संसद की मर्यादा का प्रश्न
कृषि विधेयकों को लेकर कुछ सांसदों पर इनके विरोध का नशा इस कद्र चढ़ा कि इन्होंने लोकतंत्र के मंदिर की मर्यादा का जरा भी ख्याल न करते हुए राज्यसभा में जोरदार हंगामा करते हुए यहां की कुछ चीजों की तोड़फोड़ भी की। हालांकि सभापति वेंकैया नायडू ने संसद की मर्यादा को भंग करने वाले सांसदों पर कड़ी कार्रवाई की है। लेकिन सवाल तो यह है कि संसद में अमर्यादित कार्य करके आखिर सांसद क्या दर्शाना चाहते हैं। क्या दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की मर्यादा का इन्हें जरा भी ख्याल नहीं है। अगर सरकार के फैसलों पर एतराज है तो इसका हल क्या संसद में हंगामा या तोड़फोड़ से ही निकलेगा।
संसद में जाकर सांसदों का क्या काम होता है। देश का आमजन वोट का प्रयोग करके सांसदों को लोकतंत्र के मंदिर संसद तक क्यों भेजता है। आखिर संसद किसलिए है। इसमें कोई दोराय नहीं है कि लोकतंत्र में विपक्ष का हक होता है कि वह सरकार की गलत नीतियों का विरोध करे, लेकिन संसद में कुछ राजनीतिक दल सत्ता पार्टी को बेवजह ही नीचा दिखाने की कोशिश भी करते हैं, जो कि सरासर गलत है। जब तक हमारे देश की चुनाव प्रणाली में सुधार नहीं होता, तब तक इस तरह के अमर्यादित आचरण को रोकना मुश्किल है। सत्ता पक्ष तथा विपक्ष, दोनों सांसदों को अपना कर्त्तव्य समझना चाहिए।
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