काले मोतिए को हल्के में न लें लोग, अंधेपन का खतरा

By: Sep 29th, 2020 12:02 am

 कांगड़ा-एसएम आई हास्पिटल कांगड़ा के प्रबंध निदेशक डा.  संदीप महाजन किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं । व्यवसाय के साथ-साथ सामाजिक दायित्व भी निभा रहे डा. संदीप महाजन आंखों में काले मोतिए की बीमारी को लेकर बेहद चिंतित हैं। उनका कहना है कि इसके इलाज से लोगों को राहत मिल सकती है। इसलिए आंखों की नियमित जांच और इलाज से इस बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है। पिछले  करीब चार दशकों से  कांगड़ा ही  नहीं  अपितु हिमाचल के लोगों का भरोसा डा. संदीप महाजन ने पाया है।  इसीलिए उनकी ख्याति प्रदेश में ही नहीं, अपितु पड़ोसी राज्यों में भी  है। अब अत्याधिक  सुविधाओं से यहां आंखों के रोगों का इलाज किया जा रहा है ।

काला मोतिया को लेकर डा. संदीप महाजन कहते है कि काला मोतिया आंखों में होने वाली एक गंभीर समस्या है, जिसमें आंख की नस को क्षति पहुंचती है यह रोग निरंतर क्षति करते हुए धीरे-धीरे दृष्टि को समाप्त कर देता है । हमारी आंख में एक तरल पदार्थ भरा होता है यदि यह तरल पदार्थ रुक जाए आंख से बाहर न निकल पाए तो नेत्र दबाव बढ़ जाता है। काला मोतिया में नेत्र पर दबाव प्रभावित आंखों की सहने की क्षमता से अधिक हो जाता है । इसके परिणाम स्वरुप आंख की नस को क्षति पहुंचती है और दृष्टि कम हो जाती है। किसी वस्तु को देखते समय मरीज को अंत में केवल वस्तु का केंद्र ही दिखाई देता है। समय के साथ-साथ नजर और कम हो जाती है और वे यह क्षमता भी खो देती है ।  इस रोग में रोगी को सिर दर्द, आंखों में दर्द व धुंधलापन आना शुरू हो जाता है । कई रोगियों को रात में भी दिखना बंद हो जाता है। चश्मे का नंबर भी बार-बार बदल सकता है, यदि एक आंख में काला मोतिया हो तो दूसरी आंख में भी होने की आशंका बढ़ जाती है । इसलिए इसकी प्रारंभिक जांच की परिणामों पर गंभीरता से निर्णय लेकर उपचार करवा लेना चाहिए। वे बताते है कि यह रोग 40 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों में पाया जाता है फिर भी कुछ मामलों में यह नवजात शिशु को भी प्रभावित कर सकता है।

परिवार में पहले काला मोतिया रहा हो तो संतानों में भी होने की आशंका बढ़ जाती है। डा. संदीप महाजन ने बताया कि काला मोतिए की जांच के लिए आंखों की दृष्टि नेत्र  दबाव और आंख की नस की जांच की जाती है। इस जांच के लिए विभिन्न प्रकार के यंत्र उपलब्ध हैं मसलन ओसीटी मशीन, पेरिमीटरी मशीन व  दबाव को मापने की विभिन्न मशीनें इत्यादि नियमित जांच से काले मोतिए का पता लगाया जा सकता है। इस के इलाज के विभिन्न तरीके हैं, जैसे दवाई डालना, लेजर उपचार और आपरेशन। जांच के बाद उपचार की प्रक्रिया इस बात पर निर्भर करती है कि यह बीमारी अभी किस अवस्था में है। शुरुआती दौर में दवाइयों से उपचार किया जाता है । यदि दबाव दवाइयों से भी न कंट्रोल हो तो ऑपरेशन करना पड़ सकता है। ऑपरेशन के 15 दिन बाद रोगी बिलकुल ठीक हो जाता है, लेकिन बाद में भी डाक्टर द्वारा नियमित जांच और निर्देशों का पालन जरूरी है।

सफेद-काला मोतिए में अंतर

काले मोतिए एवं सफेद मोतिए में क्या अंतर है। इस बारे डा. महाजन बताते है कि सफेद मोतिया आंख के भीतर प्राकृतिक लेंस के धुंधले होने को कहते हैं । यह लैंस हमें देखने में सहायता करता है, जिस प्रकार से कैमरे में लैंस लगा होता है उसी प्रकार से यह लैंस काम आता है । कैमरे का आविष्कार आंख की सेक्टर स्ट्रक्चर को देखकर ही किया गया था जब यह लैंस पूरा सफेद हो जाता है, तो मोतिए जैसा दिखता है। इसका इलाज केवल आपरेशन है। काले मोतिया में इस प्रकार की कोई लैंस के काले होने की प्रक्रिया नहीं होती है, लेकिन आंख  के दबाव के बढ़ने से आंख की नस जो आंख में बने प्रतिबिंब को मस्तिष्क तक ले जाती है का खराब होना निश्चित होता है , जो नस जितनी खराब हो उतनी रोशनी खो जाती है जिसे किसी भी प्रयास से वापस नहीं लाया जा सकता है।


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