कार्य में टालमटोल न करें

By: Sep 12th, 2020 12:20 am

श्रीराम शर्मा

 मनुष्य में एक बुरी आदत है काम को टाल देने की। अपनी इसी आदत के कारण हम कभी-कभी अपने बनते हुए कामों को बिगाड़ बैठते हैं। जिससे हमारी बड़ी भारी हानि हो जाती है और कभी-कभी तो अपनी मंजिल पर पहुंचते-पहुंचते रह जाते हैं।

जिन पत्रों का उत्तर हमें आज देना चाहिए, उन्हें कल पर टाल देते हैं और इस प्रकार पत्र पुराना पड़ जाता है और हमारी ही दृष्टि में उसके उत्तर महत्त्व कुछ नहीं रह जाता। जो काम हमें आज करने हैं, वह कल भी उतने ही महत्त्व के रहेंगे, यह नहीं कहा जा सकता। परिस्थितियां क्षण-क्षण पर बदलती रहती हैं और उनके अनुसार पिछड़े हुए कार्यों का कोई महत्त्व नहीं रह जाता। संभव है आज किसी कार्य के सम्मुख आते ही हम उसे ताजा जोश में कर डालें, परंतु कल पर टालते ही उस कार्य के प्रति दिलचस्पी भी कम हो सकती है और इस प्रकार वह कार्य सदा के लिए ही टल सकता है।

जिस व्यक्ति में टालमटोल का यह रोग लग जाता है वह अपने जीवन में अनेक काम नहीं कर पाता, बल्कि उसके सब काम अधूरे पड़े रह जाते हैं। यद्यपि ऐसे लोग हर समय व्यस्त रहते दिखाई पड़ते हैं, फिर भी अपना काम पूरा नहीं कर पाते। कामों का बोझ उनके सिर पर लदा रहता है और वे उससे डरते हुए कामों को धकेलने की कोशिश करते रहते हैं। टालने की आदत वाला मनुष्य परिस्थितियों का शिकार भी हो सकता है। स्वास्थ्य का खराब होना, मस्तिष्क की निर्बलता, आर्थिक या दूसरे प्रकार की चिंता आदि कारण भी कार्य को टालना पड़ता है।

कार्य की अधिकता से भी कार्य शेष रह जाता है और वह दूसरे दिन को टालना पड़ता है। वह टाला हुआ कार्य यदि दूसरे दिन भी टल गया, तो फिर दृष्टि से ओझल हो जाने के कारण सदा टलता जाता है। यदि आप अपने कार्य को सुव्यवस्थित ढंग से और उत्साहपूर्वक करते रहें, तो कार्य का भार अधिक प्रतीत नहीं होगा उसमें आपकी दिलचस्पी बनी रहेगी और उसके न होने से होने वाली हानि भी कम ही होगी। काम का भार अधिक दिखाई पड़ने पर एक चिड़चिड़ापन उसके स्वभाव में आ जाता है, परंतु हाथ ही हाथ काम को पूरा करने में वैसी स्थिति कभी उत्पन्न नहीं होती।

जो व्यक्ति दूसरों का काम करने को आश्वासन दे देते हैं, वे यदि उनका काम करने में टालमटोल करते हैं, तो उनके प्रति किसी की श्रद्धा नहीं रहती। ऐसे व्यक्तियों पर कभी विश्वास नहीं किया जाता और जिस व्यक्ति का विश्वास उठा, उसकी प्रतिष्ठा भी समाप्त हो जाती है। आपको अपनी कार्यक्षमता बढ़ानी चाहिए। अपने मन के उत्साह को जगाकर दृढ़ता से कार्य में जुट जाइए और पूरी शक्ति लगा कर टाले हुए कार्य को शीघ्र ही समाप्त कीजिए।  बड़े से बड़े काम भी मन लगा कर करने से शीघ्र संपन्न हो जाते हैं। आपके जो कार्य शेष पड़े हुए हैं, उनकी एक सूची तैयार कीजिए उनमें से अत्यंत आवश्यक कार्यों को प्राथमिकता दीजिए कम आवश्यक कार्यों को पीछे करने के लिए रखिए। इस प्रकार बनाई गई सूची से आपको बड़ी सहायता मिलेगी।


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