ऊना में सूखे की मार… पहले आलू ने रुलाया, अब गेहूं की टेंशन

By: दिव्य हिमाचल ब्यूरो। ऊना Oct 28th, 2020 12:25 am

बारिश न होने से किसानों-बागबानों को करना पड़ रहा दिक्कतों का सामना, आलू की फसल पर भी पड़ी मार

 ऊना-जिला ऊना में अधिकतर किसान गेंहू की फसल की बीजाई के लिए बारिश का इंतजार कर रहे है। वही, पिछले करीब दो माह से जिला में बारिश न पड़ने से आलू की खेती कर रहे किसानों को भी भारी दिक्कते उठानी पड़ रही है। जिला में अभी भी ज्यादातर खेती योग्य भूमि बारिश के पानी पर निर्भर है। इस दफा अभी तक बारिश न होने से खेतों में पहली वाटरिंग के लिए जल शक्ति व कृषि विभाग की सिंचाई योजनाओं पर भार बढ़ा है। खेतों में पानी लगाने के लिए सिंचाई स्कीमों में डिमांड में बढ़ोतरी हुई है तथा जल शक्ति विभाग के लिए इसे पुरा करना चुनौती बना हुआ है। हालांकि सुखद पहलू यह है कि अभी तक जिला ऊना में बारिश न होने के कारण सिंचाई व पेयजल योजनाओं पर कोई असर नहीं पड़ा है तथा सभी योजनाएं अपनी पुरी क्षमता से कार्य कर रही है।

ऊना में 43 हजार हेक्टेयर कृषि योगय भूमि, बंगाणा ब्लॉक में खेती पूरी तरह बारिश पर निर्भर है। विभागीय आंकड़ों के अनुसार जिला ऊना के कुल 1.55 लाख ैहेक्टेयर भौगोलिक क्षेत्र के करीब एक चौथाई हिस्से पर खेती की जाती है। जिला में शुद्ध बिजाई के तहत लभगत 43 हजार हेक्टेयर क्षेत्र आता है। जबकि 18153 हेक्टेयर वन, 23138 हेक्टेयर बंजर व बिना खेती के क्षेत्र तथा 29106 हेक्टेयर घासनी व चरागाहे आती है। इसके अलावा बागबानी में 6728 हेक्टेयर भूमि, 23571 कल्टरेवल वेस्ट लेंड, 2349 हेक्टेयर कृषि योग्य खाली भूमि, 983 हेक्टेयर मौजूदा कृषि योगय खाली छोड़ी भूमि आती है। कृषि विभाग के अांकड़ों के अनुसार जिला में करीब 12335 हेक्टेयर सिंचित क्षेत्र है, जबकि जल शक्ति विभाग के अनुसार जिला में 18000 हेक्टेयर के करीब भूमि विभाग की ही सिंचाई योजनाओं के तहत सिंचित हो रही है। इसके अलावा जिला में बड़ी संख्या में लोगों ने अपनी भूमि पर टयूबबेल लगाए है, जिससे वह कृषि कार्यों को अंजाम दे रहे है। वहीं, उपनिदेशक कृषि ऊना डा.अतुल डोगरा ने कहा कि किसानों को मौसम व कृषि विभाग से लगातार संपर्क में रहना चाहिए। वैदर फोरकास्ट को ध्यान में रखते हुए किसान अपने खेतों को गेहूं की फसल की बिजाई के लिए तैयार रखे। उन्होंने कहा कि नंबवर व दिसंबर माह तक गेंहू की बिजाई के लिए समय है।

