सौर पंपों से खेतों तक पहुंचेगा पानी

By: संयोजन जीवन ऋषि Nov 1st, 2020 12:10 am

* राज्य सरकार ने की पीएम कुसुम योजना शुरू  * प्रदेश के लाखों किसानों को मिलेगा सिंचाई का फायदा * सौ पंप लगाने के लिए किसानों की 85 प्रतिशत सहायता करेगी सरकार

प्रदेश के किसानों के लिए राहत भरी खबर है। अब बिना बिजली के भी किसानों के खेतों तक पानी पहुंचेगा। सौर पंपों के माध्यम से यह सुविधा सरकार राज्य के लाखों किसानों को देने जा रही है।  कृषि विभाग के निदेशक नरेश कुमार ने बताया कि किसानों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए राज्य में प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान योजना पीएम कुसुम शुरू की गई है, ताकि किसानों के खेतों तक सिंचाई के लिए पानी पहुंचाया जा सके और ज्यादा से ज्यादा नकदी फसलों का उत्पादन कर किसान अपनी आय में बढ़ोतरी कर सकें।

उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों को आश्वस्त सिंचाई सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से विशेषकर दूरदराज के ऐसे क्षेत्रों में जहां बिजली की उपलब्धता नहीं है, वहां सिंचाई के लिए जल उठाने के लिए पीएम कुसुम योजना आरंभ की है। इस योजना के अंतर्गत प्रदेश में सौर पंपों का प्रयोग कर खेतों तक सिंचाई के लिए पानी पहुंचाने के लिए आवश्यक अधोसंरचना विकसित करना प्रस्तावित है। इसके अलावा राज्य में केंद्र व राज्य सरकार ने किसानों की सुविधा के लिए विभिन्न प्रकार की सिंचाई योजनाएं जैसे प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, प्रवाह सिंचाई योजना और सूक्ष्म सिंचाई योजना भी शुरू की हैं।  उन्होंने कहा कि इस योजना में संबंधित क्षेत्रों में किसान विकास संघ, कृषक विकास संघ व किसानों के पंजीकृत समूहों आदि को प्राथमिकता दी जाएगी जो सोसायटी अधिनियम-2006 के तहत पंजीकृत हों, छोटे व सीमांत किसान तथा ऐसे किसान जो फसल उगाने के लिए वर्षा पर निर्भर हैं उन्हें भी इस योजना में प्राथमिकता दी जाएगी। उन्होंने कहा कि जिन  किसानों के पास सूक्ष्म  सिंचाई प्रणाली जैसे कि ड्रिप/स्प्रिंकलर लगाने के लिए पानी के स्रोत उपलब्ध हैं, वे भी सिंचाई के लिए सौर ऊर्जा पंप लगाने के लिए पात्र होंगे।

रिपोर्टः सिटी रिपोर्टर, शिमला

किसानों को सरकार से मिलेगी 85 फीसदी सहायता

पीएम कुसुम योजना के तहत सौर पंपों से सिंचाई के लिए व्यक्तिगत व सामुदायिक स्तर पर सभी वर्गों के किसानों के लिए पंपिंग मशीनरी लगाने के लिए 85 प्रतिशत की सहायता का प्रावधान है। योजना के लिए चालू वित्त वर्ष के लिए 12 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है और इस वर्ष एक हजार सौर पंप लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके लिए 50 प्रतिशत व्यय केंद्र सरकार व 35 प्रतिशत व्यय प्रदेश सरकार द्वारा, जबकि शेष 15 प्रतिशत लाभार्थी द्वारा वहन किया जाना है।

