आत्मनिर्भर भारत में हींग-केसर का अहम रोल; सीएसआईआर-आईएचबीटी में आयोजित ‘विज्ञान यात्रा’ में विशेषज्ञों ने रखे विचार

By: कार्यालय संवाददाता — पालमपुर Dec 6th, 2020 12:06 am

सीएसआईआर-आईएचबीटी में आयोजित ‘विज्ञान यात्रा’ में विशेषज्ञों ने रखे विचार, किसानों को सुगंधित फसलें उगाने पर किया प्रेरित

सीएसआईआर-हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान में को छठे भारतीय अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (आईआईएसएफ 2020) के अंतर्गत ‘विज्ञान यात्रा’ कार्यक्रम का ऑनलाइन आयोजन किया गया। सीएसआईआर-आईएचबीटी के निदेशक डा. संजय कुमार ने ‘विज्ञान यात्रा’ के महत्त्व के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि संस्थान द्वारा हींग और केसर फसलों की खेती का विस्तार, आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक अग्रणी कदम होगा। हींग के पौधों को लाहुल-स्पीति और मंडी जिलों के किसानों को उपलब्ध कराया गया है, जबकि केसर की खेती को किन्नौर, मंडी और चंबा जिलों में प्रोत्साहित किया जा रहा है। सेब के विषाणुरहित पौधों को उत्तर-पूर्व के मिजोरम और अन्य राज्यों में उपलब्ध करवा कर, वहां के किसानों की आर्थिकी को सुदृढ़ करने की दिशा में भी संस्थान ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

 संस्थान द्वारा किसानों को सुगंधित फसलें उगाने के लिए प्रेरित किया तथा उनके खेतों में सगंध तेल के निष्कर्षण के लिए प्रदेश में कई आसवन इकाइयां स्थापित की गईं। प्रदेश इन प्रयासों से देश भर में जंगली गेंदे के तेल का सबसे बड़ा उत्पादक बन गया है। संस्थान ने पोषण हेतु विटामिन-डी से भरपूर सिटाके मशरूम, आयरन, प्रोटीन और फाइबर युक्त उत्पादों को भी विकसित किया है। सामाजिक दायित्व के अंतर्गत संस्थान ने रेडी-टू-इट डिब्बा बंद खाद्य पदार्थ एवं एनर्जी और प्रोटीन युक्त बार इत्यादि को भारत में आए विभिन्न चक्रवातों से प्रभावित क्षेत्रों के पीडि़तों और कोरोना महामारी में वंचितों में वितरित किया। पुष्पखेती को बढ़ावा देने के लिए संस्थान ने कई किस्में विकसित कीं, जिनकी खेती से किसानों की आय में उल्लेखनीय वृद्धि हुई।

संस्थान ने डब्ल्यूएचओ के दिशा निर्देशों के अनुसार अल्कोहल आधारित हैंड सेनेटाइजर एवं हर्बल साबुन की तकनीक विकसित की और स्थानीय उद्यमियों के माध्यम से व्यापक स्तर पर इसका उत्पादन करके आम लोगों को कोविड-19 से सुरक्षा प्रदान करने में भी अहम भूमिका निभाई है। इस अवसर पर मुख्यवक्ता प्रो. शशि कुमार धीमान, पूर्व कुलपति तकनीकी विश्वविद्यालय हमीरपुर व प्रोफेसर भौतिक विज्ञान विश्वविद्यालय शिमला ने ‘विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारत का योगदान’ विषय पर अपना संभाषण दिया।  वहीं प्रो. धीमान ने आधुनिक विज्ञान में भारतीय वैदिक विज्ञान की भूमिका पर विचार रखे। इस अवसर पर संस्थान की शोध एवं विकास गतिविधियों तथा भारतीय अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव की गतिविधियों के वृतचित्र को भी प्रदर्शित किया गया।


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