जमूरों ने देश को आगे बढ़ाया

By: निर्मल असो, स्वतंत्र लेखक Oct 19th, 2020 12:06 am

इस युग की सफलता में अगर दर्ज होना है तो मदारी बनकर देखिए कि आपकी कतार में कितने जमूरे खड़े हो जाते हैं। जमूरा है, लेकिन मदारी अब मैदान में नहीं आता। वह सर्वश्रेष्ठ प्रोफेशनल और हर पावर का सेंटर है। जितना बड़ा मदारी, उतने ही ज्यादा उसके पक्ष में खड़े जमूरे। किसी ने पूछा समर्थक व जमूरे में क्या अंतर, तो जमूरे को यह अपशब्द की तरह चुभा। उसे मालूम था कि समर्थक होना अब गाली है। समर्थक बनने के लिए दिल और दिमाग की जरूरत है, लेकिन इधर तो बस इशारे की देर है। समर्थक को सामने आकर मदारी का कद बताना पड़ता है, लेकिन जमूरा जिसके साथ बंध गया, समझो पूरा युग बंध गया। इसलिए राजनीति में अब जमूरों की कद्र है। पिछले साठ साल मदारियों ने ही देश को तबाह किया, अब जमूरों की बारी है। जमूरा इस तरह राष्ट्र के लिए अंधा होकर भी काम कर रहा है। वह अंधभक्त होकर ही मदारी को बचा रहा है। अब वह मेलों में नहीं आता, बल्कि कहीं भी शो दिखा सकता है। ताजातरीन उदाहरण उद्धव ठाकरे का है, जो मुख्यमंत्री होते हुए भी जमूरे पैदा नहीं कर पाए और इधर कंगना को देखिए हर बार अघोषित जमूरे की तरह काम करती है। दरअसल बॉलीवुड में जमूरों के कारण देश अपनी पटकथा लिख रहा है। कल इसी तरह इतिहास भी जमूरे ही लिखेंगे। उसे पता है कि हाथरस पर नहीं बोलना या कोटखाई की गुडि़या कांड पर खामोश रहना, लेकिन महाराष्ट्र में तमाशा करना है, तो ईमानदारी से काम कर रही है। हम सभी तमाशबीन हैं, इसलिए हमारे आसपास जमूरे शो कर रहे हैं।

हर समय कोई न कोई जमूरा हमारे नजदीक खड़ा है। एक पुरानी एक्टे्रस खुशबू ने दक्षिण भारत से निकल कर कांग्रेस को अपना शो बनाया और अब भाजपा में मदारी ढूंढ रही है। हमारे सारे अज्ञान केवल जमूरों की वजह से हट रहे हैं। जमूरे न होते तो देश को मालूम ही नहीं होता कि कहीं कोई टुकड़े-टुकड़े गैंग भी है। खुद खान मार्किट को पता नहीं था कि उसके नाम की कोई गैंग अवतरित है, बल्कि यह इन्हीं जमूरों की बदौलत सामने आया। अब तो हर भारतीय को किसी न किसी जमूरे से पूछना होगा कि उसके भीतर भारतीयता या राष्ट्रीयता है भी या नहीं। इससे पहले कि कोई आपको पाकिस्तान भेज दे, जमूरों से पूछें या उन्हें ही कहें कि बख्श दें। फिर भी अगर खुद पर शक हो तो जमूरा बन जाओ। इसके लिए किसी ज्ञान की जरूरत नहीं। रोज शाम को अर्णब गोस्वामी का टीवी शो देख लें या ट्विटर की ट्रेंडिंग देख लें क्योंकि अब वहीं से तो पता चलता है कि कल सूरज निकलेगा या राहुल गांधी आज कौनसी गलती करेगा। देश के लिए जमूरा बनो। देश के लिए कभी तनिष्क के आभूषणों का प्रचार रोकें, कभी फिल्म का प्रदर्शन रुकवाएं। यह जमूरों का कमाल है कि अपने इर्द-गिर्द के मदारियों का यशगान किया जाए। जमूरे टीवी की टीआरपी की तरह काम करते हैं। किसी की शिलान्यास पट्टिका हटाते, तो किसी के नाम पर देश का बार-बार उद्घाटन करते। देश हर दिन अगर मजबूत हो रहा है, तो यह जमूरों का कमाल है। हम विश्व की हस्ती, विश्व गुरु और महाशक्ति लगभग बन चुके हैं और यह सब किसी ने वर्षों पहले तक नहीं किया था, बल्कि जबसे नेता मदारी और समर्थक पूरी तरह जमूरे बने, चारों तरफ तरक्की ही तरक्की हो रही है।


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