कोरोना की भेंट चढ़ा हरण नृत्य
बंजार-कई सदियों से चला आ रहा हरण नृत्य कोरोना महामारी के चलते भेंट चढ़ गया है। सदियों से चली आ रही इस परंपरा का निर्वहन उपमंडल बंजार के अनेक गांवों में बड़ी धूमधाम से चांदनी रात की चमकाहट में इस नृत्य को दर्शाया जाता था और इस नृत्य को करने के लिए लोग अपने-अपने क्षेत्रों से झुंड बनाकर के अनेक प्रकार के बाजे-गाजे के सहित एक-दूसरे गांव में आकर एक हरण को बना करके बड़ी बखूबी से नचाया जाता था।
यह पर्व साल में एक बार विश्व विख्यात दशहरा उत्सव के दौरान उपमंडल बंजार में यह नृत्य सात दिनों तक चांदनी रात की रात में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता था। इस नृत्य में लोग हरण के गीत अनेक प्रकार के स्वांग करके इस नृत्य का निर्वहन करते थे, पर इस वर्ष कोरोना महामारी के चलते इस नृत्य में भी कोरोना लग गया है। एक तरफ तो दशहरा पर्व को सूक्ष्म तरीके से मनाया जा रहा है दूसरी तरफ यह हरण नृत्य को मनाने के लिए आज विश्व विख्यात दशहरे पर्व को तीन दिन हो चुके हैं। वैसे तो यह नृत्य जैसे ही दशहरा होता है उसी रात से यह नृत्य उपमंडल बंजार में बड़ी धूमधाम से सारी रात भर मनाया जाता है। प्रतिवर्ष इस परंपरा का निर्वहन करने के लिए लोग कई दिनों से पूर्व तैयारियों में जुट जाते थे। इसके गीतों की रिहर्सल होती थी। वाद्य यंत्रों के साथ इसका मिलान होता था और चांदनी रात की चमकाहट में इस नृत्य को करके उपमंडल बंजार में पूरी सात रातों तक यह नृत्य का मंचन करके लोग काफी खुश होकर के इस नृत्य को रात में चाहे हरण दो बजे भी आए तो लोग इस नृत्य को देखने के लिए काफी आतुर होते थे।
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