किसानों-बागबानों ने लगाई आसमान की ओर टकटकी

 भुंतर-जिला कुल्लू के किसानों-बागबानों को अक्तूबर माह में अंबर से सूखा बरसा है। नई फसलों को लगाने के लिए जिला के किसान सितंबर माह से आसमान से राहत बरसने की आस में हैं, लेकिन इंद्र देव कृपा बरसाने को तैयार नहीं है। लिहाजा, लहसुन, मटर और गेहूं की करोड़ों की फसल की बिजाई का कार्य थम गया है। वहीं, मौसम विभाग के पूर्वानुमानों के अनुसार आने वाले दो सप्ताह तक राहत की आस शून्य के बराबर है। कुल्लू में अक्तूबर माह के मध्य से लहसुन, मटर और गेहूं की बीजाई का कार्य आरंभ हो जाता है। यहां पर नकदी फसलों की खेती होने के कारण मटर को सबसे ज्यादा अहमियत दी जाती है। कुल्लू में करीब 1500 हेक्टेयर में मटर की फसल की बिजाई होती है और इससे किसानों को 50 से 60 करोड़ रुपए की आय मिलती है। इसके अलावा लहसुन की क्षेत्र जिला में करीब 1000 हेक्टेयर के पार पहुंचा है और इस फसल से भी करोड़ों की आमदानी हर साल किसान अब कर रहे हैं।

जिला में किसानों को हालांकि अक्तूबर में हालांकि राहत बहुत कम मिलती है और मौसम विभाग के अनुसार इस दौरान औसतन 25 मिली मीटर बारिश दर्ज होती है, लेकिन इस बार यहां शून्य मिली मीटर बारिश दर्ज हुई है। जिला में इन दिनों निचले व मध्यम इलाके के किसान लहसुन की फसल लगाने की तैयारी में जुटे हैं, लेकिन बारिश न होने से उन किसानों का शेड्यूल खराब हो गया है, जिनके पास पानी की व्यवस्था नहीं है। बारिश न होने तक फिलहाल ये किसान लहसुन की बीजाई करने की हिम्मत नहीं दिखाते नजर आ रहे हैं। मटर की फसल की बीजाई के लिए भी खेतों को तैयार करने का कार्य नहीं हो पा रहा है। बता दें कि इससे पहले साल 2016-17 में भी अक्तूबर से दिसंबर माह तक भारी सूखा पड़ने से किसानों को जनवरी में मटर की फसल की बिजाई करनी पड़ी थी और इससे भारी नुकसान इन्हें हुआ था। किसानों के अनुसार अगर आने वाले दो सप्ताह में भी बारिश नहीं होती है तो इस फसल पर प्रभाव पड़ सकता है।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

जिला कुल्लू के बजौरा में स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी डा. केसी शर्मा कहते हैं कि लहसुन लगाने का समय हो गया है और किसानों को इसके साथ मटर के लिए भी खेतों को तैयार करना चाहिए। उन्होंने पानी की वैकल्पिक व्यवस्था करने का भी आग्रह किसानों से किया है ताकि समय पर लग सके।