किन्नौर में कहीं पेड़ों पर न रह जाए सेब

By: Nov 22nd, 2020 12:06 am

हिमाचल में लंबे समय बाद हुई बर्फ और बारिश किसानों और बागबानों के लिए राहत लाई है, लेकिन किन्नौर जिला में हिमपात ने कई बागबानों के होश उड़ा दिए हैं। देखिए यह रिपोर्ट…

एक फुट तक गिरी बर्फ, ऊंचाई वाले इलाकों में रास्ते ठप

इस बार किन्नौर जिला में सेब की बंपर फसल है। जिला में उम्मीद से ज्यादा पैदावार हो चुकी है। 34 लाख से ज्यादा सेब पेटी मंडियों में जा चुकी है, लेकिन अब बागबानों की राह में बर्फ ने रोड़ा अटका दिया है। जिला के ऊंचाई वाले इलाकों में एक फुट तक बर्फ गिर चुकी है। कई रास्ते बंद हो गए हैं। आने वाले दिनों में बर्फ का दौर और बढ़ सकता है। ऐसे में बागबानों को डर है कि कहीं सेब की बाकी फसल कहीं पेड़ों पर ही न रह जाए। मौजूदा समय मे कई इलाकों में पारा माइनस में चल रहा है। जिला के  नेसंग, कल्पा, रकछम, बारंग, पूर्वनी व ठंगी में बागबानों को डर है कि उनकी फसल कहीं पेड़ों में ही न रह जाए। यदि ऐसा हुआ तो बागबानों को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।

रिपोर्टः दिव्य हिमाचल ब्यूरा, रिकांगपिओ

स्मार्ट सिटी धर्मशाला के पास चल रहा हिमाचल का सबसे पुराण कोहलू

धर्मशाला विधासनसभा हलके के तहत निचले छोर पर अंतिम गांव का नाम है बगली। इसी गांव में हिमाचल की सबसे पुरानी ऑयल मिल यानी मशीन से चलने वाला कोल्हू चल रहा है। दीवान ऑयल मिल के नाम से इस कोल्हू को महिला कोरोबारी रूपाली दीवान चलाती हैं। रूपाली ने बताया कि उनके यहां सरसों, अलसी और तिल का तेल मुख्यतः निकाला जाता है। इसके अलावा इसके अलावा अखरोट और कोकोनट ऑयल भी निकाला जाता है।

ग्राहकों को शुद्ध खल मिलती है। उनके यहां हाइटेक चक्की में देसी दरड़ भी बनाया जाता है, जिसमें चोकर, बिनौला, सोया, सौंफ, जौ, नमक व अजवाइन आदि मिलाए जाते हैं। इस दरड़ को 30 रुपए किलो बेचा जाता है। दूरदराज से किसान उनके यहां आते हैं। रूपाली ने बताया कि यह कोल्हू 1953 में उनके दादा ससुर बंसी लाल दीवान ने स्थापित किया था। बाद में उनके ससुर भूषण दीवान इसका संचालन करते थे। अब वह इस विरासत को आगे बढ़ा रही हैं।

उन्होंने इस मशीन को चलाने के लिए एक कारीगर भी रखा है। वह इसकी खुद रिपेयर भी कर लेती हैं। शुद्ध सामान की चाह में उनके यहां प्रदेशभर से ग्राहक आते हैं। रूपाली ने इस बात पर भी दुख जताया कि लोकल के लिए वोकल की बातें करने वाली सरकारों व उनके विभागों ने कभी उनकी मदद नहीं की।

दीवान ऑयल मिल में सरसों-अलसी-तिल का तेल लेने उमड़ती है भीड़

दीवान ऑयल मिल में वीआईपी मूवमेंट भी खूब रहता है। आम कर्मी से लेकर अफसरों तक दूर दूर से लोग शुद्ध ऑयल की तलाश में यहां आते हैं। रुपाली दीवान ने बताया कि विदेशी पर्यटक भी उनकी मिल से सामान लेने आते हैं। लोकल किसान भी अपने प्रोडक्ट लेकर बड़े भरोसे से आते हैं।

कांगड़ा जिला मुख्यालय धर्मशाला के निकट एक छोटे से गांव में प्रदेश की सबसे पुरानी ऑयल मिल अब भी चल रही है, जिसमें रोजाना प्योर तेल, खल और दरड़ निकाला जाता है। पेश है लोकल फोर वोकल को फुल सपोर्ट करती यह रिपोर्ट…

