सेना और लौंगेवाल: कर्नल (रि.) मनीष धीमान, स्वतंत्र लेखक

By: कर्नल (रि.) मनीष धीमान, स्वतंत्र लेखक Nov 21st, 2020 12:06 am

भारत की पश्चिमी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर थार मरुस्थल में जैसलमेर से करीब 125 किलोमीटर दूर लौंगेवाल बॉर्डर का सेना के साथ एक अटूट रिश्ता है। 1971 के भारत-पाक युद्ध में दोनों देशों की सेनाओं ने अपने-अपने देश के लिए लड़ते हुए बड़ी ही बहादुरी और जांबाजी का प्रमाण दिया था। हिंदी सिनेमा में बॉर्डर नाम की एक मूवी में भी इस क्षेत्र में लड़े गए युद्ध का एक रोचक प्रसंग दिखाया गया है। पिछले सप्ताह भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने हर बार की तरह इस बार भी दिवाली का त्योहार सैनिकों के साथ मनाया, पर इस बार जगह कश्मीर या लद्दाख की बर्फीली पहाडि़यों के बजाय थार मरुस्थल के रेतीले टीले तथा ढोरे थे। प्रधानमंत्री ने खाकी पहनकर टैंक की सवारी की जो फौजी नियमों की अवहेलना थी और उस पर फौजियों ने जायज़ आपत्ति भी जताई। प्रधानमंत्री ने रणबांकुरों की धरती से चीन और पाकिस्तान को बिना नाम लिए जो संदेश दिया, वह चर्चा का विषय है।

 सैनिकों को संबोधित करते उन्होंने भारत के खिलाफ  शत्रुतापूर्ण रवैया रखने वाले देशों को परोक्ष तौर पर कड़ा संदेश दिया। लद्दाख में चीन की घुसपैठ को लेकर सात माह से जारी टकराव के बीच पीएम मोदी ने दो टूक कहा कि दुनिया जानती है कि भारत अपने हितों को लेकर किसी भी तरह का कोई समझौता नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि आज दुनिया विस्तारवादी ताकतों से परेशान है, विस्तारवाद एक मानसिक परेशानी है और यह 18वीं सदी की सोच को दिखाता है। भारत ऐसी सोच के खिलाफ  मजबूती से खड़ा है। इससे पहले लद्दाख की यात्रा के दौरान भी चीन की विस्तारवादी नीतियों पर करारा प्रहार किया था। यह बयान ऐसे वक्त में दिया है जब दोनों देशों की सेनाओं के बीच पीछे हटने के समझौते की खबर आ रही है। प्रधानमंत्री के इस बयान के कई मायने निकाले जा सकते हैं। किसी भी मुद्दे का सीधे उल्लेख न कर रेत के टिव्बे पर खड़े होकर प्रधानमंत्री ने चीन की समुद्री तथा बर्फीले क्षेत्र में चल रही विस्तारवादी सोच पर प्रहार किया है। उन्होंने अपने इस बयान से दक्षिण चीन सागर में आसियान देशों तथा पूर्वी चीन सागर में जापान के साथ चल रहे विवाद को लेकर प्रभावित मुल्कों की आवाज का समर्थन किया है।

 हिंद महासागर में भी चीन के दबदबे को रोकने के लिए भारत पहले ही मालावर जैसी बड़ी साझेदारी कर रणनीतिक स्थिति मजबूत करने में जुटा है। पाकिस्तान को भी कड़ा संदेश देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारत आतंकियों और उनके आकाओं को घर में घुसकर मारता है। सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़क, पुल बनाने की भारत की गतिविधियों पर चीन के एतराज को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि भारत लगातार सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे को मजबूत कर रहा है। यह एक संयोग है कि इसी लौंगेवाल क्षेत्र में 1971 में भारतीय सेना ने पाकिस्तान के दो टुकड़े करने की नींव रख कर विश्व को एशियन देशों में अपने वर्चस्व की दावेदारी का लोहा मनवाया था। आज करीब 50 वर्ष बाद उसी जगह से प्रधानमंत्री ने भी अपने बयानों से उसी दावेदारी को दोबारा मजबूत करने की ताल ठोंकी है।


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