नलवाड़ कोटलू में खीरे की बंपर पैदावार

By: दिव्य हिमाचल ब्यूरो। बिलासपुर Sep 20th, 2020 6:20 am

बिलासपुर जिले के नलवाड़ कोटलू गांव में हिमाचल प्रदेश फसल विविधिकरण प्रोत्साहन परियोजना जाईका के तहत सिंचाई सुविधाओं का विकास किया गया और गांव में 20 हेक्टेयर क्षेत्र को सुनिश्चित सिंचाई के अंतर्गत लाया गया है। नलवाड़ कोटलू गांव में अच्छी सिंचाई सुविधा के मिलने से सब्जी की पैदावार में वृद्धि हुई, लेकिन बाहरी राज्यो की प्रतिस्पर्धा के कारण किसानों को अच्छे दाम नही मिल पा रहे थे। बाहरी राज्यों की प्रतिस्पर्धा से बचने के लिए परियोजना द्वारा विभिन्न कृषि सब्जी मंडियों से गत पांच वर्ष के बाजार भाव एकत्रित किए गए तथा यह पाया गया कि खीरे के भाव जुलाई और अगस्त तथा गोभी के भाव अक्तूबर माह में सबसे अधिक होते हैं। खंड परियोजना प्रबंधन इकाई द्वारा किसानो को खीरे व गोभी का उत्पादन इसी समय पर बेचने के लिए उनके बीजाई के समय में बदलाव किया गया। इस वर्ष चार किसानों जिसमें बबीता कुमारी, पवन कुमार, रतन सिंह, सीता राम को इस गतिविधि से उत्पादन करने के लिए चयनित किया गया।

चयनित किसानों के खेतों में 400/800 वर्ग मीटर क्षेत्र चयन कर उसमें टपक सिंचाई की पाइप लाइन लगाई गई तथा बैड बनाने के उपरांत मल्चशीट पर खीरे की बिजाई अप्रैल माह में की गई। चयनित किसानों द्वारा इस गतिविधि के अंतर्गत सात बीघा क्षेत्र लाया गया जिससे खीरे की कुल पैदावार 245 क्विंटल रही। किसानों ने खीरे की पैदावार को जुखाला-शिमला-घाघस सड़क के किनारे जून से अगस्त तक स्वयं 20 से 25 रुपए प्रति किलोग्राम व स्थानीय मंडी में 15 रुपए प्रति किलोग्राम से बेचा। किसानों ने बताया कि केवल खीरे से ही उन्हें 4 लाख 80 हजार रुपए  की आय प्राप्त हुई। किसानों से जिन खेतों में खीरे की खेती की उन्हीं खेत में अब फूल गोभी की अगेती फसल लगा दी गई है।

वहीं, 15 किसानों ने 3 हजार 184 हेक्टेयर क्षेत्र में व्यवसायिक पैमाने पर उगाई सब्जियां  खंड परियोजना प्रबंधक डा. शशिपाल ने बताया की सुनिश्चित सिंचाई और परियोजना की विस्तार गतिविधियों के उपरांत गांव के 15 किसानों ने 3 हजार 184 हेक्टेयर क्षेत्र मे व्यवसायिक पैमाने पर सब्जियां जैसे टमाटर, मटर, शिमला मिर्च, कंद वर्गीय फसलें और बैंगन आदि लगाई जा रही है। परियोजना द्वारा सब्जी उत्पादनों को आठ नंबर पावर वीडर 90 प्रतिशत अनुदान पर उपलब्ध करवाए गए हैं, जिसके कारण श्रम के कार्य में कमी आई और नकदी फसल के तहत क्षेत्र को विकसित किया गया।


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