कब पूरा होगा शांता जी का ड्रीम प्रोजेक्ट : नीलम सूद,लेखिका पालमपुर से हैं

By: नीलम सूद,लेखिका पालमपुर से हैं Dec 5th, 2020 12:06 am

वर्ष 2007 में  जब प्रेम कुमार धूमल दूसरी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने, तब  उद्योगपति  जय प्रकाश का बोलबाला था। नार्थ ईस्ट से लेकर उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और हिमाचल में उनके अनेक प्रोजैक्ट चल रहे थे। मायावती, निशंक व धूमल के साथ उनके संबंध जगजाहिर हैं। अतः शांता कुमार ने धूमल से आग्रह कर पालमपुर अस्पताल का प्रोजैक्ट जेपी को सौंप दिया। इससे पूर्व कायाकल्प को अलग कर उसका कार्य पूर्ण कर लिया गया था। परंतु ऐलोपैथिक विंग, जिस पर सबकी निगाहें थी और जिसके लिए दानवीरों ने बड़ी उम्मीदों से पैसा दिया था, वह कुछ शर्तों के साथ जेपी के हवाले कर दिया गया जिसे पूरी तरह कारपोरेट तरीके से चलाया जाना था। सुविधा विहीन जनता को यह भी मंजूर था क्योंकि उसे सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल और मेडिकल कालेज का सपना दिखाया गया था…

हिमाचल की स्वास्थ्य सुविधाओं पर हमेशा से प्रश्नचिन्ह लगता रहा है। आम जनता को गंभीर बीमारियों के लिए दूसरे राज्यों पर निर्भर रहना पड़ता है। यह स्थिति आज 2020 की है, जब यातायात सुविधा के कारण दूसरे राज्यों का सफर थोड़ा सुगम हुआ है। परंतु 1990 में जब  आज जैसी यातायात सुविधाएं नहीं थी, तो राज्य में स्वास्थ्य सुविधाएं भी नाममात्र की ही हुआ करती थीं। शिमला में आईजीएमसी को छोड़कर कोई अन्य अस्पताल नहीं था। गंभीर बीमारियों व दुर्घटनाओं के शिकार लोग बिना इलाज के दम तोड़ देते थे। तभी शांता कुमार जी मुख्यमंत्री बने। निचले क्षेत्र के लोगों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए उन्होंने अपोलो अस्पताल एवं मेडिकल कॉलेज बनाने की कवायद आरंभ की। अपोलो के चेयरमैन से बात कर उन्होंने पालमपुर में सरकारी जमीन का अधिग्रहण किया और सरकार व अपोलो के सदस्यों को शामिल कर एक ट्रस्ट की स्थापना की। दुर्भाग्य से बाबरी विध्वंस के कारण ढाई वर्ष के भीतर ही अन्य राज्यों की भाजपा सरकारों के साथ उनकी सरकार भी गिरा दी गई। दोबारा चुनाव होने पर वह स्वयं और उनकी पार्टी चुनाव हार गई। कांग्रेस सत्तासीन  हुई, परंतु शांता कुमार के इस ड्रीम प्रोजेक्ट को बड़ा झटका तब लगा जब वीरभद्र सिंह ने इस प्रोजैक्ट की जगह नगरोटा बगवां के विधायक जीएस बाली के कहने पर पालमपुर से चालीस किलोमीटर दूर टांडा में राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज की नींव रख दी।