जिला में करीब 15000 क्विंटल गेहूं का बीज किसानों को उपलब्ध करवाया गया है। बारिश पर पुरी तरह से निर्भर बंगाणा ब्लाक में किसानों को एचपीडब्लयू 360 व 368 वितरित किया गया है। उन्होंने कहा कि यहां पर किसान बिजाई करने के बाद सुहागा जरूर लगाए। इससे भूमि में नमी को बनाए रखने में सहायता मिलती है। वहीं, ऊना,अंब व हरोली ब्लाक में सिंचाई योजनाओं से वाटरिंग में सहायता मिल सकती है। डा.अतुल डोगरा ने कहा कि आलू की खेती कर रहे किसानों को टयूबबेल के माध्यम से लगातार पानी देना है,ताकि वह समय पर फसल को निकाल सकें। सब्जी उत्पादकों को सिंचाई के पानी की समस्या के स्थाई हल के लिए डा.अतुल डोगरा ने बरसात के पानी के संचय करने,हारवेस्टिंग टैंक बनाने तथा खेतों में ड्रिप इरिगेशन सिस्टम को अपनाते हुए पानी के सदुपयोग करने की सलाह दी है। वहीं, जल शक्ति विभाग ऊना सर्किल अधीक्षण अभियंता ई.एसके शर्मा ने कहा कि जिला में विभाग के माध्यम से करीब 18000 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि को सिंचित किया जा रहा है,जबकि कृषि,बागवानी विभागों के अलावा किसान निजी सिंचाई योजनाओं से भी खेतों को सींच रहे है।

उन्होंने बताया कि जिला ऊना में जल शक्ति विभाग की 537 सिंचाई योजनाएं है तथा सभी ट्यूबबेल बेस्ड है। पिछले दो माह से नाममात्र की बारिश होने के बावजूद सिंचाई योजनाओं पर कोई विपरित असर नही पड़ा है तथा अपनी पुरी क्षमता से कार्य कर रही है। बारिश न होने से वाटरिंग के लिए किसानों की डिमांड जरूर बड़ी है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष जिला में 1100 एमएम बारिश का लक्ष्य करीब-करीब पुरा हो जाएगा तथा पेयजल व सिंचाई योजनाओं पर कोई विपरित असर नहीं पड़ेगा।

ऊना में 30 हजार हेक्टेयर में गेहूं         

ऊना जिला के 80 हजार के करीब परिवारों में से 70 प्रतिशत से अधिक कृषि पर निर्भर करते है। जिला में हर साल करीब 30 हजार हेक्टेयर भूमि पर गेहूं, 22 हजार हेक्टेयर में मक्की की खेती, 2500 हेक्टेयर में धान, 750 हेक्टेयर में दाले, 1250 हेक्टेयर में तिलहन फसले, 1500 हेक्टेयर में सब्जियां तथा करीब 200 हेक्टेयर में गन्ने का उत्पादन किया जाता है। इसके अलावा 1600 हेक्टेयर भूमि पर आलू की फसल भी लगा रहे है। जिला में बड़े पैमाने पर बागबानी भी की जा रही है। ऊना में किन्नू, आम, नाशपत्ती इत्यादि फलों का उत्पादन होता है।

किन्नू की गुणवत्ता पर असर

बागबानी क्षेत्र में जिला ऊना की प्रमुख फसल किन्नू बारिश न होने के कारण बुरी तरह प्रभावित हुई है। पानी की कमी के चलते यहा किन्नू गिर रहे है,वहीं इसके साईज में भी अपेक्षित बढ़ोतरी नही हो पा रही है। वहीं, रेन फेड एरिया में बरसात के मौसम में लगाए गए 25000 के करीब पौधों में से 20 प्रतिशत के सर्वाईवल पर भी असर पड़ेगा।

क्यां कहते हैं किसान      

जिला ऊना के लालसिंगी गांव के प्रगतिशील कृषक मलकीयत सिंह,पंकज रायजादा, हितेश व अन्य  ने बताया कि इस दफा उन्होंने 200 कनाल से अधिक भूमि पर आलू लगाया है,लेकिन बारिश न होने से उन्हें दिक्कतें आ रही है। आलू की फसल के लिए अब लगातार अपने ट्यूबबेलों से पानी लगाया जा रहा है, जिससे लेबर व बिजली के खर्चे में बढ़ोतरी हुई है। ऊना के अरन्याला गांव के किसान लेखराज सैणी ने बताया कि उन्होंने करीब 20 कनाल भूमि पर सब्जी लगाई थी, लेकिन पानी की कमी के चलते सब्जी उत्पादन कम रहने की आंशका है। वहीं,अंदोरा के किसान चरणजीत सिंह,दियोली के अभिषेक ठाकुर,ऊना के किसान सुधीर ने बताया कि उन्होंने खेतों में सब्जियां,आलू इत्यादि लगाए है,लेकिन बारिश न होने के कारण सिंचाई के लिए टयूबबेल के पानी पर निर्भर रहना पड़ रहा है। इससे भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।


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