सेब के दाम धड़ाम, बागबानों ने कंपनियों पर फोड़ा ठीकरा

By: निजी संवाददाता मतियाना Sep 6th, 2020 12:08 am

हिमाचल में पांच हजार करोड़ रुपए का सेब सीजन फिर संकट में है। पहले प्रोडक्शन, फिर लेबर की कमी रही, और अब ऐन मौके पर सेब के दाम गिर जाने से हजारों बागबान मायूस हैं। बागबानों को आशंका है कि इस सबके पीछे कंपनियां षड्यंत्र रच रही हैं,जबकि आढ़तियों का तर्क कुछ और है।

पेश है मतियाना से निजी संवाददाता की रिपोर्ट

सितंबर माह शुरू होते ही अचानक से सेब के दामों में भारी गिरावट आ गई है, जिस कारण हजारों बागबान मायूस हो  गए है।  जो सेब 2500 प्रति पेटी बिक रहा था, वो अब  2000 तक सिमट गया है। बागबानों का आरोप है कि यह सब कंपनियों और आढ़तियों की मिलीभगत से हुआ है।

प्रदेश में सेब कारोबार कर रही सेब कंपनी अदानी, देवभूमी कोल्ड चैन मतियाना, बीजा स्टोर बिथल सहित अन्य कंपनियों ने 80 से 100 प्रतिशत वाले कलरफुल सेब का दाम साइज के अनुसार 60 रुपए किलो से लेकर 90 रुपए प्रति किलो तक रखा है और 60 से 80 प्रतिशत कलर वाले सेब का रेट 45 रुपए से लेकर 75 रुपए तक रखा है।

मंडीयों के रेट की किलो के हिसाब से बात की जाए तो 25 किलो की पेटी अगर 2 हजार रुपए में गड रेट में बिकती है तो बागबान को 80 रुपए तक प्रति किलो छोटे और बडे़ साइज की औसत बैठती है और कंपनियों द्वारा तय किए गए रेट के अनुसार अच्छे सेब की औसत 60 से 65 रुपए प्रति किलो और कलर लैस और छोटे सेब की औसत इससे बहुत कम ही मिलेगी। अब देखने वाली बात ये है कि कंपनियों द्वारा खोले गए रेट में क्या बागबान भरोसा जताएंगे और अपना सेब कंपनियों को देंगे या मंडियों में ही भेजेंगे।  आढ़तियों के अनुसार मंडियों में सेब की आवक बढ़ने से दामों मे गिरावट आई है। कई शहरों में बाढ़ आने से मांग कम हुई है और यहां पर माल ज्यादा आ रहा है, जिस कारण दामों में 500 रुपए तक की गिरावट हुई है। अगर अराइवल कम होती है तो रेट बढ़ने की संभावना है।

सेब कंपनियों का मत है कि इस वर्ष कंपनियों ने सबसे ज्यादा रेट खोले है और भविष्य में मार्केट क्या मिलती है इसमें बहुत ज्यादा रिस्क है। पांच छह माह तक सीए स्टोरों में सेब को रखने तथा कर्मचारियों की सैलरी सहित अन्य खर्चे करोड़ों में पहुंच जाते है। अगर आने वाले दिनों में मार्केट उठती है तो कंपनियां भी अपने रेट बढ़ा सकती हैं। फिलहाल मौजूदा दौर में नुकसान तो बागबानों का ही हो रहा है। इस मसले पर सरकार को को कारोबार के हित में उचित कदम उठाने की जरूरत है।

कुमारसैन संडे को भी खुला रहेगा सेब कारोबारियों को मिली संजीवनी

हिमाचल में सेब सीजन के दौरान बागबानों की दिक्क तों को देखते हुए यह फैसला लिया गया है। इससे करोड़ों के कारोबार को संजीवनी मिल रही है। काश, इसी तरह की प्लानिंग हर रोज हो, तो इस बार का सेब सीजन बहुत कामयाब होगा…

गुरुवार को पर्यटन भाजपा प्रकोष्ठ जिला महासू संयोजक हिमांशु शर्मा की अगवाई में एक प्रतिनिधिमंडल पर्यटन नगरी नारकंडा की मांगों और समस्याओं को लेकर एसडीएम कुमारसैन से मिला। बैठक में एसडीएम कुमारसैन गुंजीत सिंह चीमा के समक्ष नारकंडा में संडे को बाजार खोलने तथा कोरोना संकट के कारण पिछले लंबे समय से ठप पडे़ पर्यटन कारोबार को शुरू करने के लिए होटल कारोबारियों, पर्यटकों के लिए स्टाल लगाने वाले युवाओं सहित स्थानीय गाइडों और टै्रक्सी चालकों को सरकार द्वारा जारी की गई नई पर्यटन एसओपी की जानकारी देने के लिए नारकंडा में प्रशासन और विभाग के सौजन्य से एकदिवसीय जागरूकता शिविर लगाने की भी मांग की गई।