एक बार फिर से लोकसभा के लिए चुने जाने के बाद शांता कुमार ने लोगों के सहयोग से अपने ड्रीम प्रोजेक्ट का कार्य आरंभ किया। कांग्रेस द्वारा निचले क्षेत्र के लोगों की भावनाओं से खिलवाड़ के कारण लोगों ने इस प्रोजैक्ट को पूरा करने के लिए शांता कुमार का तन-मन-धन से साथ दिया। क्या अमीर, क्या गरीब, सबने एक से लेकर करोड़ों रुपए तक दान में दिए और एक उच्च कोटि के अस्पताल का सपना देखने लगे। परंतु राजनीति में जनता के सपनों का कोई मोल नहीं होता। शांता कुमार ने अपने राजनीतिक सफर में जितने उतार-चढ़ाव देखे होंगे, उससे कहीं अधिक उतार-चढ़ाव प्रस्तावित अपोलो अस्पताल ने देखे हैं। अपने बड़बोलेपन के कारण कभी शांता कुमार को मंत्री पद से हाथ धोना पड़ा तो कभी जनता ने उन्हें नकार दिया। इसी ऊहापोह में अपोलो अस्पताल की आधी-अधूरी इमारतें लंबे समय तक जंग खाती रहीं। हालांकि प्रदेश में प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व में भाजपा सरकार भी बनी, परंतु अस्पताल का कार्य राजनीतिक द्वंद्व में धूल फांकता रहा। इसी दौरान भाजपा व कांग्रेस की सरकारें आती व जाती रहीं और पालमपुर की जनता स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में असमय  मौत के मुंह में जाती रही।  वर्ष 2007 में  जब प्रेम कुमार धूमल दूसरी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने, तब  उद्योगपति  जय प्रकाश का बोलबाला था। नार्थ ईस्ट से लेकर उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और हिमाचल में उनके अनेक प्रोजैक्ट चल रहे थे। मायावती, निशंक व धूमल के साथ उनके संबंध जगजाहिर हैं। अतः शांता कुमार ने धूमल से आग्रह कर पालमपुर अस्पताल का प्रोजैक्ट जेपी को सौंप दिया। इससे पूर्व कायाकल्प को अलग कर उसका कार्य पूर्ण कर लिया गया था। परंतु ऐलोपैथिक विंग, जिस पर सबकी निगाहें थी और जिसके लिए दानवीरों ने बड़ी उम्मीदों से पैसा दिया था, वह कुछ शर्तों के साथ जेपी के हवाले कर दिया गया जिसे पूरी तरह कारपोरेट तरीके से चलाया जाना था।

सुविधा विहीन जनता को यह भी मंजूर था क्योंकि उसे सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल और मेडिकल कालेज का सपना दिखाया गया था। यहां पर भी जनता का दुर्भाग्य समाप्त नहीं हुआ। तीनों राज्यों में जहां-जहां जेपी के प्रोजैक्ट चल रहे थे, उनकी सरकारें हार गईं और उद्योगपति कर्ज के बोझ तले दब कर दिवालिया हो गया। उसके कई हाउसिंग प्रोजैक्ट खटाई में पड़ गए। लोगों से पैसा लेकर समय पर फ्लैट न दे पाने के कारण कोर्ट-कचहरी हुई और अब परिवार के कई सदस्य एवं प्रबंधक जमानत पर हैं। ऐसी दयनीय हालत में भी जेपी इस संस्थान को छोड़ने को बिल्कुल भी तैयार नहीं है क्योंकि ट्रस्ट में उसके सदस्यों की संख्या अधिक होने के कारण  संस्थान को सरकार के हवाले करने का प्रस्ताव ही पास नहीं हो पाता। मुख्यमंत्री  जयराम ठाकुर एवं स्वास्थ्य मंत्री राजीव सैजल जी से आग्रह है कि सरकार द्वारा अस्पताल का अधिग्रहण कर स्वास्थ्य सेक्टर के किसी अच्छे कारपोरेट के साथ अनुबंध कर अस्पताल को चलाया जाए, जैसे शांता कुमार जी 1990 में सरकार एवं अपोलो के सहयोग से चलाना चाहते थे।

पालमपुर और अन्य क्षेत्रों के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए ऐसा करना जरूरी है। पालमपुर की जनता में यह सवाल उठ रहा है कि आखिर शांता कुमार का ड्रीम प्रोजैक्ट कब पूरा होगा। हिमाचल में इन दिनों शांता कुमार की पार्टी, भारतीय जनता पार्टी सरकार चला रही है। लोगों में आशा है कि जयराम ठाकुर सरकार शांता जी के ड्रीम प्रोजैक्ट को पूरा करने में पूरा योगदान करेगी। इस प्रोजैक्ट को पूरा करने के लिए इससे बेहतर समय और क्या हो सकता है? इस अस्पताल के बनने से न केवल पालमपुर के लोग लाभान्वित होंगे, बल्कि आसपास की बड़ी आबादी को भी बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकेंगी।


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