झूला पुल के सहारे पहुंचा जा रहा नदी के पार

सुन्नी-शिमला में सतलुज नदी पर दो जिलों को जोड़ने वाला पुल लगभग डेढ़ वर्ष बाद भी अस्तित्व में नहीं आ पाया है, जिस कारण लोगों को नदी के आर पार पहुंचने के लिए अस्थाई तौर पर बनाए गए झूला पुल का ही सहारा लेना पड़ता है। जिसमें जान जोखिम में डाल कर बच्चे, बूढ़े, बीमार एवं महिलाएं सफर करने को मजबूर हैं। यह समस्या शिमला से लगभग 50 किलोमीटर दूर चाबा शाकरा पुल से प्रतिदिन आवाजाही करने वाले सैंकड़ो ग्रामीणों की है। शिमला ग्रामीण के ऐतिहासिक स्थल चाबा से मुख्यमंत्री के गृह जिले मंडी के सबसे बड़े गांव शाकरा को जोड़ने वाला यह पुल वर्ष 2019 की भारी बरसात में टूट गया। सतलुज नदी का जल स्तर बढ़ने के कारण भारी मात्रा में पेड़ एवं चट्टानें टकराने के कारण पुल पूरी तरह ध्वस्त हो गया, जिस कारण नदी के आर पार आवाजाही करने वालों का संपर्क पूरी तरह से कुछ महीनों के लिए टूट गया। लगभग छह महीने की जद्दोजहद के बाद लोक निर्माण विभाग द्वारा एक झूला पुल तो अवश्य लगाया गया है, परंतु उसमें लोगों को जान जोखिम में डाल कर सफर करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

जानकारी के अनुसार इस बारे शिमला ग्रामीण एवं करसोग की लाभान्वित पंचायतों के पंचायत प्रतिनिधियों एवं सामुदाय आधारित जनसंगठनों ने मुख्यमंत्री एवं संबंधित विधायकों को प्रस्ताव के माध्यम से यातायात योग्य निर्माण की गुहार भी लगाई गई है, परंतु अभी तक इस संबंध में कोई भी करवाई नहीं हो पाई। भाजपा युवा मोर्चा करसोग के सह प्रवक्ता धर्मेंद्र शर्मा के अलावा क्षेत्रवासियीं सुभाष वर्मा, रमेश, धनीराम, विपिन, सुरेंद्र, खुशीराम, हरजीत ने सरकार से मांग की है कि शीघ्र ही पुल को यातायात योग्य बनाया जाए, ताकि क्षेत्र के गरीब लोगों को इसका लाभ मिल सके।