एसडीएम कुमारसैन गुंजीत सिंह चीमा ने बताया कि सेब सीजन में आम जनता, व्यापारियों, गाड़ी चालकों की सुविधा को देखते हुए अब प्रशासन ने रविवार को उपमंडल कुमारसैन के सभी बाजारों में हर रोज की तरह सुबह सात बजे से रात्रि साढ़े आठ बजे तक दुकानें खोलने के निर्देश जारी कर दिए हैं और ढाबे तथा होटल रात्रि 11 बजे तक खुले रह सकेंगे, लेकिन बाहरी लोगों को पैक्ड फूड ही सर्व करना होगा। वहीं उन्होंने आश्वासन दिया कि नारकंडा में ठप पड़े पर्यटन को सुचारू करने के लिए प्रशासन कारोबारियों की हर संभव सहायता प्रदान करेगा। जल्द ही एक पर्यटन जागरूकता शिविर का भी आयोजन किया जाएगा। इस अवसर पर नगर पंचायत नारकंडा के पार्षद रोहित डोगरा, निशांत परदेसी सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।

रिपोर्टः निजी संवाददाता, नारकंडा

धान को लगा काला मोतिया सिल्ले भी सूखे, एक्सपर्ट ने दी छिड़काव की सलाह

धान की फसल छह माह की कड़ी मेहनत के बाद तैयार होती है, लेकिन हर साल कृषि विभाग की नाकामी से धान में काला मोतिया की बीमारी लग जाती है। इस समस्या पर एक्सपर्ट ने किसान भाइयों के लिए जरूरी टिप्स दिए हैं।

देखिए पालमपुर के कार्यालय संवाददाता की यह एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

हिमाचल के निचले इलाकों में धान की फसल का डंका बजता है। कांगड़ा, चंबा,मंडी, कुल्लू आदि जिलों में धान की फसल में सिल्ले निकल आए हैं,लेकिन कई जगह इस बार भी सिल्ले काले पड़ने लगे हैं। किसानो ंने बताया कि सिल्लों में काला मोतिया नामक बीमारी लग गई है। इससे चावल खाने लायक नहीं रहते। इसी तरह कई जगह से किसानो ने यह भी शिकायत की है कि सिल्ले अभी से सूखने लगे हैं। इससे धान में पल्ला बढ़ जाएगा। अपनी माटी टीम ने किसानों की इसी उधेड़बुन को कम करने के लिए कृषि विभाग के डिप्टी डायरेक्टर कांगड़ा डा पीसी सैणी से बात की । उन्होंने कहा कि जहां हाइब्रिड धान लगते हैं, वहां इस बीमारी का प्रकोप रहता है। कापर आक्सीक्लोराइड का छिड़काव करें। तीन ग्राम प्रति लीटर के हिसाब से छिड़कें। इसके बाद 15 दिन उपरांत छिड़काव करें। विस्तृत जानकारी के लिए  दिव्य हिमाचल टीवी पर इस बार का अपनी माटी बुलेटिन देखें।

अदरक ने 120 रुपए किलो से की शुरूआत आने वाले दिनों में बढ़ सकते हैं दाम

हिमाचल की सब्जी मंडियां पहाड़ी अदरक से महकने लगी हैं। शुरूआत में दाम 70 रु पए किलो रुपए तक दाम मिल रहे हैं। इसके अलावा अन्य सब्जियों के भी दाम इन दिनों चढ़े हुए हैं।

नालागढ़ से कार्यालय संवाददाता की रिपोर्ट

हिमाचल की मंडियों में  नए अदरक ने दस्तक दे दी है। शुरुआत में फ्रेश अदरक के दाम 70 रुपए तक मिल रहे हैं। उम्मीद है इससे किसानों को अच्छी कमाई हो जाएगी। अपनी माटी टीम ने प्रदेश की कई मंडियों से अदकर का गणित खंगालने का प्रयास किया,तो पता चला कि पुराना अदरक 100 से 120 रुपए तक बिक रहा है, जबकि नया अदरक अभी तक पूरी तरह मंडियों में नहीं आया है। ऐसे में उम्मीद है कि अराइवल बढ़ने के साथ अदरक के दाम घट जाएंगे। दूसरी ओर पोलीहाउस में ऑफ सीजन सब्जियों का कारोबार भी ठीक चल रहा है। इन दिनों मंडियों में सब्जियों की आमद घटी है, साथ ही माल खराब भी हो रहा है। इससे दाम खूब उछल रहे हैं। आलम यह है कि टमाटर के दाम 80 रुपए प्रतिकिलो तक पहुंच गए हैं, जबकि गोभी 80 से 100 रुपए तक है। हालात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि लोअर हिमाचल में 60 रुपए में बिकने वाला सेब 100 रुपए किलो तक पहुंच गया है। इन दिनों किसानों की इन्कम ठीक हो रही है, उन्हें बस मंडियों तक माल पहुंचाने की चुनौती है, क्योंकि प्रदेश में कई जगह बरसात से लिंक रोड टूट गए हैं। कुल मिलाकर इन दिनों आफ सीजन सब्जी उगाने वाले किसान अच्छी कमाई कर रहे हैं।

