ऊना में श्रमिक विरोधी कानून पर गरजे मजदूर

भारतीय मजदूर संघ कानून के संशोधन पर किया धरना-प्रदर्शन, पुरानी पेंशन बहाली पर मांगी जल्द कार्रवाई

 ऊना-भारतीय मजदूर संघ जिला ऊना ने श्रम कोर्ड में श्रमिक विरोधी संशोधन किए जाने के विरोध में ऊना मुख्यालय पर धरना-प्रदर्शन कर विरोध दिवस मनाया। बुधवार को भारी संख्या में मजदूरों ने जिला कार्यालयों व श्रम विभाग कार्यालय पर धरना-प्रदर्शन किया। प्रदर्शन भारतीय मजदूर संघ के जिला प्रधान गुरमेल सिंह बैंस की अध्यक्षता में किया गया। इसके उपरांत उपायुक्त ऊना के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व श्रममंत्री संतोष गंगवार को ज्ञापन भी प्रेषित किए गए। जिला प्रधान गुरमेल सिंह बैंस ने कहा कि औद्योगिक नियोजन अधिनियम में 100 से कम श्रमिकों वाले प्रतिष्ठानों को लेआफ छंटनी और कारखाना बंद आदि के लिए सरकार से अनुमति की आवश्यकता नहीं रहती है। उस 100 की संख्या को 300 कर दिया गया है। ऐसे में कुछ भारी उद्योगों को छोड़कर सभी उद्योगों के कर्मचारी इससे प्रभावित होंगे और उनकी नौकरियां असुरक्षित हो गई है। इस नियम में संशोधन कर सरकार ने कारखाना मालिकों को मनमानी करने का अधिकार दे दिया है। उन्होंने कहा कि उक्त संशोधन से अधिकांश उद्योगों पर स्टैडिंग आर्डर भी निष्प्रभावी हो गए है। ऐसे में मन माने तरीके से सेवायोजकों को स्टैडिंग आर्डर बनाने का अधिकार मिल गया है।

हड़ताल संबंधी सूचना आवश्यक सेवाओं में देना जाना अनिवार्य था। अब वह सभी के लिए अनिवार्य कर दिया गया है। टे्रड यूनियन एक्ट में उद्योगों के 51 प्रतिशत श्रमिकों की सदस्यता रखने वाले यूनियन को निगोशियशन का अधिकार देने देने की नई व्यवस्था एक यूनियन को बढ़ाने एवं अन्य यूनियन को नजरअंदाज करने की नीति की नीति को बढ़ावा मिलेगा, जोकि श्रमिक हित में नहीं है। उन्होंने कहा कि आशा कार्यकर्ताओं, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं-सहायिकाओं, मिड-डे मील, सिलाई अध्यापिकाओं को सरकारी कर्मचारी घोषित करें। इन्हें 18 हजार रुपए प्रतिमाह वेतन दिया जाए। पुरानी पेंशन योजना को वर्ष 2003 के बाद से कर्मचारियों को भी दिया जाए। उन्होंने कहा कि सामाजिक सुरक्षा कानूनो को मजबूत करने की बजाय उन्हें शिथिल किया गया है। ट्रेड यूनियन को दरकिनार करते हुए अनेक श्रमिक विरोधी संशोधन किए है। इसका भारतीय मजदूर संघ विरोध करता है। उन्होंने कहा कि सरकार उक्त संशोधनों को जल्द दुरुस्त करें।