स्नोव्हाइट और सात बौने

By: Nov 28th, 2020 12:20 am

फिर सयाना बौना सामने आया और बोला — ‘‘ राजकुमार, स्नोव्हाइट हमारे लिए बेटी जैसी थी। पिछले कुछ ही दिनों में हमें उससे इतना मोह हो गया था कि हम उससे अलग होने की कल्पना भी न कर पाते। फिर भी तुम्हारा निष्कपट प्रेम देखकर हम सोचने पर मजबूर हो गए हैं। तुम इसे ले जा सकते हो। आखिर वह जीवित रहती तो भी तो हम उसे किसी न किसी राजकुमार को सौंपते ही।’’ राजकुमार बहुत प्रसन्न हुआ। उसने बौनों का ह्यदय से आभार प्रकट किया…

-गतांक से आगे…

उनकी बात सुन राजकुमार अपने घोड़े से उतरा और उनके निकट आया। वह ताबूत में रखी स्नोव्हाइट को देखना चाहता था। उसने देखा तो देखता ही रह गया। सुंदरता की ऐसी प्रतिमा उसने कभी नहीं देखी थी। उसने एक ठंडी आह भरी — ‘‘ओह! यह कैसा दुर्भाग्य है हमारा। काश! मैं इससे मिला होता जब यह जीवित थी। मैं इससे विवाह करता। हे भगवान, कैसी विडम्बना है। मुझे एक मृत राजकुमारी से प्रेम हो गया है।’’ राजकुमार की आंखें भर आई थीं। उसने बौनों को संबोधित किया — ‘‘प्यारे बौनो, मुझे मृत स्नोव्हाइट से अचानक इतना प्रेम, इतना मोह हो गया है कि मैं इसके बिना एक पल भी जीवित नहीं रह पाऊंगा। अब मेरे लिए संसार की किसी और सुंदरी से विवाह करना संभव नहीं होगा। कृपया मुझे राजकुमारी को अपने साथ ले जाने की आज्ञा दीजिए। मेरी विनती ठुकराइए मत।’’ बौनों ने कुछ सोच-विचार किया।

फिर सयाना बौना सामने आया और बोला — ‘‘ राजकुमार, स्नोव्हाइट हमारे लिए बेटी जैसी थी। पिछले कुछ ही दिनों में हमें उससे इतना मोह हो गया था कि हम उससे अलग होने की कल्पना भी न कर पाते। फिर भी तुम्हारा निष्कपट प्रेम देखकर हम सोचने पर मजबूर हो गए हैं। तुम इसे ले जा सकते हो। आखिर वह जीवित रहती तो भी तो हम उसे किसी न किसी राजकुमार को सौंपते ही।’’ राजकुमार बहुत प्रसन्न हुआ। उसने बौनों का ह्यदय से आभार प्रकट किया। फिर बहुत प्रेम व सावधानी  से उसने स्नोव्हइट का शरीर ताबूत से बाहर निकाला। अब राजकुमारी की शरीर राजकुमार की बांहों में था और सिर उसके बाएं कंधे पर टिका। इस प्रकार राजकुमार उसे अपने घोड़े की आरे ले जा रहा था तो स्नोव्हाइट का मुंह खुल गया। सेब का टुकड़ा उसके मुंह से बाहर आ गिरा। वह टुकड़ा स्नोव्हाइट के गले से नीचे नहीं उतरा था। और फिर चमत्कार ही हो गया। राजकुमारी ने धीरे से आंखें खोलीं जैसे लंबी नींद से जाग रही हो। उसने इधर-उधर देखा और पानी मांगा। बौनों की खुशी का पारावार न था। उनमें एक पानी लाने दौड़ता हुए घर के भीतर गया । राजकुमार ने भर्राए गले से स्नोव्हाइट को बताया — ‘‘हम सब तुम्हें मरी समझ रहे थे। तुम्हें मरी जानकर भी मैं तुमसे प्यार कर बैठा। तुम सौंदर्य की प्रतिमा हो। मैं तुम्हारा शरीर इनसे मांग कर अपने साथ ले जा रहा था। पर भगवान  की लीला विचित्र है। वह बड़ा दयालु है। शायद मेरा निःस्वार्थ प्रेम देखकर ही उसने तुम्हें दोबारा संसार में भेजा है।


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