ठंड से जम गई कमरूनाग झील, झील में पड़े नकदी-आभूषणों ने ओढ़ी कोहरे की चादर

By: कार्यालय संवाददाता - गोहर Nov 27th, 2020 12:06 am

मंडी जनपद के बड़ा देव कमरूनाग की सुप्रसिद्ध एवं ऐतिहासिक झील कड़ाके की ठंड से इस बार समय से पहले ही जम गई है। करीब 500 मीटर गोलाकार क्षेत्र में घने कोहरे की चादर ओढ़ चुकी यह झील अब शीशे का रूप धारण कर चुकी है। सर्दियों के मौसम में भले ही हर साल यह जाम होती रही है, लेकिन इस बार पानी से लबालब इस झील ने पहली बार करीब चार इंच घने कोहरे की चादर ओढ़ रखी है। वहीं, कमरूनाग परिसर व आसपास की सभी चोटियों पर सीजन की पहली बर्फबारी भी हो गई है। वहीं, देवता कमेटी के लोगों ने इस बार भयंकर सर्दी से झील के जाम होते ही यहां डेरा लगा दिया है।

 सनद रहे कुछ वर्ष पूर्व यहां शरारती तत्त्वों ने सर्दियों के मौसम के दौरान इस झील मे जमे घने कोहरे को कुल्हाडि़यों से तोड़कर इसमें चढ़ाई गई करोड़ों की नकदी सहित सोने-चांदी के आभूषणों पर हाथ साफ करने का प्रयास किया था। लिहाजा उस घटना से सबक सिखकर कमेटी ने इस बार समय पर ही झील को सुरक्षित रखने के प्रबंध किए हैं। देवता कमेटी के कारिंदे आजकल शिफ्टों में झील क़ी सुरक्षा में पूरी तरह से मुस्तैद हैं। श्रीदेव कमरूनाग के पूर्व कटवाल निर्मल सिंह ठाकुर ने खबर की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि कमरूनाग झील बर्फ से जम गई है और मंदिर परिसर के आसपास क्षेत्र में भी सीजन की पहली बर्फबारी हो गई है।


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