आज देश को समर्पित होगा मनाली-लेह मार्ग का सबसे लंबा पुल
दारचा में 360 मीटर लंबे सेतु का रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ऑनलाइन करेंगे उद्घाटन, सेना को मिलेगी नई ताकत
विख्यात मनाली-लेह मार्ग के दारचा में 360 मीटर लंबा पुल बनकर तैयार हो गया है। यह पुल भारतीय सेना को मजबूती देने को तैयार है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह गुरुवार को भव्य पुल देश को समर्पित करेंगे। रक्षा मंत्री ऑनलाइन ही पुल का लोकार्पण करेंगे। चीन से तनातनी के बीच सामरिक महत्व की अटल टनल रोहतांग का लोकार्पण भी प्रधानमंत्री तीन अक्तूबर को करने जा रहे है। यह ब्रिज उत्तरी भारत का दूसरा और हिमाचल का पहला सबसे लंबा स्टील ट्रस्ट ब्रिज है। अटल टनल के लोकार्पण व प्रधानमंत्री के लाहुल व मनाली दौरे को लेकर तैयारियों का जायजा लेने के लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर दो दिवसीय दौरे पर केलांग पहुंच गए हैं।
वह गुरुवार सुबह 11 बजे तकनीकी शिक्षा मंत्री डा. रामलाल मार्कंडेय और लाहुल-स्पीति प्रशासन संग बैठक करेंगे। दोपहर डेढ़ बजे वह सिस्सू के लिए रवाना होंगे और हेलिपैड का निरीक्षण करने का बाद बीआरओ के अधिकारियों संग बैठक कर अटल टनल के लोकार्पण की तैयारियों का जायजा लेंगे। इसके बाद सीएम शाम चार बजे मनाली सर्किट हाउस में बैठक कर शिक्षा मंत्री गोविंद ठाकुर व जिला प्रशासन संग तैयारियों की समीक्षा करेंगे। मुख्यमंत्री मनाली के पलचान पुल का भी शुभारंभ करेंगे। उनका रात्रि ठहराव मनाली सर्किट हाउस में रहेगा।
पलचान और दारचा में बने दोनों भव्य पुल गर्ग एंड गर्ग कंपनी ने प्रबंधक प्यारे लाल शर्मा और इंजीनियर इकवाल सिंह कलसी की देखरेख में तैयार किए गए हैं। बीआरओ दीपक परियोजना के चीफ इंजीनियर ब्रिगेडियर एमएस बाघी ने कहा कि दारचा में बना 360 मीटर लंबा पुल मनाली-लेह मार्ग का सबसे लंबा पुल है।
अब नहीं सताएगी भागा की बाढ़
भागा नदी पर बना पुल लंबा इसलिए बनाना पड़ा, क्योंकि हर साल नदी में आने वाली बाढ़ अपनी दिशा बदल देती थी। बीआरओ को हर तीसरे-चौथे साल वैली ब्रिज का निर्माण करना पड़ता था। नदी पर बाढ़ आने से कई बार लेह जाने वाला सेना का काफिला भी रुक जाता था, लेकिन अब 360 मीटर लंबा पुल बनने से ट्रैफिक प्रभावित नहीं होगी।
माइनस तापमान में काम करना चुनौती
बीआरओ अधिकारियों का कहना है कि दारचा के भागा नदी में माइनस तापमान में पुल बनाना चुनौती भरा था। अधिकतर समय यहां का पारा माइनस में रहता है। बर्फीला क्षेत्र होने का कारण साल में पांच महीने ही कार्य करने को मिलते थे। पुल बनाने वाली कंपनी के मैनेजर प्यारे लाल और इंजीनियर इकवाल सिंह कलसी ने बताया कि माइनस डिग्री में काम करना चुनौती था, लेकिन बीआरओ के मार्गदर्शन में 360 मीटर लंबा पुल बनाने में सफलता पाई है।
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