300 साल पुराने 500 आम के पेड़ों पर कुल्हाड़ी

By: कृष्णपाल शर्मा — बंगाणा Nov 25th, 2020 12:01 am

बंगाणा उपमंडल में दो माह में 300 वर्ष पुराने 500 से ज्यादा आम के पेड़ों पर कुल्हाड़ी चलाकर ठेकेदारों ने खूब चांदी कूटी है, लेकिन किसानों के हाथ कुछ भी नहीं लगा है। 400 से 500 के करीब पर फीट पर कटे आम के पेड़ पंजाब में 1200 रुपए प्रति क्विंटल बिके हैं, लेकिन किसानों को ठेकेदारों ने केवल बालन के हिसाब से ही भुगतान करके उनकी जेबों पर डाका डाला है।

बताते चलें कि एक तरफ तो सरकार बरसात में करोड़ों खर्च करके फलदार पौधे लगा रही है और पर्यावरण को स्वच्छ बनाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रही है, लेकिन दूसरी तरफ ठेकेदार अपनी मोटी कमाई के लिए आम जैसे फलदार पौधों पर कुल्हाड़ी चला रहे हैं, लेकिन सरकार और फॉरेस्ट विभाग कोई ठोस नीति नहीं बना रहे। बताते चलें कि फॉरेस्ट विभाग से एक दिन में बालन का लाइसेंस बनाकर कुछ चुनिंदा लोग किसानों से बालन खरीदने का काम करते हैं। किसानों से बालन को कौढ़ी के भाव खरीदकर पंजाब के होशियारपुर और पटियाला में 1200 रुपए प्रति क्विंटल बेच रहे हैं और सारी पुरानी प्रजाति को खत्म कर रहे हैं।

ऊना हमीरपुर, बिलासपुर और कांगड़ा में पुरानी प्रजाति के आम ज्यादा मात्रा में होते हैं। 300 से 400 वर्ष पुराने फलदार आम के पेड़ 35 से 40 फीट मोटे थे। एक-एक आम पर 200 टन से ज्यादा बालन भी था, लेकिन ठेकेदारों ने पुरानी आम की प्रजाति पर कुल्हाड़ी चलाकर उसे पूरी तरह से ही खत्म कर दिया है। बुद्धिजीवी लोगों का कहना है कि सरकार और खासकर वन मंत्री राकेश पठानिया राज्य में पर्यावरण को स्वच्छ रखने के लिए ग्रीन फीलिंग का कटान बंद करवाएं। दस साल पहले पुरानी प्रजाति के आम बरसात के दिनों में हजारों रुपए में बिकते थे। किसानों को फसलों के साथ आम के फलों को बेचकर मुनाफा भी होता था।    एफिडेविट की जांच हो

लोगों का कहना है कि फॉरेस्ट ठेकेदारों ने जो किसानों के नाम एफिडेविड बनाकर आम के पेड़ों के कटान के लिए दिए हैं। क्या वास्तव में उन किसानों ने एफिडेविट पर हस्ताक्षर किए हैं, इसकी पूरी जांच हो। जिन किसानों के आम के पेड़ काटे गए हैं, उन्होंने ही सरकार से इसकी जांच मांगी है। उनका कहना है कि न तो हमने कोई एफिडेविट बनाया है और न ही उसपर हस्ताक्षर किए हैं। इसकी निष्पक्षिता से जांच होनी चाहिए।॒

मिलकीयत भूमि पर जरूरी है विभाग की भी परमिशन

हमीरपुर फॉरेस्ट सर्किल के कंज़रवेटर अनिल जोशी ने कहा कि मिलकीयत भूमि से विभाग की परमिशन से आम का पेड़ कट सकता है, लेकिन किसान को उनकी परमिशन लेनी पडे़गी। अगर किसी मकान दुकान या फिर पशुशाला को उसका नुकसान हो रहा हो, तो एक एफिडेविड फॉरेस्ट विभाग को देकर किसान को फलदार आम के पेड़ के काटने की परमिशन विभाग दे देता है


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