आखिर क्यों स्कूल नहीं जा रहे छात्र, ये कोरोना का डर है या कुछ और..जानें पूरा माजरा

By: प्रतिमा चौहान, शिमला Oct 22nd, 2020 5:18 pm

प्रतिमा चौहान, शिमला
कोरोना का भय इस कद्र हो गया है कि स्कूलों में छात्र अब शिक्षकों से परामर्श लेने के लिए भी नहीं आ रहे है। सरकार के पास स्कूलों से पहुंची रिपोर्ट के मुताबिक 15 अक्तूबर को 19 हजार 633 छात्र आए, 16 को 16 234, 17 अक्तूबर को 7916, 19 को 7 हजार, 20 को 6 हजार वहीं 21 अक्तूबर को एक बार फिर से पांच हजार छात्र ही स्कूलों में शिक्षकों से परामर्श लेने के लिए पहुंचे। जबकि मौजूदा समय में राज्य के 18 हजार स्कूलों में साढ़े आठ लाख छात्र पढ़ाई कर रहे है।

राज्य सरकार के पास प्रदेशभर के उपनिदेशकों ने छात्रों के आने की यह रिपोर्ट भेजी है। फिलहाल राज्य के 18 हजार स्कूलों में केवल इतने ही छात्रों का स्कूलों में आना संकेत दे रहा है कि अभी भले ही अभिभावक बच्चों को स्कूल में भेजना चाहते है, लेकिन जिस तरह से सरकार जिम्मेदारी नहीं ले रही है, तो इससे छात्रों की पढ़ाई पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। हालांकि 27 अक्तूबर के बाद एक बार फिर से स्कूलों में नियमित कक्षाओं को लेकर सरकार कोई फैसला ले सकती है।

27 अक्तूबर को कैबिनेट की बैठक होनी है। इस बैठक में शिक्षा विभाग ने अनलॉक-5 की गाइडलाइन का प्रोपोजल सरकार को सौंपा है। बताया जा रहा है कि इस बार शिक्षा विभाग पंजाब, नोयडा, हरियाणा, का हवाला देते हुए कुछ कक्षाओं को नियमित रूप से बुलाने पर कोई निर्णय ले सकते है। बताया जा रहा है कि राज्य सरकार 27 के बाद अगर नियमित कक्षाओं को लेकर मंजूरी भी दे देती है, तो उसमें छात्रों की हाजिरी लगाना अनिवार्य नहीं होगा।

फिलहाल यह जरूर तय है कि नौवीं से लेकर 12वीं तक के छात्रों को सरकार स्कूल में आकर पढ़ाना शुरू करना चाहती है, लेकिन छात्र की जिम्मेवारी से भी डर रही है। गौर हो कि राज्य सरकार ने 15 अक्तूबर के बाद स्कूलों में छात्रों को शिक्षकों के परामर्श लेने की अनुमति दे दी थी। उसके बाद नौवीं से जमा दो के छात्र अभी तक भी परामर्श लेने के लिए स्कूलों में आते है। फिलहाल अब 27 के बाद प्रदेश में स्कूलों में रेगुलर कक्षाएं शुरू हो पाती है, या नहीं, यह देखना होगा।

दरअसल अब शिक्षा विभाग के पास शैक्षिक दिवस पूरे करने के लिए भी बहुत कम समय बचा है। इसके अलावा प्रैक्टीकल छात्रों की पढ़ाई में भी बाधा उत्पन्न हो रही है। सरकार के आदेशों के बाद भी स्कूलों में प्रैक्टीकल छात्र भी स्कूलों में नहीं आ रहे है। बता दें कि सरकार के पास जिलों से आई छात्रों की संख्या की रिपोर्ट से यह तो साफ हो गया है कि छात्र स्कूलों में नहीं आना चाहते। या फिर ये कहे कि कोई जिम्मेदारी नहीं ले रहा है, इस वजह से भी अभिभावक अपने छात्रों को स्कूल भेजने में डर रहे है। यह साल पूरी तरह से खत्म हो रहा है, ओर ऑनलाइन पढ़ाई से ही छात्र पढ़ रहे है।

स्कूल, कालेजों में पढ़ाई कब दूसरी बार नियमित रूप से शुरू होगी, यह देखना अहम होगा। इसके अलावा क्या शिक्षा विभाग व सरकार कोई अंतिम फैसला ले पाता है, या नहीं यह भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि लगातार स्कूल, कालेजों में रेगुलर कक्षाएं शुरू करने के मामले पर सरकार व शिक्षा विभाग के फैसलों में बहुत अंतराल होता है।

बता दे कि सौ प्रतिशत शिक्षक व गैर शिक्षक कार्य पर आ गए है। फिलहाल प्रदेश के स्कूलों में 100 फीसदी शिक्षक और गैर शिक्षक स्टाफ लौट आया है। इस दौरान स्कूलों में कोविड-19 क े बचाव को लेकर पूरी सावधानियां बरती गई। स्कूलों के मुख्य गेट पर हैंड सेनिटाईजर की व्यवस्था की गई। इसके बाद माईक्रोप्लान बनाने के लिए स्कूलों में कमेटियों का गठन किया गया है।

इन कमेटियों ने माईक्रोप्लान प्लान के लिए अपने सुझाव देगी। जिन स्कूलों में 9वीं से 12वीं कक्षा में विद्याॢथयों की संख्या अधिक है, उन स्कूलों में सिटिंग प्लान तैयार करने में शिक्षकों को खासी मशक्कत करनी पड़ सकती है। इसके तहत हर स्कूल में देखा जाएगा कि वहां कितने बच्चे पढ़े रहे हैं। कितने कमरे हैं। कितने विद्यार्थियों को शारीरिक दूरी का ख्याल रखते हुए बुलाया जा सकता है।

अभी स्कूलों में बहुत कम छात्र ही शिक्षकों का परामर्श लेने के लिए आ रहे है। जिससे की यह बड़ा चिंता का विषय भी है, लेकिन फिर भी 27 अक्तूबर को कैबिनेट की बैठक में फैसला लिया जाएंगा कि आगामी स्कूल कॉलेज में रेगुलर कक्षाएं शुरू करने पर क्या अंतिम फैसला होता है।
राजीव शर्मा, शिक्षा सचिव हिमाचल प्रदेश


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