कहने को तो library में हिंदी भाषा की पुस्तकों के ढेर, पर पढ़ने वाला कोई नहीं, केवल कंपीटीशन किताबों की ही मांग

By: -ऊना से सुधीर चौधरी की रिपोर्ट Sep 26th, 2020 11:06 am

हर वर्ष 14 सितंबर हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन देश भर के सभी स्कूल, कालेजों सहित अन्य शिक्षण संस्थानों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, लेकिन जब पढ़ाई की बात आती है तो प्राथमिकता अंग्रेजी भाषा को जाती है। यही कारण है कि आज हिंदी भाषा के लिए पाठकों का रुझान कम होता जा रहा है। आज हिंदी का अस्तित्व खतरे में है। ऐसे में ‘दिव्य हिमाचल’ टीम ने हिमाचल प्रदेश के साहित्यकारों और पाठकों का हिंदी के प्रति रुझान जाना तो उन्होंने कुछ यूं किए बयां..

-ऊना से सुधीर चौधरी की रिपोर्ट     

आज के दौर में अंग्रेजी भाषा युवाओं के लिए स्टेटस सिंबल बनती जा रही है। युवा हिंदी बोलने में अपने आपको अपमानित महसूस करते हैं। समय के साथ-साथ इंटरनेट व आधुनिकता की चकाचौंध ने भी हिंदी लेखकों के दायरे को समेट दिया है। अब हिंदी की किताबें केवल मात्र प्रतियोगी परीक्षाआें की तैयारियों तक ही सीमित रह गई हैं। पढ़ाई-लिखाई की बात करें तो युवा वर्ग अंग्रेजी भाषा को अहमियत देता दिखता है। जिला ऊना के पुस्तकालय में हिंदी साहित्य की किताबें तो भरपूर मात्रा में हैं और पुस्तकालय में किताबों को रखने के लिए भी स्थान पूरा नहीं हो रहा है, लेकिन उनको पढ़ने वालों की संख्या दिन पर दिन कम होती जा रही है। केवल वरिष्ठ नागरिक व प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे युवा ही हिंदी की किताबों की डिमांड कर रहे हैं। युवा वर्ग हिंदी साहित्य की किताबों में रूचि न दिखाते हुए केवल कंपीटीशन की किताबों की ही मांग कर रहा है।

 जिला पुस्तकालय में कोरोना महामारी से पहले जहां प्रतिदिन सुबह से शाम तक करीब 200 पाठक किताबें पढ़ने पहुंचते थे, वहीं अब पिछले छह माह से जिला पुस्तकालय सूना पड़ा हुआ है। हालांकि पुस्तकालय के कर्मचारी अपनी ड्यूटी का निर्वहन कर रहे हैं। पुस्तकालय में पाठकों के लिए बैठने के लिए अलग-अलग कैबिन बनाए गए हैं। जिला पुस्तकालय ऊना में मौजूदा समय में 40 हजार के करीब पुस्तकें हैं। यहां धार्मिक, इतिहास, फिलोसॉफी, पर्यावरण सहित हर तरह की किताबें मौजूद हैं। पुस्तकों को सहेजकर अच्छे तरीके से रखा गया है। फिर भी पुस्तकालय में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए किताबों की अधिक डिमांड रहती है। इस समय पुस्तकालय ऊना में लगभग 2100 रजिस्टर मेंबर हैं। इसके अलावा बच्चों के लिए कहानियों सहित अन्य मनोरंजन की किताबें भी लाइब्रेरी में उपुयक्त मात्रा में हैं।  बता दें कि युवा आज अंगे्रजी भाषा की चकाचौंध में हिंदी के महत्व को नकारता जा रहा है। 14 सितंबर 1949 को हिंदी भाषा को अखंड भारत की प्रशासनिक भाषा से अंलकृत किया गया था।

सरकारी कामकाज में हो अनिवार्य

कवयित्री सुनिधि ने कहा कि हिंदी के अस्तित्व को बचाने के लिए हिंदी भाषा को सरकारी कामकाज में अनिवार्य करना चाहिए। वहीं हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के लिए उचित कदम उठाने होंगे। केवल एक दिन हिंदी दिवस मना लेने से हिंदी को बढ़ावा नहीं मिलेगा। इसके लिए कारगर कदम उठाने होंगे। सिर्फ एक दिन विशेष कार्यक्रम आयोजित कर हिंदी भाषा पर गौरव करना सही नहीं है।

ऊना पुस्तकालय में रखी हैं 40 हजार किताबें

जिला पुस्तकालय ऊना की प्रभारी रंजना कुमारी का कहना है कि जिला पुस्तकालय ऊना में हिंदी पुस्तकों की कोई कमी नहीं है। पुस्तकालय में हर प्रकार की कुल 40 हजार पुस्तकें हैं। वैश्विक कोरोना महामारी के चलते पाठकों का प्रवेश पुस्तकालय में बंद किया गया है। वर्तमान में पाठक पढ़ाई नहीं, बल्कि पुस्तकों के लेन-देन के लिए ही जिला पुस्तकालय में आ रहे हैं।


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