फलाणी नारायण-भगवान रघुनाथ का भव्य मिलन

कुल्लू-अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव का चौथा दिन तब खास बना, जब किसी श्रद्धालु के घर बुलावे पर जा रहे देवता लगघाटी के फलाणी नारायण ढोल-नगाड़ों, नरसिंगों की देवधुनों के साथ अठारह करडू की सौह स्थित भगवान रघुनाथ जी के अस्थायी शिविर में विराजमान हुए। बुलावे पर जा रहे देवता भी भगवान रघुनाथ जी से मिलना नहीं भूले। हालांकि हारियान देवता को ढालपुर मुख्य सड़क से होकर सीधा देव रथ को ले जा रहे थे, लेकिन जैसे ही देवता रघुनाथ जी के अस्थायी शिविर के आसपास पहुंचे तो देवता का रथ सीधा हिलते-ढुलते भगवान रघुनाथ जी के दर पहुंचा, जहां देवता ने भगवान रघुनाथ जी से भव्य मिलन किया। वहीं, इस दौरान भगवान रघुनाथ जी के मुख्य छड़ीबरदार भी देवता के आते ही शिविर के पास पहुंचे। वहीं, इस दौरान देवता फलाणी नारायण ने गूरबाणी में यह आदेश दिया कि दुख-बीमारी को दूर करने के लिए कुल्लू घर में जगती होनी जरूरी है। यह आदेश देवता फलाणी नारायण ने अपने हारियानों के साथ-साथ भगवान रघुनाथ जी के मुख्य छड़ीबरदार को भी दिए।

देवता ने कहा कि आगामी समय में कुछ दुख-बीमारी का बोलबाला दिख रहा है, ऐसे में अठारह करडू एकत्रित होने और जगती करने से दुख-बीमारी पर रोक लगेगी। इस दौरान देवता ने मुख्य छड़ीबरदार को देव दुपटा भी दिया। वहीं,  इसके बाद देवता सीधे वाद्य यंत्रों की धुनों पर सीधे देवों के देव बिजली महादेव के अस्थायी शिविर में पहुंचे और देवता से भव्य देव मिलन किया। बता दें कि दशहरा उत्सव के चौथे दिन फलाणी नारायण भी देव रथ में अठारह करडू की सौह में पहुंचे। देवता ने बाकायदा दशहरा मैदान में नहीं आना था, लेकिन श्रद्धालु के बुलावे पर जा रहे देवता महाराज से भव्य मिलन करना नहीं भूले। बता दें कि इतिहास में यह पहली बार देखेन को मिल रहा है कि दशहरा उत्सव के चौथे दिन भी देवता दशहरा उत्सव की ओर आ रहे हैं। आज तक ऐसा देखने को नहीं मिला।

दशहरा उत्सव से पहले दिन या उत्सव के दिन ही सभी देवी-देवता ढालपुर पहुंचते थे, लेकिन इस बार उत्सव के दूसरे दिन, तीसरे और चौथे दिन भी देवी-देवताओं के आने का क्रम जारी रहा। कोरोना के चलते इस बार कुछ यूं भी देखने को मिल रह है। दूसरे दिन माता दुर्गा रंखडू, तीसरे दिन देवता वीरनाथ फोजल और तीसरे दिन लगघाटी का फलाणी नारायण भगवान रघुनाथ जी से रथ में विराजमान होकर देव मिलन करने पहुंचा। भले ही यह देवी-देवता देव मिलन करने के बाद वापस लौटे, लेकिन इतिहास में इस बार दशहरा उत्सव अलग सा देखने को मिल रहा है।

देवमय हुआ ढालपुर

बता दें कि जैसे ही देवता फलाणी नारायण ढालपुर मैदान में पहुंचे तो मैदान कोने-कोने में धूप का आनंद ले रहे लोग भी भगवान रघुनाथ जी के शिविर की ओर दौड़ पड़े और थोड़ी देर के लिए लोगों की भीड़ यहां पर दिखी, उसके बाद फिर मैदान खाली-खाली दिखा। लिहाजा, फलाणी नारायण विराजमान होने से थोड़ी देर के लिए ढालपुर का माहौल और देवमयी हो गया था।