यहां करें आवेदन, इन दस्तावेजों की पड़ेगी जरूरत

कृषि निदेशक ने बताया कि इस योजना के तहत सहायता प्राप्त करने के लिए किसान उपमंडल भू-संरक्षण अधिकारी के कार्यालय में निर्धारित प्रपत्र के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं। आवदेन पत्र के साथ उन्हें भूमि संबंधित कागजात जैसे ततीमा व जमाबंदी, स्वयं सत्यापित किया हुआ राशन कार्ड, आधार कार्ड की प्रति, भूमि प्रमाण पत्र संलग्न करने होंगे और स्टांप पेपर पर कृषक शपथ पत्र भी देना होगा। उन्होंने किसानों से आग्रह किया कि वे इस योजना की जानकारी व लाभ उठाने के लिए अपने नजदीक के उपमंडलीय भू-संरक्षण अधिकारी, विकास खंड के कृषि अधिकारी, जिला के कृषि उपनिदेशक अथवा कृषि निदेशक कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं।

भू-संरक्षण विभाग लाया किसानों के लिए जोरदार पैकेज

एक साथ मिलेगी कई तरह की छूट प्रदेश में भू-संरक्षण विभाग किसानों के लिए कई तरह की योजनाएं चला रहा है। इन योजनाओं पर किसानों को ठीक ठाक  सबसिडी भी दी जाती है। अपनी माटी टीम धर्मशाला में विभागीय अफसर डा राहुल कटोच से बात की । पेश हैं वार्ता के मुख्य अंश…

गगल। धर्मशाला में भू-संरक्षण विभाग किसानों की जमीन बचाने में सराहनीय कार्य कर रहा है। विभाग जहां कूहलों और नालों में डंगे लगाकर जमीन को बहने से रोकता है, वहीं किसानों के लिए सिंचाई व अन्य कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं। इन योजनाओं पर सबसिडी भी ठीक ठाक मिलती है। इन्हीं योजनाओं का पता करने के लिए इस बार अपनी माटी टीम ने डिप्टी डायरेक्टर हैडक्वार्टर डा राहुल कटोच से बात की। राहुल कटोच सीनियर एसएमएस और लाइजनिंग आफिसर भी हैं। उन्होंने कहा कि वाटर टैंक, स्पिं्रकलर, कूहलों को डंगे उनका विभाग लगवाता है।

गेहूं-धान उगाने वाले किसान अब सब्जियों से कर रहे कमाई

सरकारी योजनाएं अगर सही ढंग से लागू हो जाएं,तो किसानों  की कमाई कई गुना तक बढ़ सकती है। कुछ ऐसा ही हुआ है नगरोटा बगवां की सुनेहड़ पंचायत में। पेश है पालमपुर से कार्यालय संवाददाता की यह रिपोर्ट

कांगड़ा जिला के तहत नगरोटा बगवां इलाका अपने मेहनतकश किसानों के लिए जाना जाता है। इसी इलाके में बनेर और जोगल खड्डों से घिरी है खूबसूरत पंचायत सुनेहड़। सुनेहड़ के बड़ाई गांव का एक पैच ऐसा था,जहां कुछ समय पहले तक सिंचाई सुविधा न के बराबर थी।

 इस इलाके के किसान सिर्फ धान और गेहूं जैसी पारंपरिक फसलें उगाते थे। इसी बीच किसानों और विभाग के प्रयासों से इस इलाके के 20 हेक्टेयर एरिया को जायका के फली प्रोजेक्ट के तहत लाया गया,जिसके दायरे में  क्षेत्र के 83 परिवार आए। इन सभी किसानों के लिए जोगल खड्ड से बहाव सिंचाई योजना का निर्माण किया गया।  किसान  बिपन ,  स्वरूप चाँद, अजय आदि ने बताया कि इस योजना से उन्हें पूरा साल पानी मिल रहा है। इससे वे अब सब्जियां भी उगा रहे हैं।  सब्जियों की पनीरी और अगेती फसलों के लिए गांव में एक पोलीहाउस भी लगाया गया है। तीन वर्मी कंपोस्ट पिट भी बनाए गए हैं । इतने ही पावर वीडर व ब्रश कटर  भी दिए गए हैं। इससे उन्हें अच्छी कमाई हो रही है। परियोजना प्रबंधक राजेश सूद ने बताया कि इस योजना से किसानों को खूब फायदा हो रहा है।

