परियोजना तैयार… कब मिलेगा रोजगार

By: नगर संवाददाता-सैंज Sep 20th, 2020 12:35 am

 सैंज परियोजना प्रभावितों ने हक को बुलंद की आवाज; बोले, मुख्यमंत्री से करेंगे शिकायत

सैंज जल विद्युत परियोजना में सब कुछ न्योछावर करने वाले ने प्रभावित परिवारों ने अब सैंज परियोजना प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। ग्रामीणों ने परियोजना प्रबंधन को दो टूक शब्दों में चेतावनी दी है। सैंज परियोजना बीते कई वर्षों से प्रभावित परिवारों को न तो रोजगार दे रही है और न  ही आरआर प्लान के तहत मिलने वाली सुविधाएं प्रदान कर रही है, जिससे खफा होकर अब प्रभावित परिवारों ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से परियोजना प्रबंधन की शिकायत करने का मन बना लिया है।

100 मेगावाट उत्पादन क्षमता की सैंज जल विद्युत परियोजना भले ही प्रदेश व देश के लिए हितकारी साबित हुई हो, लेकिन परियोजना से प्रभावित हुए घाटी के 130 परिवारों को 1000 दिन का रोजगार छह परिवारों को परियोजना में स्थायी रोजगार का वादा अभी तक भी परियोजना प्रबंधन में पूरा नहीं किया है, लेकिन एक दशक बीत जाने के बावजूद अभी तक न तो 130 परिवारों को 1000 दिन का रोजगार मिल पाया है और न ही परियोजना क्षेत्र के छह परिवारों को स्थायी रोजगार मिला है। यही नहीं, परियोजना प्रबंधन ने आज तक परियोजना क्षेत्र में आरआर प्लान के तहत ग्रामीणों को मिलने वाली सुविधाओं को भी प्रदान नहीं किया है।

प्रभावित विस्थापित संघ के प्रधान राज कुमार, सचिव रमेश कुमार ने बताया कि राष्ट्रहित में अपनी मातृभूमि कुर्बान करने के बाद भी सैंज जल विद्युत परियोजना घाटी के प्रभावित परिवारों के लिए गम लेकर आई है। वहीं, विस्थापित नेता नारायण सिंह ठाकुर ने कहा कि परियोजना की खातिर अपनी मातृभूमि को कुर्बान करने वाले सैकड़ों परिवारों ने सैंज जल विद्युत परियोजना की खातिर मिट्टी में सोना उगाने वाली उपजाऊ भूमि को राष्ट्रहित में कुर्बान किया है, लेकिन बदले में सैज परियोजना ने ग्रामीणों को जख्म के सिवा कुछ नहीं दिया है। प्रभावित परिवार आज भी रोजगार मिलने का इंतजार कर रहे हैं ग्रामीण ने कहा कि परियोजना निर्माण के समय परियोजना प्रबंधन ने  ग्रामीणों को बड़़-बड़े सब्जबाग दिखाए थे, लेकिन परियोजना तैयार होने के बाद अब परियोजना प्रबंधन सभी बातों को भूल  विस्थापितों को नजरअंदाज कर रहा है।

हालांकि परियोजना  बनकर तैयार हो चुकी है, लेकिन प्रभावित व विस्थापित परिवारों का रोजगार का मामला अभी भी सिरे नहीं चढ़ पाया है। विस्थापित परिवार  पिछले दस वर्षों से रोजगार के लिए परियोजना प्रबंधन व  प्रशासन के द्वारा कई बार गुहार लगा चुके हैं, लेकिन हैरानी वाली बात यह है कि सैंज परियोजना प्रबंधन विस्थापितों को स्थायी रोजगार तो दूर, लेकिन अस्थायी रोजगार भी नहीं दे पाया है। सैंज परियोजना  विस्थापितों की मानें तो ग्रामीणों का आरोप है कि परियोजना प्रबंधन अपने चहेतों को चोर दरवाजे से नौकरियां बांट रहा है और विस्थापितों परिवारों को नो वैकेंसी का बहाना बनाकर खाली हाथ वापस लौटा रहे हैं।


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