ऊना में मजदूरों और किसानों ने मांगा हक

By: नगर संवाददाता- ऊना Nov 27th, 2020 12:59 am

अखिल भारतीय केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और कर्मचारियों की विभिन्न यूनियनों व राष्ट्रीय फेडरेशनों के आह्वान पर ऊना मुख्यालय पर सीटू की अगवाई में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं व अन्य मजदूर संगठनों ने अखिल भारतीय हड़ताल व विरोध प्रदर्शन किया। विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व नीलम जसवाल जिलाध्यक्ष सीटू एवं राज्य अध्यक्ष आंगबाड़ी वर्कर्ज एवं हेल्पर यूनियन व कामरेड गुरनाम सिंह महासचिव सीटू जिला ऊना ने किया। इस मौके पर एमसी पार्क से लेकर डीसी कार्यालय तक रैली निकाली गई और जिला प्रशासन के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ज्ञापन भी प्रेषित किया गया। नीलम जसवाल व कामरेड गुरनाम सिंह ने कहा कि 44 श्रम कानूनों को खत्म कर 4 श्रम सहिताओं में बदलने के मजदूर विरोधी निर्णय को वापस लिए जाए। किसान विरोधी कानून वापस लिए जाएं स्वामी नाथ कमीशन की सिफारिशें लागू की जाए। वर्तमान जीवन यापन सूचकांक के आधार पर राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन 21000 रुपए प्रति माह घोषित किया जाए। सरकारी कांन्ट्रेक्ट ठेकेदारी प्रथा व आउटसोर्स प्रणाली को खत्म किया जाए और मजदूरों व कर्मचारियों को पक्का रोजगार दिया जाए। उच्चत्तम न्यायलय के फैसले के अनुसार सामान काम का सामान वेतन दिया जाए।

सभी आउटसोर्स कर्मियों को सरकारी अनुबंध पर लिया जाये। केंद्र व राज्य सरकार द्वारा विभिन्न विभागों में खाली पड़े पदों को जल्दी भरने की प्रक्रिया शुरू की जाए, ताकि युवाओं को रोजगार दिया जा सके। फिक्स टर्म रोजगार व 8 के बजाए 12 घंटे के कार्य दिवस के निर्णय को वापस लिया जाए। बैंक, बीमा, बीएसएनएल, पोस्टल, रक्षा, बिजली, रेलवे, कोयला, बंदरगाहों एनटीपीसी, एसजेवीएनएल, बीएचईएल (वहेल), एनएचपीसी, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि सार्वजनिक क्षेत्रों का विनिवेश व निजिकरण बंद किया जाए। केंद्र सरकार महंगाई को रोकने के लिए तुरंत कदम उठाए। उन्होंने कहा कि डिपुओं में राशन व्यवस्था मजबूत की जाए। अनाज व अन्य खाद्य वस्तुओं में सट्टा बाजारी, काला बजारी, मुनाफाखोरी की नीति बंद की जाए। पैट्रोल व डीजल पर एक्साईज ड्यूटी व वैट कम किया जाए। सभी मजदूरों को पेंशन सुविधा दी जाए। वर्ष 2003 के बाद नियुक्त सरकारी कर्मचारियों को नई पेंशन नीति (एनपीएस) के बजाये पुरानी पेंशन नीति (ओपीएस) कि दायरे में लाया जाए। आंगनबाड़ी, मिड-डे मील व आशा वर्कर्ज को सरकारी कर्मचारी बनाया जाये तथा पेंशन लाभ दिए जाए। उन्हें हरियाणा की तर्ज पर वेतन दिया जाए। मोटर व्हीकल एक्ट में परिवहन मजदूर व मालिक विरोधी बदलाव वापस लिए जाए।  मनरेगा मजूदरों को कम से कम 200 दिन का काम दिया जाए तथा उन्हें सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम वेतन दिया जाए।

काम मांगने पर रसीद दी जाए। मनरेगा व निर्माण मजदूरों को सन्निमार्ण श्रमिक कल्याण वोर्ड में पंजीकरण सरल किया जाए। मनरेगा व निमार्ण मजदूरों को 3000 रुपए  मासिक पेंशन दी जाए। उनके सभी आर्थिक लाभों में बढ़ोतरी की जाये सट्री वेंडर्ज एक्ट को सख्ती से लागू किया जाए। रेहड़ी-फहड़ी-तयबजारी (स्ट्रीट वेंडर्ज) के अधिकारों की रक्षा की जाए।  वहीं,  यूनियनों का पंजीकरण सरल कर इसे पहली महीने के अंदर किया जाए। सेवाकाल के दौरान मृत कर्मचारियों के आश्रितों को बिना शर्त करूणामूलक आधार पर नौकरी दी जाए। केंद्र सरकार के सभी विभागों में महिला कर्मचारियों को दो वर्ष की चाइल्ड केयर लीव दी जाए। सेवारत सरकारी कर्मचरियों को 50 वर्ष की आयु व 33 वर्ष की नौकरी के बाद जबरन रिटायर करना बंद किया जाए। इस प्रदर्शन में मिड-डे मील वर्कर्ज की ओर से जिलाध्यक्ष बलविंद्र कौर व महासचिव अनुराधा, सुदेश, तृप्ता, कमलदेव, वर्कर्ज यूनियन की ओर से मुकेश कुमार महासचिव, चनन सिंह प्रधान, यशपाल, कोजिटच मैटर्रज वर्कर्ज यूनियन की ओर से परमजीत सिंह, गुरदियाल सिंह, निपसो वर्कर्ज यूनियन की ओर से सुभाष चंद, ओम प्रकाश, किसान सभा के जिला प्रधान केके राणा, महासचिव ओपी सिद्धू, सीआईटीयू के उपप्रधान सुरिंद्र शर्मा, कोषाध्यक्ष शिव कुमार, आंगनबाड़ी की ओर से जिला प्रधान नरेश शर्मा, महासचिव नीलम, कोषाध्यक्ष अनुराधा, मंजु, रमा कुमारी, सोमा देवी, संतोष, निर्मल, पुष्पा रानी, मंजु, निशा व मनरेगा यूनियन की ओर से प्यारा सिंह, मंजीत, कुशल, संतोष, मंजीत कौर इत्यादि उपस्थित रहे।

किसानों ने ये रखीं मुख्य मांगें

सभी मजदूरों को भविष्य नीधि, ईएसआई चिकित्सा लाभ, दुर्घटना, ग्रेच्युटी व पेंशन लाभ आदि सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाया जाए। भविष्यनिधि के पैसे को सट्टा बाजार में न लगाया जाए। औद्योगिक क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों को कारखाना मालिकों द्वारा आवास सुविधा मुहैया करवाई जाए अन्यथा राज्य सरकार द्वारा मजदूरों के लिए आवासीय कालोनियों का निर्माण किया जाए। औद्योगिक मजदूरों को न्यूनतम वेतन अन्य मजदूरों से 40 प्रतिशत अधिक दिया जाए।


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