पंजाब में नहीं बिकी मक्की अब आटा बनाकर बेच रहे

हिमाचल में अनाज मंडियों का अकाल है। इस बार खेती के नए कानूनों पर बवाल  के कारण हमारे  किसान भाइयों की फसलें पंजाब और हरियाणा में भी नहीं बिक रही हैं। इस सबके बीच एक संगठन ऐसा है,जो हिमाचली किसानों से मक्की खरीद रहा है।  पेश है नूरपुर से यह रिपोर्ट

देशभर में मोदी सरकार नए कृषि कानूनों का विरोध हो रहा है। इस विरोध की मार हिमाचली किसानों पर सबसे ज्यादा पड़ी है। हिमाचल में गेहूं,धान और मक्की की मार्केट का अकाल है।

 प्रदेश के किसान पंजाब और हरियाणा में अपना अनाज बेचते हैं, लेकिन इस बार पड़ोसी प्रदेशों में भी हिमाचली धान और मक्की नहीं बिक रही है। ऐसे में हिमाचली किसान बेहद दुखी है। किसानों की इन्हीं दिक्कतों को भांपते हुए कांगड़ा जिला के इंदौरा इलाके में एक स्वयंसेवी संगठन उनकी मदद को आगे आया है। इस संगठन का नाम है गृहिणी स्वरोजगार संघ। यह संघ मलाहड़ी गांव में कार्य कर रहा है। इससे कई महिलाएं जुड़ी हैं,जो इन दिनों घर-घर जाकर किसानों से उनकी मक्की खरीद रही हैं। वे इस मक्की का आटा तैयार करके बेच रही हैं। इससे जहां किसानों की दिक्कत दूर हो रही है, वहीं संघ से जुड़ी महिलाओं का भी रोजगार चल रहा है।  संघ के चेयरमैन अशोक पठानिया का कहना है कि इस मुहिम से आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार होगा।

खास बात यह है कि वह इस आटे को देसी घराट में पिसवाते हैं,जिससे आटा हाथों हाथ बिक रहा है। उनका संघ अचार, देसी बडि़यां, बैग आदि भी तैयार करता है। बहरहाल आज पहाड़ी प्रदेश को ऐसे संगठनों की जरूरत है,जो जरूरत पड़ने पर अपने किसानों की मदद कर सके।

सरकार नहीं बेचेगी प्याज

प्रदेश सरकार ने साफ कर दिया है कि वे प्याज को नहीं बेचेगी। बाजार में प्याज के दामों पर सरकार की निगरानी पूरी तरह से रहेगी। किसी भी तरह की जमाखोरी और तय रेटों से ज्यादा दाम लेने वाले दुकानदारों पर नकेल कसी जाएगी। ऐसे दुकानदारों पर सख्त कार्रवाई करने के मूड में सरकार है। सरकार अभी महाराष्ट्र से आने वाली नकदी फसल का इंतजार कर रही है।

सरकार को उम्मीद है कि इस फसल के आ जाने के बाद प्याज के  दामों में गिरावट आ जाएगी। वहीं खाद्य आपूर्ति मंत्री राजेंद्र गर्ग ने भी कहा है कि प्याज के  दामों में बढ़ोतरी टेंपरेरी चीज है, जो कि जल्द ही कम भी हो जाएगी।

राज्य सचिवालय में खाद्य आपूर्ति मंत्री ने विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक ली। बैठक में प्याज के बढ़े हुए दामों पर मुख्य रूप से चर्चा की गई। इसके अलावा अन्य मसलों को लेकर भी मंत्री के साथ वार्ता हुई। प्याज को लेकर हुई चर्चा में कहा गया कि विभाग बाजारों में उतर कर निरीक्षण करे और ये जांचे की कहीं प्याज की जमाखोरी तो नहीं की गई है। इसके अलावा ये भी तय किया जाए कि कहीं दुकानदार तय रेटों से ज्यादा तो प्याज नहीं बेच रहे हैं।

