जसवाल ट्राउट मछली फार्म शानन का दीवाना है पूरा उत्तरी भारत

मंडी जिला के जोगिंद्रनगर के शानन स्थित जसवाल ट्राउट मछली फ ार्म की पहुंच न केवल हिमाचल प्रदेश बल्कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली सहित पूरे उत्तरी भारत में है। मजेदार बात तो यह है कि इस फार्म की तैयार मछली के दीवाने देशी व विदेशी पर्यटकों सहित देश की जानी मानी राजनीतिक हस्तियां भी रही हैं। ट्राउट मछली उत्पादन में जसवाल ट्राउट फार्म शानन प्रदेश में एक अहम स्थान रखता है। जब इस संबंध में जसवाल ट्राउट फ ार्म के संचालक दोनों भाईयों राजीव व संजीव जसवाल से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि उनका यह फ ार्म उनके परिवार के लिए स्वरोजगार का एक बड़ा माध्यम बन गया है। इस फार्म से न केवल उनके परिवार का भरण.पोषण हो रहा है बल्कि आज वे प्रतिवर्ष लाखों रुपए का ट्राउट मछली का कारोबार भी कर पा रहे हैं।

उन्होंने बताया कि वर्ष 2001 में मात्र कुछ दिनों के लिए कॉर्प मछली पालन से शुरू किया गया यह कार्य आज ट्राउट मछली पालन के तौर पर एक बहुत बड़े कारोबार में तबदील हो गया है। यहां की भौगोलिक परिस्थितयों को देखते हुए ट्राउट मछली उत्पादन की ओर कदम बढ़ाए, जिसके न केवल बेहतर परिणाम सामने आए हैं बल्कि उनका यह स्वरोजगार का जरिया धीरे-धीरे एक बड़े कारोबार में बढ़ता गया है। ट्राउट मछली पालन को उस समय नए पंख लग गए जब उन्होंने इसकी हैचरी में भी सफलता प्राप्त कर ली। वर्ष 2003 में ट्राउट हैचरी तैयार होने से उनके मछली उत्पादन के काम को ओर अधिक बल मिला तथा अब दोनों भाई मिलकर इसे आगे बढ़ा रहे हैं।

उनका कहना है कि उनकी हैचरी में 98 प्रतिशत तक की सफलता मिली है, जिससे उन्हें आय का बड़ा स्त्रोत मिल गया है। हैचरी को आधुनिक तकनीक प्रदान करते हुए उन्होंने तुर्की से लाए गए वर्टिकल इंक्युबेटर स्थापित किए हैं जो संभवतः पूरे देश में यह पहला प्रयास है। उन्होंने बताया कि ट्राउट हैचरी में किए गए बेहतर प्रयासों के चलते उन्हे वर्ष 2019 में बिलासपुर में आयोजित कार्यक्रम में बेस्ट हैचरी अवार्ड से भी नवाजा जा चुका है। जसवाल ट्राउट फार्म में उत्तराखंड राज्य का मत्स्य विभाग ठंडेप पानी पर ट्राउट मछली पर विशेष शोध कार्य भी कर रहा है। शोध कार्य के दौरान मछलियों के लिए खुराक, ट्रिपलोयड़ के साथ-साथ बीज का भी विशेष वितरण किया जाता है।

दिल्ली सहित पूरे उत्तरी भारत में है पहुंच

संजीव व राजीव जसवाल का कहना है कि उनकी ट्राउट की पहुंच राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली सहित उत्तर के भारत के अनेक राज्यों जिसमें चंडीगढ़, पंजाब व उत्तराखंड तक है। वर्तमान में वे प्रतिवर्ष लाखों रुपए तक का ट्राउट का उत्पादन कर रहे हैं। इसके अलावा हैचरी से भी प्रतिवर्ष औसतन 3 से 4 लाख रुपए तक की आय भी प्राप्त हो रही है। इनका कहना है कि हैचरी से तैयार बीज जहां आसपास के किसान प्राप्त करते हैं तो वहीं उत्तराखंड राज्य में भी भेजा जाता है।

टैंक निर्माण को सरकार से मिली आर्थिक मदद

उन्होंने बताया कि ट्राउट मछली पालन के लिए सरकार से टैंक निर्माण को अनुदान भी मिला है। वर्ष 2003-04 के दौरान आठ टैंक का निर्माण किया गया है, जिसके लिए प्रति टैंक 20 हजार रुपए बतौर अनुदान सरकार ने उपलब्ध करवाए हैं। मछली पालन के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने पर वर्ष 2014 में चौंतड़ा में आयोजित किसान मेले में उन्हें प्रगतिशील किसान अवार्ड से भी नवाजा जा चुका है, जिसमें उन्हें 10 हजार रुपए का नकद पुरस्कार मिला है।

क्या कहते हैं अधिकारी

निदेशक मात्स्यिकी विभाग हिमाचल प्रदेश एसपी मेहता का कहना है कि प्रदेश में 31 मार्च, 2020 तक ट्राउट मछली पालन से 592 मछुआरे जुड़े हुए हैं जो 1166 रेसवेज से 600 मीट्रिक टन ट्राउट का उत्पादन कर रहे हैं। वर्तमान में हिमाचल प्रदेश के सात जिलों चंबा, कांगड़ा, मंडी, कुल्लू, किन्नौर, सिरमौर तथा शिमला में ट्राउट मछली पालन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री संपदा मत्स्य योजना के तहत सरकार ने प्रति इकाई अनुदान राशि को एक लाख रुपए तक बढ़ा दिया है।