कुल्लू में सरकार के खिलाफ हल्ला बोल

मजदूर-कर्मचारी-किसान विरोधी नीतियों के विरोध में सीटू, इंटक यूनियनों ने किया प्रदर्शन
केंद्रीय श्रम संगठनों की संयुक्त समन्वय समिति की देशव्यापी हड़ताल के आह्वान पर कुल्लू में विभिन्न स्थानों पर मजदूरों द्वारा प्रदर्शन किए गए। संयुक्त समिति के संयोजक व सीटू के जिला महासचिव राजेश ठाकुर ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा लगातार मजदूर, कर्मचारी और किसान विरोधी नीतियां लागू की जा रही हैं, जिसके विरोध में पूरे देश में विभिन्न केंद्रीय श्रम संगठन और फैडरेशनों द्वारा पूरे देश में हड़ताल की जा रही है। इसी संदर्भ में जिला मुख्यालय पर सीटू तथा इंटक और कुल्लू के विभिन्न स्थानों पर सीटू से संबंधित यूनियनों द्वारा पूर्ण हड़ताल व विरोध-प्रदर्शन किए गए। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने मजदूरों के लिए बने 44 श्रम कानूनों को बदलकर चार श्रम संहिताओं में बदल दिया है। कोविड-19 महामारी की आड़ में केंद्र सरकार ने कई मजदूर, कर्मचारी और किसान विरोधी फैसले लिए हैं, जोकि पूरी तरह पूंजिपतियों व कारखानेदारों के पक्ष में हैं।
सरकार द्वारा किए गए श्रम कानूनों में परिवर्तन के कारण अब यूनियन बनाना मुश्किल हो जाएगा। मजदूरों को अपनी मांगों को हासिल करने के लिए हड़ताल पर जाने का अधिकार भी लगभग खत्म कर दिया है। हड़ताल पर जाने पर लाखों रुपए का जुर्माना व दो वर्ष तक की जेल का प्रावधान कर दिया है। केंद्र सरकार ने फिक्स टर्म रोजगार लागू कर दिया है, जिससे मजदूर नियमित रोजगार से वंचित हो जाऐंगे । केंद्र सरकार ने काम के घंटों को आठ से बढ़ाकर 12 घंटे कर दिया है, जिससे करोड़ों मजदूरों का शोषण बढ़ेगा व लाखों मजदूर बेरोजगार हो जाऐंगे। इसी दौरान ईपीएफ में मालिकों का शेयर 12 प्रतिशत से घटाकर दस प्रतिशत कर दिया है, जोकि मजदूर कर्मचारी विरोधी है। सरकार सरकारी कर्मचारियों को जबरन रिटायर कर रही है व सार्वजनिक उपक्रमों को नीजि हाथों में कोडि़यों के दाम बेचा जा रहा है। पुरानी पेंशन को बहाल करने के लिए भी सरकार कोई कदम नहीं उठा रही है। इसी दौरान केंद्र सरकार ने किसान विरोधी तीन विधेयक अध्यादेश के जरिए पास कर दिए हैं, जिससे आने वाले समय में किसानों का शोषण और अधिक बढे़गा।