रिपोर्टः स्टाफ रिपोर्टर, शिमला

हिमाचल में फंसी गेहूं की बिजाई

हिमाचल के खेतों में 80 फीसदी सिंचाई बारिश के सहारे होती है, लेकिन इस बार लंबे समय से प्रदेश में वर्षा नहीं हुई है। इससे फसलों पर बुरा असर पड़ रहा है। पेश है यह रिपोर्ट

हिमाचल के मैदानी इलाकों में लंबे समय से बारिश नहीं हुई है। इससे गोभी, पालक, सरसों, मूली,शलगम जैसी नकदी फसलें सूखने की कगार पर पहुंच गई हैं। सबसे ज्यादा खराब हालत गेहूं की तैयारियों में जुटे किसानों की

हुई है। गेहूं बिजाई से पहले खेतों की सिंचाई नहीं हो पा रही है। इससे गेहूं की बिजाई में देरी तय है। अपनी माटी टीम ने बारिश न होने के कारण हो रहे नुकसान को जानने का प्रयास किया। ऊना से सीनियर फोटो जर्नलिस्ट मुनिंद्र अरोड़ा ने जिला के कई गांवों का दौरा किया। इस दौरान पता चला कि खेतों में सिंचाई नहीं हो पा रही है। किसानों ने बताया कि बारिश देर से होगी तो वे खेत को सही तरीके से तैयार नहीं कर पाएंगे। इसके अलावा नकदी फसलें सूखने लगी हैं। जिन किसानों के पास अपने टयूबवेल हैं,वे तो सिंचाई कर पा रहे हैं,लेकिन जिनके पास यह सुविधा नहीं है, उनकी हालत पतली हो गई है। बहरहाल अब किसानों को इंद्रदेव से ही अंतिम आस है।

रिपोर्टः दिव्य हिमाचल टीम, ऊना

प्रमाणित बीज पर सबसिडी

कृषि विभाग ऊना के सौजन्य से जिला किसानों को इस वर्ष 15 हजार क्विंटल गेहूं के प्रमाणित बीज वितरित किया जा रहा है। कृषि उपनिदेशक, ऊना डा. अतुल डोगरा ने बताया कि इस वर्ष ऊना जिला में 28 हजार 505 हेक्टेयर क्षेत्र के लिए 64 हज़ार 868 मीट्रिक टन गेहूं का अनुमान लगाया गया है।

कृषि उपनिदेशक ने बताया कि गेहूं के बीज की बिक्री दर 3200 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित की गई है, जिसके लिए किसान को गेहूं की समस्त किस्मों के बीज के लिए 1500 रुपए प्रति क्विंटल अनुदान प्रदान किया जाएगा। यह अनुदान राज्य योजना, बीज और रोपण सामग्री उपमिशन (बीज गांव) व राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (एनडीआरएफ) के तहत दिया जाएगा, जबकि 1700 प्रति क्विंटल रुपए कृषकों से उनके हिस्से के तौर पर एकत्रित किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि गेहूं के 40 किलो बीज का बैग 680 रुपए प्रति बैग अनुदान में प्रदान किया जाएगा, जिसमें बीज की एचडी-3086, डब्लयूएच-1105, उन्नत-550, डीबीडब्ल्यू-88, उन्नत-725, उन्नत-343, उन्नत-550, एचपीडब्ल्यू-3086, एचपीडब्ल्यू-349, एचपीडब्ल्यू-249, एचपीडब्ल्यू-368, एचपीडब्ल्यू-360 व डीबीडब्ल्यू-88 की किस्में उपलब्ध रहेंगी।

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