बेटी के सुहाग को बचाने आगे आई बुजुर्ग मां; दामाद को किडनी देकर दी नई जिंदगी, सफल रहा आपरेशन

आमतौर पर कई लोग बुढ़ापे में या तो अपने मां-बाप को घर से निकाल देते हैं या फिर उन्हें घर पर अकेला छोड़कर जीवन व्यतीत करने को मजबूर कर देते हैं, लेकिन समाज में आज भी कई ऐसे लोग हैं, जो रिश्तों की अहमियत को बड़ी बारिकी से समझते हैं और उन्हें जीवंत रखने के लिए अपनी जान तक दांव पर लगा देते हैं। समाचार में इस प्रकार के लोग हालांकि बिरले ही होते हैं, लेकिन उनके लोगों के लिए एक उदाहरण पेश करते हैं, जो बढ़ापे की अवस्था में अपने मां-बाप की कद्र नहीं करते। जिला मंडी के गांव गेहरा की रहने वाली 66 वर्षीय महिला एकादशी देवी ने अपने दामाद के लिए वह किया जो शायद कोई सगा भी नहीं सकता। एकादशी देवी ने अपने दामाद के जीवन को बचाने के लिए अपनी एक किडनी दान दे दी। उनके इस साहसिक कदम से न केवल उनकी बेटी का सुहाग सलामत रहा, बल्कि उन्हें एक नया जीवनदान देकर युवा पीढ़ी के लिए भी मिसाल पेश कर दी।
एकादशी देवी व उनके दामाद तारा चंद का गत बुधवार को पंचकूला जिला हरियाणा के एक निजी अस्पताल में सफल किडनी ट्रांसप्लांट हुआ है। अब दोनों वहां पर बेहतर स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं। बता दें कि तारा चंद मूल रूप से गांव सकलाना, तहसील धर्मपुर, जिला मंडी के रहने वाले हैं, लेकिन गत करीब 25 वर्षों से सोलन के चंबाघाट स्थित एक निजी कंपनी में कार्यरत हैं। ताराचंद के बेटे कुश सकलानी ने बताया कि उनके पिता काफी समय से बीमार चल रहे थे। उन्हें हाई ब्लड प्रेशर और पैरों में सूजन की तकलीफ होती थी और कई बार सांस संबंधी भी दिक्कत होती थी। कुश सकलानी बताते हैं कि 22 जून, 2019 को सोलन में इलाज के दौरान मालूम हुआ कि उनके पिता की दोनों किडनियां खराब हो चुकी हैं, उसके बाद पूरा परिवार चिंतित था कि आगे कैसे होगा। उन्होंने कहा कि एक बार उनकी नानी यानी एकादशी देवी सोलन आए। उनसे उनके पापा की तबीयत देखी नहीं गई। इसके बाद उन्होंने फैसला लिया कि वह अपने दामाद को एक किडनी दान देंगे, ताकि वह भी आम लोगों की तरह स्वस्थ्य जीवन व्यतीत कर सके। हालांकि उम्र के इस पड़ाव में यह सब इतना आसान भी नहीं था, लेकिन एकादशी देवी की हिम्मत और जज्बे के आगे उम्र भी बौनी साबित हो गई। अब सफल आपरेशन होने के बाद पूरा परिवार बेहद खुश है।