतिपय उपबंधों का शिथिलीकरण और संशोधन) विधेयक, 2020 को मंगलवार को राज्यसभा ने ध्वनिमत से पारित कर लोकसभा को लौटा दिया।

यह विधेयक कराधान एवं अन्य विधि (कतिपय उपबंधों में छूट) अध्यादेश, 2020 के स्थान पर लाया गया है। सदन में विधेयक पर संक्षिप्त चर्चा का उत्तर देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि कोविड-19 के मद्देनजर कराधान और रिटर्न आदि से जुड़ी कई तारीखों को आगे बढ़ाने के लिए अध्यादेश के प्रावधानों को इस विधेयक में शामिल किया गया है।

पीएम केयर्स फंड में दी जाने वाली राशि को आयकर से छूट और सीएसआर संबंधी छूट के साथ ही आयकर रिटर्न के फेसलेस आकलन की भी इस विधेयक के जरिये व्यवस्था की गयी है। इस विधेयक के जरिये प्रधानमंत्री राष्ट्रीय आपदा कोष की तरह की पीएम केयर्स फंड में दिये जाने वाले योगदान को आयकर की धारा 80सी के तहत आयकर से छूट दी जा रही है और कंपनियों को अपनी सीएसआर की राशि इस कोष में देने का अधिकार दिया जा रहा है।

कोविड-19 के मद्देनजर श्रीमती सीतारमण ने कहा कि कराधान से संबंधित कई तारीखों में बदलाव की जरूरत थी। साथ ही समय पर कर नहीं भरने, रिटर्न नहीं भरने तथा अन्य नियमों का पालन नहीं करने पर जुर्माना लगाता है। उन जुर्मानों से भी छूट देनी है क्योंकि जब सरकार उपबंधों के लिए समय बढ़ा रही है तो विलंब शुल्क और जुर्माना नहीं लगाया जा सकता। इन सबका प्रावधान इस विधेयक में है।

अध्यादेश के अलावा कुछ नई बातें भी इस विधेयक में हैं। इसमें विवाद से विश्वास योजना की अवधि 31 दिसंबर तक की जा रही है। अन्य सभी तिथियों को फिलहाल 30 सितंबर तक बढ़ाया गया है। सबका विश्वास योजना की अवधि भी दिसंबर तक बढ़ाइ्र गई है। स्रोत पर कर वसूली में 25 प्रतिशत की कटौती की गई है। निवेश के बारे में भी कुछ प्रावधान किए गए हैं।


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