किसानों और मजदूरों को बर्बाद करने में लगी भाजपा, हिमाचल में फूटा गुस्सा

श्रम कानूनों में बदलाव व किसान विरोधी अध्यादेशों के खिलाफ मजदूरों-किसानों द्वारा प्रदेश भर में धरने व प्रर्दशन किए गए। सीटू व हिमाचल किसान सभा के आह्वान पर  भाजपा की केंद्र व राज्य सरकारों  की मजदूर व किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ मजदूरों व किसानों ने अपने कार्यस्थलों, ब्लॉक व जिला मुख्यालयों पर केंद्र सरकार की मजदूर व किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन किए।  प्रदेश भर में हुए प्रदर्शनों में श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी परिवर्तन की प्रक्रिया पर रोक लगाने, मजदूरों का वेतन 21 हज़ार रुपए घोषित करने,सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्त्रमों को बेचने पर रोक लगाने, किसान विरोधी अध्यादेशों को वापिस लेने, मजदूरों को कोरोना काल के पांच महीनों का वेतन देने, उनकी छंटनी पर रोक लगाने, किसानों की फसलों का उचित दाम देने, कजऱ्ा मुक्ति, मनरेगा के तहत  दो सौ दिन का रोज़गार,कॉरपोरेट खेती पर रोक लगाने, आंगनबाड़ी,मिड डे मील व आशा वर्करज़ को नियमित कर्मचारी घोषित करने, फिक्स टर्म रोज़गार पर रोक लगाने, हर व्यक्ति को महीने का दस किलो मुफ्त राशन देने व 7500 रुपए देने की मांग की गई।

रिपोर्टः कार्यालय संवाददाता, शिमला

सरकाघाट के किसान ने किए अनूठे प्रयोग

कोरोना के कारण जिंदगी की रफ्तार बदल गई है। खेती पर भी इस महामारी ने असर डाला है। बड़े स्तर पर भले ही नुकसान हुआ हो,लेकिन घरों के आसपास पड़ी जमीन का ख्ूब सदुपयोग हो रहा है।

पेश है मंडी जिला के सरकाघाट से यह रिपोर्ट …

मंडी जिला में सरकाघाट के सिहारल गांव के रहने वाले सुरेश कुमार वर्मा रिटायर्ड बैंक मैनेजर हैं। सुरेश वर्मा ने कोरोना काल में  पौंटा पंचायत में दो बीघा जमीन पर हर तरह की सब्जियां उगाई हैं। इसमें घीया, लौकी,खीरा, टमाटर ,फ्रांसबीन , गंघैरी, कद्दू  गोभी -करेला आदि सब्जियां शामिल हैं। इसके अलावा अदरक  और हल्दी पर भी सुरेश वर्मा का सारा परिवार मेहनत कर रहा है। उन्होंने अपनी माटी टीम को बताया कि उन्होंने एक खास तरह की हाइब्रिड मक्की भी उगाई है, जिसमें  एक  पौधे पर चार चार भुट्टे लगे हुए है। जो जगह बची है, उस पर  धान लगाए हैं।

 धान की फसल भी खूब है,लेकिन उसमें बीमारी लगी है। वह कहते हैं कि उन्हें फलों के अलावा औषधीय पौधे उगाना भी खूब पसंद हैं। उन्होंने आम, सेब के अलावा आंवला, हरड़ , और नीम के पौधे भी रोपे हैं। कुल मिलाकर सुरेश वर्मा ने दो बीघा जमीन पर खेती का फुल पैकेज तैयार कर लिया है,जोकि प्रदेश भर के किसानों व आम लोगों के लिए बड़ा संदेश है।

मनरेगा को मिले 80 करोड़ देंगे हिमाचली देहात को संजीवनी

हिमाचल प्रदेश के ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा है कि केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने मनरेगा के तहत प्रदेश को 80.57 करोड़ रुपये की राशि केंद्रीय सहायता के रुप में जारी की है। यह राशि मनरेगा के सामग्री घटक तथा प्रशासनिक मद पर व्यय की जाएगी। उन्होंने आज यहां बताया कि इस बारे में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री से यह मुद्दा उठाया था जिसके तहत प्रदेश के लिए यह राशि जारी की है। इस राशि से मनरेगा के सामग्री घटक की लम्बित देनदारियों का निपटारा किया जाएगा और मनरेगा के कार्यो में तेजी लाई जाएगी। ग्रामीण विकास की गति न रुके, इसके लिए वह हमेशा तत्पर एवं अथक प्रयास करते रहेंगे।

रिपोर्टः दिव्य हिमाचल ब्यूरो,शिमला

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