क्यों बड़े काम के हैं कोल्हू के प्रोडक्ट

ग्राहक को प्योर तेल मिलता है

जोड़ों के दर्द को चाहिए शुद्ध तिल का तेल

जोत जगाने से लेकर,नवजात के लिए डिमांड

अलसी का तेल हार्ट मरीजों के लिए जरूरी

ऑयल मिल-चक्की की खूबियां

यह मशीन 6 वाट की है, इसमें कुछ मिनटों में आटा और

दरड़  तैयार हो जाता है। खास बात यह कि गेहूं, चावल, जौ,

चना आदि के अलग अलग कांबीनेशन से विभिन्न प्रकार का न्यूट्रिशियन आटा भी तैयार किया जाता है।

शाहपुर में किसानों को नहीं मिल रही खाद

हिमाचल में इस बार जगह जगह से खाद न मिलने की शिकायतें आ रही हैं। ताजा मामला कांगड़ा जिला के तहत किसान बहुल हलके शाहपुर का है। पेश है यह रिपोर्ट

प्रदेश के मैदानी इलाकों में करीब तीन माह बाद बारिश हुई है। इससे किसानों की जान में जान आई है, गेहूं और अन्य फसलों की बिजाई का रास्ता साफ हो गया है, लेकिन हुक्मरानों को क्या कहें। प्रदेश को चलाने वाली सरकार इस बार किसानों को भरपूर  खाद ही मुहैया नहीं करवा पा रही है। खाद की सप्लाई का हाल जानने के लिए अपनी माटी टीम ने कांगड़ा जिला के तहत किसान बहुल एरिया शाहपुर का दौरा किया। कई किसानों ने बताया कि उन्हें इस बार खाद नहीं मिल पा रही है। आखिर वे गेहूं की बिजाई कैसे करेंगे। किसानों का कहना था कि अंबर भले ही देर से बरसा हो, लेकिन सरकार की कृपा पता नहीं कब होगी। हमने इस मसले पर हिमाचल कांग्रेस के महासचिव और हमेशा किसानों की पैरवी करने वाले नेता केवल पठानिया से बात की। केवल पठानिया ने दुख जताते हुए कहा कि यह सब प्रदेश सरकार का दोष है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार के लोग किसानों को कागजी योजनाओं के सपने दिखाते हैं। भाजपा का खेती और किसानों से कोई लेना देना नहीं है। प्रदेश सरकार को चाहिए कि वह किसानों को जल्द खाद मुहैया करवाए।

डिजिटल डेस्क

ऊना-हमीरपुर में भी खूब महकेगी कांगड़ा चाय

प्रदेश में बढ़ेगी प्रोडक्शन, छह जिलों में हुए 16 नए ट्रायल

अपनी जादुई महक के कारण कांगड़ा चाय का दुनिया भर में डंका बजता है। यही कारण है कि हिमाचल में अब लगातार चाय उत्पादन का दायरा बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

पेश है यह रिपोर्ट

हिमाचल में कांगड़ा टी मुख्यतः कांगड़ा, चंबा व मंडी जिलों में तैयार की जाती है। कांगड़ा चाय की खूब डिमांड है। ऐसे में अब कांगड़ा चाय का उत्पादन क्षेत्र लगातार बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। सब ठीक रहा, तो आने वाले दिनों में ऊना, हमीरपुर व बिलासपुर जिलों में भी कांगड़ा चाय महकेगी। जानकारी के अनुसार पालमपुर स्थित चाय विभाग के अधिकारियों ने कांगड़ा के अलावा ऊना, बिलासपुर, हमीरपुर और चंबा, मंडी में कुछ नए स्थानों पर चाय की खेती पर ध्यान केंद्रित किया है।

फिलवक्त प्रदेश में चाय उत्पादन का ग्राफ दस लाख किलोग्राम के आसपास है, जिसमें साढ़े आठ लाख किलो ब्लैक टी व करीब डेढ़ लाख किलो ग्रीन टी शामिल है। प्रदेश में तैयार की जाने वाली चाय अपनी महक व गुणों के लिए खास तौर पर पहचानी जाती है। अभी प्रदेश में करीब 23 सौ हेक्टेयर  में चाय की पैदावार की जा रही है। हिमाचल की चाय को दुनिया भर में दार्जिलिंग टी जैसा माना जाता है। इसी कड़ी में अब छह जिलों में करीब 16 स्थानों पर इस चाय का ट्रायल किया गया है जिनमें अच्छे परिणाम सामने आए हैं।

अपनी माटी ने इन्हीं प्रयासों को जानने का प्रयास किया।

पालमपुर से हमारे वरिष्ठ सहयोगी जयदीप रिहान ने कृषि विभाग तकनीकी अधिकारी चाय डा डीएस कंवर से इस बारे में बात की। रिपोर्टः कार्यालय संवाददाता,पालमपुर

