जयराम सरकार मक्की को नहीं मानती मुख्य फसल

सरकारी एजेंसियां नहीं कर रही फसल की खरीद, कोई भी खरीद केंद्र स्थापित नहीं किया

अगर किसी से यह सवाल किया जाए कि हिमाचल प्रदेश की दो प्रमुख फसलें कौन-कौन सी हैं तो जाहिर है कि जवाब यही होगा कि गेहूं और मक्की। खरीफ के सीजन की प्रदेश में बीजी जाने वाली मक्की प्रमुख फसल है, लेकिन हैरत यह है कि प्रदेश सरकार मक्की को प्रमुख फसल नहीं मानती। प्रदेश में हर साल हजारों हेक्टेयर भूमि पर बीजी जाने वाली प्रदेश की इस प्रमुख फसल के उत्पादन को बेचने के लिए प्रदेश में प्रदेश सरकार द्वारा कोई भी खरीद केंद्र स्थापित नहीं किया गया है।

यह पहली मर्तबा नहीं है बल्कि हर सीजन में प्रदेश में कोई भी सरकारी एजेंसी मक्की की खरीददारी नहीं करती। हालांकि केंद्र सरकार द्वारा इस बार मक्की का समर्थन मूल्य साढ़े अठारह सौ रुपए तय किया गया है, लेकिन किसान सरकारी खरीद केंद्र न होने की सूरत में अपनी मक्की की फसल पंजाब ले जाकर औने-पौने दाम पर बेचने को विवश है। प्रदेश में गेहूं और धान की खरीद के लिए सरकारी एजेंसियां हर सीजन में खरीद केंद्र स्थापित करती हैं।

कोरोना काल में भी गेहूं की फसल की खरीद के लिए इस बार एफसीआई द्वारा भी खरीद केंद्र स्थापित किए गए थे, लेकिन इसे प्रदेश के किसानों का दुर्भाग्य ही कहें कि प्रदेश या केंद्र सरकार की कोई भी सरकारी एजेंसी मक्की की फसल की खरीद नहीं करती। हिमाचल प्रदेश की प्रमुख फसलों में मक्की की फसल भी प्रमुखता से आती है और प्रदेश में किसान बड़े पैमाने पर मक्की की फसल की बिजाई करते हैं। हालांकि केंद्र सरकार ने भी इस बार मक्की की फसल का समर्थन मूल्य साढ़े अठारह सौ रुपए तय किया है।

बावजूद इसके किसानों को मुश्किल से ग्यारह सौ रुपए प्रति क्विंटल भी मक्की का रेट नहीं मिल रहा है। जिला ऊना में ही सत्ताइस हजार हेक्टेयर से अधिक भूमि पर इस बार मक्की की फसल की बिजाई की गई थी। मक्की की फसल जिला ऊना के अलावा जिला कांगड़ा, हमीरपुर व बिलासपुर में भी प्रमुखता के आधार पर बीजी जाती है। अब सरकार ने मक्की की फसल की खरीद न करने का निर्णय क्यों और किन परिस्थितियों में किया, लेकिन यह सीधा-सीधा किसान हित पर कुठाराघात है।

कृषि उपनिदेशक अतुल डोगरा का कहना है कि हिमाचल प्रदेश में कहीं भी मक्की की फसल की खरीद के लिए खरीद केंद्र नहीं है। इसलिए किसानों को खुले बाजार में ही मक्की की फसल बेचनी पड़ती है। ऐसे में सवाल यह कि फिर मक्की का समर्थन मूल्य तय करने का क्या औचित्य। उधर कृषि, पशुपालन, मत्स्य व पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर का कहना है कि इसके लिए योजना बनाई जा रही है। प्रदेश में कोई ऐसा प्लांट लगाने पर विचार किया जा रहा है जहां मक्की की फसल बेची जा सके।