कोरोना की घातक लहर

By: Nov 24th, 2020 12:06 am

अभी तो सर्दियों की ठंड शुरू हुई है। देश में कई स्थानों पर तापमान एक डिग्री सेल्सियस से भी कम हो गया है। राजधानी दिल्ली का न्यूनतम तापमान 6-7 डिग्री के बीच झूल रहा है। यानी कोरोना वायरस का एक बेहद अनुकूल मौसम बन गया है। कोरोना को ‘कोल्ड वायरस’ भी कहा जाता है, क्योंकि यह कंपकंपाती सर्दी में भी जिंदा रहता है और खूब तेजी से फैलता है। हम कोरोना संक्रमण के नए विस्तार को हैरान आंखों से देख रहे हैं और उसके दुष्प्रभावों को झेलता महसूस भी कर रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन इसे कोरोना वायरस की दूसरी या तीसरी लहर कुछ भी माने, लेकिन यह एक घातक लहर है, जिसे भारत झेल रहा है। इसने तमाम अनुमानों और आकलनों को गलत साबित कर दिया है, क्योंकि भारत के 18 राज्यों में कोरोना के सक्रिय मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। महाराष्ट्र, केरल, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, उप्र, राजस्थान, हरियाणा, छत्तीसगढ़ और आंध्रप्रदेश-इन 10 राज्यों में ही देश के करीब 77 फीसदी सक्रिय मरीज हैं। हररोज औसतन 500 मौतें हो रही हैं। देश में मौतों का 21 फीसदी दिल्ली में ही है। दिवाली के बाद 751 कोरोना मरीजों की मौत सिर्फ  दिल्ली में ही हुई है। देश भर में बीते एक सप्ताह के दौरान 3588 मौतें दर्ज की गई हैं। कुल मौतें 1.34 लाख का आंकड़ा पार कर चुकी हैं। ये तमाम सामान्य आंकड़े नहीं हैं। संक्रमित मरीजों की कुल संख्या 91 लाख के पार जा चुकी है। यानी एक करोड़ का हैरतअंगेज आंकड़ा आज एक नंगे सच की तरह सामने मौजूद है। अमरीका के एक शोध संस्थान का निष्कर्ष साकार हो रहा है, जिसने कई माह पूर्व अपना आकलन दिया था कि भारत में नवंबर माह तक संक्रमण के आंकड़े ेएक करोड़ को पार कर जाएंगे। हमने उसका भी विश्लेषण किया था और तब ऐसा दूर-दूर तक प्रतीत नहीं होता था कि हमारे देश में कोरोना का यथार्थ इतना भयावह भी हो सकता है।

आज बहुत कुछ असामान्य घट रहा है। राजधानी में ही संक्रमण की दर 10-15 फीसदी के बीच है। यह अक्तूबर-नवंबर में 14-14 दिनों के मामलों का निष्कर्ष है। स्पष्ट है कि ज्यादा लोग संक्रमित हो रहे हैं और टेस्ट की संख्या घटी है। वैसे देश में 13.17 करोड़ से अधिक टेस्ट किए जा चुके हैं। बहरहाल देश की राजधानी दिल्ली में हालात खतरनाक हैं। संक्रमित मामलों का औसत 6500-7000 मरीज है। रविवार को भी 6746 संक्रमित मरीज दर्ज किए गए और मौतें भी 121 हुईं। कोरोना की लहर पलट कर ऐसी आई है कि दिल्ली में कई पटरी बाजार 30 नवंबर तक बंद कराने पड़े हैं और मप्र, राजस्थान, गुजरात के कई जिलों में रात का कर्फ्यू लागू किया गया है। उप्र, हिमाचल, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और मणिपुर आदि राज्यों में केंद्रीय टीमें भेजी गई हैं। वे कोरोना के मोर्चे पर लड़ाई की तैयारियों का आकलन करेंगी और बंदोबस्त भी दुरुस्त करेंगी। प्रधानमंत्री मोदी भी मंगलवार को उन राज्यों के मुख्यमंत्रियों से संवाद करेंगे, जहां कोरोना वायरस से उपजी स्थितियां खौफनाक होती जा रही हैं। कोरोना के मौजूदा पलटवार के लिए, बेशक, सर्दी एक प्राकृतिक कारण है, लेकिन प्रदूषण और त्योहारी मौसम में बाजारों में भीड़, मास्क और दो गज की दूरी, यानी एहतियात को हाशिए पर रख कर संक्रमण के जहरीले बीज हमने खुद ही बोये हैं।

आज कोरोना जांच के नाम पर दिल्ली की गुड़गांव, फरीदाबाद और उप्र सीमाओं पर रैपिड एंटीजन पद्धति से टेस्ट किए जा रहे हैं। दिल्ली सरकार और कई राज्य भी 50 फीसदी से ज्यादा टेस्ट एंटीजन पद्धति से ही कर रहे हैं। यह बिल्कुल अवैज्ञानिक जांच है, ऐसा अदालतें भी कह चुकी हैं और विशेषज्ञ चिकित्सकों का भी विश्लेषण है। चिकित्सकों के शोध-कार्यों का सार है कि इस जांच में व्यक्ति का टेस्ट ‘नेगेटिव’ आता है, तो वह खुद को ‘कोरोना-मुक्त’ मान लेता है, जबकि सच उसके विपरीत होता है। व्यक्ति सक्रिय रहता है और संक्रमण फैलाता रहता है और उसके खुद के फेफड़ों की बीमारी पकते हुए ‘लाइलाज’ श्रेणी में पहुंच जाती है। इस तरह कोरोना से जुड़ी हमारी व्यवस्था, अनजाने में ही सही, संक्रमण को खतरनाक कर रही है और हत्याएं भी की जा रही हैं! इस घातक दौर का दूसरा प्रयोग है-रात का कर्फ्यू। चिकित्सकों ने इसे ‘तुगलकी फरमान’ करार दिया है। उनका सवाल है कि क्या कोरोना रात में ही ज्यादा फैलता है? बहरहाल सर्वोच्च अदालत ने भी दिल्ली सरकार को फटकार लगाई है और कोरोना के लिए उठाए गए कदमों की रपट मांगी है। संक्रमण की यह लहर कहां तक जाएगी, फिलहाल यही कहना अनिश्चित है।


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