सजने लगा भगवान रघुनाथ का शिविर

By: कार्यालय संवाददाता-कुल्लू Oct 24th, 2020 12:30 am

कोरोना के चलते इस बार समिति रूप में होगा अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव

कुल्लू-अठारह करडू की सौ ढालपुर में इस बार मात्र सात देवी-देवताओं के आगमन से दशहरा उत्सव की रस्म को पूरा किया जाएगा। कोरोना संकट ने इस बार देवी-देवताओं के हुजूम को रोक दिया है, जहां दशहरा कमेटी और जिला प्रशासन 300 के करीब देवी-देवताओं को हर वर्ष दशहरा उत्सव का निमंत्रण भेजता था और उत्सव में करीब अढ़ाई सौ से अधिक देवी-देवता पिछले कुछ वर्षों से भाग ले रहे थे, लेकिन इस बार अढ़ाई सौ से अधिक देवी-देवताओं में से मात्र सात देवी-देवता उत्सव में विराजमान होंगे। बता दें कि अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव के लिए भगवान रघुनाथ का अस्थायी शिविर ढालपुर में सजने लगा है। शनिवार शाम तक भगवान रघुनाथ के अस्थायी शिविर को पूरी तरह से सजाया जाएगा। शुक्रवार को दिनभर भगवान रघुनाथ के कारकून शिविर सजाने के कार्य में डटे रहे।

इसके अलावा जिला मुख्यालय के साथ सटे पीज क्षेत्र के आराध्य देवता  जम्दग्नि ऋषि (जमलू) के कारकून भी शुक्रवार को ढालपुर में पहुंचे हैं। वहीं, कारकूनों ने देवता का अस्थायी शिविर को सजाने का कार्य आरंभ कर दिया है। देवी-देवताओं के आगमन से पहले अस्थायी शिविरों को सजाया जाएगा। यही नहीं, इस बार मात्र भगवान रघुनाथ के अस्थायी शिविर वाले मैदान को ही लाइटों के साथ सजाया जा रहा है, लेकिन अन्य मैदान इस बार कोरोना संकट के चलते सजाए नहीं जाएंगे। क्योंकि इस बार कोरोना संकट के चलते व्यापारिक कारोबार पर पूरी तरह से पाबंदी सरकार और जिला प्रशासन ने लगा रखी है। इस बार पहली बार यह भी देखने को मिलेगा कि उत्सव में विराजमान होने वाले देवी-देवताओं के दर्शन श्रद्धालुओं को सोशल डिस्टेंसिंग के साथ पंक्ति लगाकर करने होंगे। बाकायदा अस्थायी शिविरों के गेट के बाहर दोनों तरफ पाइपें लगाकर दर्शन के लिए जगह बनाई गई  है। एग्जिट और इन के लिए पाइपें लगाकर रास्ता बनाया गया है। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए श्रद्धालुओं को प्रशासन के नियमों अनुसार देवी-देवताओं के दर्शन करने होंगे। लिहाजा, ढालपुर मैदान इस बार दशहरा उत्सव में खाली-खाली दिखेगा। मात्र सात देवी-देवताओं की देव धुनें इस बार ढालपुर मैदान में बजतीं सुनाई देंगी।

देवलुओं के अरमानों पर कोरोना पड़ा भारी

जहां दशहरा उत्सव की तैयारियों को लेकर हर वर्ष देवी-देवताओं के कारकून और हारियान छह महीने से लेकर तैयारियां करते थे, लेकिन इस बार देवी-देवताओं के देव रथों को सजाने के अरमान भी कोरोना के चलते अधूरे रह गए, जहां तीन-चार दिनों पहले देवी-देवताओं के देव रथ  ढोल-नगाड़ों, नरसिंगों, करनाल, शहनाई की देव ध्वनियों के साथ-साथ शक्तियों लेकर अठारह करडू की सौह में भव्य देवमिलन के लिए आने शुरू होते थे, लेकिन इस बार मंदिरों से लेकर कुल्लू तक होने वाली देव यात्रा, देव रास्ते सुनसान हो गए हैं।


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