हिमाचल में अब हींग व केसर की खेती करना हुआ आसान

हिमाचल प्रदेश में हींग व केसर की खेती करना आसान हो गया है। अब प्रदेश के हर जिला में हींग व केसर की उगाई होगी। सरकार ने इसके लिए संपन्नता योजना की शुरुआत की है। कृषि मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में हींग और केसर की खेती आरंभ कर दी गई है। प्रदेश सरकार ने इस खेती को बढ़ावा देने के लिए ‘कृषि से संपन्नता’ योजना आरंभ की है, जिसके सफल कार्यान्वयन के लिए कृषि विभाग ने विस्तृत कार्य योजना तैयार की है। इस योजना के तहत छह जून, 2020 को हिमालय जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान आईएचबीटी, पालमपुर के साथ समझौता हस्ताक्षरित किया गया है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में हींग व केसर की खेती के लिए मंडी, चंबा, लाहुल-स्पीति व किन्नौर जिलों के ऊंचाई वाले क्षेत्र अनुकूल पाए गए हैं, और लाहुल-स्पीति के कोरिंग गांव में हींग का पहला पौधा रोपित किया गया है। वीरेंद्र कंवर ने बताया कि इस योजना के अंतर्गत हींग व केसर की खेती के लिए सरकार ने 10 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है।

रिपोर्टः सिटी रिपोर्टर, शिमला

मैदानों में बारिश से किसानों को राहत चंगर में गेहूं की बिजाई का रास्ता साफ

हिमाचल में गेहूं की बिजाई 15 नवंबर तक करना बेहतर माना जाता है। इस बार लंबे समय बाद बारिश हुई है। इससे गेहूं व अन्य फसलों को बीजने का काम तेज हो गया है। खासकर चंगर इलाकों के किसान व्यस्त हो गए हैं। अपनी माटी टीम ने कृषि विशेषज्ञों से बात की। विशेषज्ञों ने किसानों को सलाह दी है कि वे नमी रहते बिजाई का काम पूरा कर लें। कांगड़ा, चंबा, ऊना व बिलासपुर जिलों के कई इलाके ऐसे हैं, जहां प्लम एरिया में भी सिंचाई की दिक्कत आ रही थी, ऐसे में बारिश का नया स्पैल किसानों और बागबानों के लिए संजीवनी से कम नहीं है।

प्लम एरिया के हाल आप इसी बात से जान सकते हैं कि शिमला से सिरमौर तक चलने वाली सदानीरा गिरि नदी ही सूखने के कगार पर आ गई थी। माना जा रहा है कि सूखी पड़ रही खड्डों में आने वाले दिनों में पानी की कमी पूरी हो जाएगी। अपनी माटी टीम को  करसोग के टीसी ठाकुर, हीरा लाल तथा सिराज बागबान मेघ सिंह ने बताया कि बारिश ने उनकी चिंताएं कम कर दी हैं। कुल मिलाकर एक बार फिर किसान खेतों में व्यस्त हो गए हैं।

पालमपुर, करसोग

फलदार पौधे चाहिए, तो अभी करें नौणी यूनिवर्सिटी को मैसेज

नौणी यूनिवर्सिटी सोलन की ओर से जनवरी के पहले हफ्ते में किसानों और बागबानों को फलदार पौधे बिक्री किए जाएंगे। इसके लिए बागबान यूनिवर्सिटी के पास पांच दिसंबर से पहले डिमांड भेज पाएंगे। आवेदन करने वाले बागबानों को बेहतर क्वालिटी के सेब, नाशपाती, प्लम, खुमानी आडू, कीवी व अनार आदि के बूटे दिए जाएंगे। पौधे लेने वाले बागबान यूनिवर्सिटी  की वेबसाइट से मांग पत्र डाउनलोड कर विश्वविद्यालय को भरकर भेज सकते हैं। वे  डाक या ई-मेल कर सकते हैं। इस मांग पत्र पर सभी प्रकार के फलों की किस्मों की जानकारी दी गई है। मांग पत्र में किसानों को ईमेल एवं व्हाट्सएप नंबर लिखना होगा, ताकि उन्हें टाइम पर अपडेट मिल सके।  बागबान भाइयों को सिर्फ यह करना है कि उन्हें पांच दिसंबर से पहले यह मांग भेजनी है।

रिपोर्टः निजी संवाददाता, सोलन

सीधे खेत से

विशेष कवरेज के लिए संपर्क करें

आपके सुझाव बहुमूल्य हैं। आप अपने सुझाव या विशेष कवरेज के लिए हमसे संपर्क कर सकते हैं। आप हमें व्हाट्सऐप, फोन या ई-मेल कर सकते हैं। आपके सुझावों से अपनी माटी पूरे प्रदेश के किसान-बागबानों की हर बात को सरकार तक पहुंचा रहा है।  इससे सरकार को आपकी सफलताओं और समस्याओं को जानने का मौका मिलेगा।  हम आपकी बात स्पेशल कवरेज के जरिए सरकार तक  ले जाएंगे।

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