श्रीकृष्ण स्तोत्रम्

By: Sep 26th, 2020 12:28 am

-गतांक से आगे…

ईश्वराय निरीशाय निरस्ताखिलकर्मणे।

संसारध्वान्तसूर्याय पूतनाप्राणहारिणे॥ 25॥

ईश्वर, ईशविहीन, समस्त कर्म से रहित, संसार के अंधकार को नष्ट करने के लिए सूर्यरूप तथा पूतना के प्राण का हरण कर लेने वाले कृष्ण को नमस्कार है॥ 25 ॥

रासलीलाविलासोर्मिपूरिताक्षरचेतसे।

स्वामिनीनयनाम्भोजभावभेदकवेदिने॥ 26॥

रास लीला के विलासरूप समुद्र की लहर से पूरित होकर भी अक्षर चित्त वाले, स्वामिनी राधा के नयन कमल की भावभङ्गिमा के एक मात्र ज्ञाता कृष्ण को नमस्कार है॥ 26 ॥

केवलानन्दरूपाय नमः कृष्णाय वेधसे।

स्वामिनीहृदयानन्दकन्दलाय तदात्मने॥ 27॥

मात्र मानन्द रूप वाले सृष्टिकर्ता तथा स्वामिनी राधा के हृदयानन्द के दाता एवं तद्प कृष्ण के लिए नमस्कार है॥ 27 ॥


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