किसी अजूबे से कम नहीं हैं रामायण के पात्र

By: Oct 31st, 2020 12:20 am

श्रीराम का जीवनकाल एवं पराक्रम महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित संस्कृत महाकाव्य रामायण के रूप में वर्णित हुआ है। रामायण में सीता की खोज में श्रीलंका जाने के लिए 25 किलोमीटर पत्थर के सेतु का निर्माण करने का उल्लेख प्राप्त होता है जिसको रामसेतु कहते हैं, वह आज भी स्थित है जिसकी कार्बन डेटिंग में पांच हजार वर्ष पूर्व का अनुमान लगाया गया है। मान्यता अनुसार गोस्वामी तुलसीदास ने भी उनके जीवन पर केंद्रित भक्तिभावपूर्ण सुप्रसिद्ध महाकाव्य रामचरितमानस की रचना की है। इन दोनों के अतिरिक्त अन्य भारतीय भाषाओं में भी रामायण की रचनाएं हुई हैं, जो काफी प्रसिद्ध भी हैं। खास तौर पर उत्तर भारत में श्री राम अत्यंत पूजनीय हैं और आदर्श पुरुष हैं। इन्हें पुरुषोत्तम शब्द से भी अलंकृत किया जाता है। मर्यादा पुरुषोत्तम राम अयोध्या के राजा दशरथ और रानी कौशल्या के सबसे बड़े पुत्र थे…

श्री राम भगवान श्री रामचंद्र हिंदू धर्म के सबसे पूजनीय, सबसे महानतम देव माने जाते हैं। रामायण में वर्णन अनुसार राजा दशरथ की पत्नी को पुत्र उत्पन्न नहीं हो रहा था तो सृंगी ऋषि द्वारा प्रसाद स्वरूप खीर को खाने से पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई थी। जिसे राम के नाम से पूरा हिंदू समाज जानता है, वही राम आगे अपने व्यक्तित्व, मर्यादा, नैतिकता, विनम्रता, करुणा, क्षमा, धैर्य, त्याग तथा पराक्रम का सर्वोत्तम उदाहरण माना जाता है।

श्रीराम का जीवनकाल एवं पराक्रम महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित संस्कृत महाकाव्य रामायण के रूप में वर्णित हुआ है। रामायण में सीता की खोज में श्रीलंका जाने के लिए 25 किलोमीटर पत्थर के सेतु का निर्माण करने का उल्लेख प्राप्त होता है जिसको रामसेतु कहते हैं, वह आज भी स्थित है जिसकी कार्बन डेटिंग में पांच हजार वर्ष पूर्व का अनुमान लगाया गया है। मान्यता अनुसार गोस्वामी तुलसीदास ने भी उनके जीवन पर केंद्रित भक्तिभावपूर्ण सुप्रसिद्ध महाकाव्य रामचरितमानस की रचना की है। इन दोनों के अतिरिक्त अन्य भारतीय भाषाओं में भी रामायण की रचनाएं हुई हैं, जो काफी प्रसिद्ध भी हैं। खास तौर पर उत्तर भारत में श्री राम अत्यंत पूजनीय हैं और आदर्श पुरुष हैं। इन्हें पुरुषोत्तम शब्द से भी अलंकृत किया जाता है। मर्यादा पुरुषोत्तम राम अयोध्या के राजा दशरथ और रानी कौशल्या के सबसे बड़े पुत्र थे। राम की पत्नी का नाम सीता था। इनके तीन भाई थे लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न। हनुमान, राम के सबसे बड़े भक्त माने जाते हैं। राम ने लंका के राजा रावण, जिसने अधर्म का पथ अपना लिया था, का वध किया। श्री राम की प्रतिष्ठा मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में है। श्री राम ने मर्यादा के पालन के लिए राज्य, मित्र, माता-पिता, यहां तक कि पत्नी का भी साथ छोड़ा। इनका परिवार आदर्श भारतीय परिवार का प्रतिनिधित्व करता है। राम रघुकुल में जन्मे थे जिसकी परंपरा ‘प्रान जाहुं बरु बचनु न जाई’ की थी। राम के पिता दशरथ ने उनकी सौतेली माता कैकेयी को उनकी किन्हीं दो इच्छाओं को पूरा करने का वचन (वर) दिया था।

 कैकेयी ने दासी मंथरा के बहकावे में आकर इन वरों के रूप में राजा दशरथ से अपने पुत्र भरत के लिए अयोध्या का राजसिंहासन और राम के लिए चौदह वर्ष का वनवास मांगा। पिता के वचन की रक्षा के लिए राम ने खुशी से चौदह वर्ष का वनवास स्वीकार किया। पत्नी सीता ने आदर्श पत्नी का उदाहरण देते हुए पति के साथ वन (वनवास) जाना उचित समझा। भाई लक्ष्मण ने भी राम के साथ चौदह वर्ष वन में बिताए। भरत ने न्याय के लिए माता का आदेश ठुकराया और बड़े भाई राम के पास वन जाकर उनकी चरणपादुका (खड़ाऊं) ले आए। फिर इसे ही राज गद्दी पर रख कर राजकाज किया। जब राम वनवासी थे, तभी उनकी पत्नी सीता को रावण हरण कर ले गया। जंगल में राम को हनुमान जैसा मित्र और भक्त मिला जिसने राम के सारे कार्य पूरे कराए। राम ने हनुमान, सुग्रीव आदि वानर जाति के महापुरुषों की सहायता से सीता को ढूंढा।


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