संसद में भिड़े अनुराग-अधीर, लोकसभा अध्यक्ष के हस्तक्षेप के बाद शांत हुआ मामला

By: एजेंसियां -   नई दिल्ली  Sep 19th, 2020 12:12 am

पीएम केयर्स फंड को लेकर दोनों नेताओं में खूब हुई गहमागहमी

लोकसभा में शुक्रवार को पीएम केयर्स फंड को लेकर काफी हंगामा हुआ। पहले भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर की ओर से नेहरू-गांधी परिवार को लेकर की गई टिप्पणी और फिर अनुराग ठाकुर पर कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी की आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर काफी शोर-शराबा हुआ। इस दौरान सदन की कार्यवाही को तीन बार स्थगित करना पड़ा। कराधान और अन्य विधियां (कतिपय उपबंधों का संशोधन एवं छूट) विधेयक-2020 पेश किए जाने के दौरान कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने पीएम केयर्स फंड के गठन को लेकर सवाल उठाए। कुछ सदस्यों ने इस कोष को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय आपदा कोष में मिला देने का सुझाव दिया। इस दौरान वित्त राज्य मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा कि पीएम केयर्स फंड का विरोध किया जा रहा है, लेकिन इस विरोध के पीछे तर्क तो होना चाहिए। उन्होंने कहा कि ये (विपक्ष) कहते थे कि ईवीएम खराब है और कई चुनाव हार गए। फिर कहा कि जनधन खराब है, फिर कहा कि जीएसटी खराब है, तीन तलाक कानून खराब है। सच्चाई यह है कि विपक्ष की नीयत खराब है। इसलिए उन्हें अच्छा काम भी खराब नजर आता है।

पीएम केयर्स फंड का जिक्र करते हुए अनुराग ठाकुर ने कहा कि इस विषय पर ये (विपक्ष) अदालत में चले गए, लेकिन अदालत ने इनकी बातों को खारिज कर दिया। अनुराग ने कहा कि 1948 में तत्कालीन प्रधानमंत्री ने शाही फरमान की तरह प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष बनाने का आदेश दिया। इस कोष का आज तक पंजीकरण नहीं कराया गया है। इसकी जांच होनी चाहिए कि इसको विदेशी योगदान विनियमन संबंधी मंजूरी कैसे मिली। अब दूध का दूध, पानी का पानी होना चाहिए। अनुराग ने नेहरू-गांधी परिवार को लेकर भी कुछ टिप्पणियां कीं, जिस पर नाराजगी जताते हुए कांग्रेस सदस्यों ने सदन से वाकआउट किया। इसी बीच, कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के भाषण का जिक्र करते हुए कहा कि हमने एक भी असंसदीय, असंवैधानिक बात नहीं की है, लेकिन इन्होंने (अनुराग ने) सारा माहौल खराब कर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि हमने पीएम केयर्स फंड की बात करते हुए कभी प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) के लिए कुछ गलत नहीं कहा। इस बीच लोकसभा स्पीकर ने सदस्यों को समझाने की कोशिश की तो टीएमसी और कांग्रेस ने उनपर पक्षपात करने का आरोप भी लगाया। तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी ने स्पीकर से कहा कि चाहे तो वह उन्हें लोकसभा से सस्पेंड ही कर दें, पर वह भाजपा सांसदों का व्यवहार सहन नहीं करेंगे। बाद में हंगामे के चलते सदन की कार्रवाई कई बार स्थगित कर दी गई। चार बार के स्थगन के बाद शाम छह बजे अनुराग ठाकुर द्वारा सदन में माफी मांगने के बाद मामला शांत हुआ, जिसमें अध्यक्ष श्री बिड़ला और राजनाथ सिंह की अहम भूमिका रही।

श्री बिड़ला ने कहा कि संसद का मानसून सत्र असाधारण परिस्थितियों में आयोजित किया जा रहा है। उन्होंने आग्रह किया कि सदन की गरिमा एवं मर्यादा बनाए रखने के लिए तथ्यों के आधार पर चर्चा एवं वाद विवाद होता रहे, लेकिन बिना तथ्यों के आरोप-प्रत्यारोप से बचना चाहिए। सदन का जो भी समय बचा है, उसमें कार्यवाही सुचारु रूप से चलना चाहिए। उनकी नजर में सभी सदस्य बराबर हैं। यदि किसी को उनके किसी व्यवहार से कोई पीड़ा पहुंची है, तो वह माफी मांगते हैं। श्री बिड़ला के वक्तव्य को सुन कर विपक्ष के सदस्य भी पिघल गए और कई वरिष्ठ सदस्यों ने श्री बिड़ला के माफी मांगने की बात को स्वीकार नहीं किया। अध्यक्ष के कहने पर अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा कि उनका इरादा किसी को पीड़ा पहुंचाना नहीं था। यदि विपक्ष के किसी सदस्य को पीड़ा पहुंची है, तो वह भी उस पीड़ा को अनुभव कर रहे हैं और माफी चाहते हैं।


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