क्रोध और सच्चाई

By: Sep 12th, 2020 12:20 am

श्रीश्री रवि शंकर

 धैर्य के साथ सच्चाई की कामना करें फिर क्रोध हावी नहीं होगा। अन्यथा जब आप कहते हैं, मैं सच्चा हूं और फिर जब यह मांग करते हैं, मुझे यह चाहिए, फिर क्रोध आता है और जब क्रोध आता है फिर आप अपनी सच्चाई और अच्छाई को स्वयं ही गंवा देते हैं। जब आप क्रोधित होते हैं, तो यह उतना ही बुरा है, जैसे कोई व्यक्ति बुरा कर

रहा हो…

जो लोग भी क्रोध करते हैं, वे सिर्फ  सच्चाई को ही आधार मान कर क्रोधित होते हैं। लेकिन सच्चाई की कल्पना करना काफी सीमित है। इस दुनिया में सभी प्रकार की चीजें होती है और आपको सिर्फ  धैर्य रखने की आवश्यकता है।

सच्चाई की कामना करना और यह कहते रहना कि मुझे सच्चा रहना है और मैं चाहता हूं कि सभी अभी ही सच्चे बन जाएं, यह संभव नहीं है। सब सच्चे और अच्छे रहे, यह कामना करना ठीक है, लेकिन आपको लोगों को लंबा समय देना चाहिए। धैर्य के साथ सच्चाई की कामना करें फिर क्रोध हावी नहीं होगा। अन्यथा जब आप कहते हैं, मैं सच्चा हूं और फिर जब यह मांग करते हैं, मुझे यह चाहिए, फिर क्रोध आता है और जब क्रोध आता है फिर आप अपनी सच्चाई और अच्छाई को स्वयं ही गंवा देते हैं। जब आप क्रोधित होते हैं, तो यह उतना ही बुरा है, जैसे कोई व्यक्ति बुरा कर रहा हो।

यदि किसी ने यह स्थान को साफ  नहीं किया और यहां सिर्फ  गंदगी है। आप यहां पर आते हैं और क्रोधित हो जाते हैं। उस व्यक्ति ने एक गलती करी है, उसने सफाई नहीं करी क्या यह ठीक है? लेकिन उस पर आपका परेशान होना और चिल्लाना एक दूसरी गलती है। दो गलतियां एक गलती को ठीक नहीं कर सकती। यदि किसी ने कोई गलती करी है, तो उसे धैर्य के साथ दो तीन बार समझाएं और शिक्षित करें। शिक्षक होने के लिए आपमें बहुत धैर्य होना चाहिए। स्कूल के शिक्षकों के सामने यह एक चुनौती है। वे बच्चों को वहीं बात 10 बार बताते हैं, लेकिन बच्चे फिर भी नहीं सुनते। बच्चों में ध्यान की कमी का सिंड्रोम होता हैं।

बच्चे उस पर ध्यान नहीं देते। इसलिए धैर्य की आवश्यकता होती है। धैर्य एक गुण या खूबी होती है। वह 6 संपत्तियों में से एक है। शम (मन की शांति), दम (आत्म संयम या स्वयं पर नियंत्रण), उपरति (सांसारिक सुखों और वस्तुओं से दूरी), तितिक्षा (धैर्य की शक्ति या सहनशीलता), श्रद्धा (विश्वास) और समाधान (आत्म संतुलन या मन का केंद्रित होना)। समाधान, संतोष और धैर्य पाने के लिए होता है। यह अत्यंत आवश्यक है। कुछ श्वास की प्रक्रिया, प्राणायाम एवं ध्यान मन को शांत करने के लिए अत्यंत प्रभावशाली हैं। श्वास के बारे में जानना बहुत आवश्यक है। मन की हर लय के अनुसार एक विशेष श्वास की लय होती है और श्वास की हर लय के अनुसार एक विशेष भावना पैदा होती है। तो जब आप अपने मन पर सीधे नियंत्रण नहीं कर पाते, तब श्वास के द्वारा मन को बेहतर तरीके से नियंत्रित कर सकते हैं।


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