किसान आंदोलन में आगे पंजाब, गरीबी रेखा से नीचे जीवन गुजार रहा प्रदेश का हर तीसरा किसान

By: निजी संवाददाता — चंडीगढ़ Dec 5th, 2020 12:03 am

दिल्ली की सीमाओं पर पिछले एक हफ्ते से डेरा बैठे जमाए किसान अब भी डटे हुए हैं। पंजाब से लेकर हरियाणा तक किसानों का आंदोलन हो रहा है और कृषि कानून में बदलाव की मांग की जा रही है। बीते दिन सरकार और किसान संगठनों की चर्चा बेनतीजा रही, लेकिन अभी भी बातचीत का दौर जारी है। किसानों के इस आंदोलन की लड़ाई पंजाब के किसान लड़ रहे हैं, जिनके बारे में छवि बना दी गई है कि वहां के किसान अमीर हैं, लेकिन हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। कृषि कानून पास होने के बाद से ही पंजाब के किसान बड़ी संख्या में सड़कों पर हैं।

भले ही दिल्ली कूच एक हफ्ते पहले किया गया हो, लेकिन दो महीने से ये आंदोलन पंजाब की सड़कों पर दिख रहा है। पंजाब के किसानों को लेकर एक छवि बना दी गई है कि वहां के किसान अमीर हैं और उन्हें इन कानूनों से समस्या नहीं है, लेकिन अगर पंजाब के किसानों का आंकड़ा देखें, तो समस्या काफी गंभीर है। जब किसानों का आंदोलन पंजाब से दिल्ली के लिए कूच किया तो इन बड़ी-बड़ी गाडि़यों से सवाल उठा कि क्या चंद किसानों ने आम किसानों के नाम पर सरकार को बदनाम करने की साजिश रची है, लेकिन सच्चाई ये है कि पंजाब के ज्यादातर किसान गरीब और बेबस हैं। उनकी यह बेबसी इस आंदोलन में सड़क किनारे साफ-साफ दिखती है।

पंजाब का हर तीसरा किसान गरीबी रेखा से नीचे जीवन गुजार रहा है और वे आत्महत्या कर चुका है। पंजाब में हर तीसरा किसान गरीबी रेखा के नीचे जीवन गुजर बसर करता है। पंजाब के 96 फीसदी किसान गरीब हैं, जबकि अमीर किसान सिर्फ चार फीसदी हैं। छोटे और मंझोले किसान भी तनाव में ही रहते हैं, इनमें हजारों किसान अब तक खुदकुशी कर चुके हैं। 2000 से 2011 के बीच 3500 से ज्यादा किसानों ने खराब माली हालत के कारण खुदकुशी कर ली।

दुनिया में गूंजा आंदोलन का शोर

बता दें कि पंजाब के करीब 30 से अधिक किसान संगठनों ने मुख्य रूप से इस आंदोलन को बुना है, जिनसे सरकार भी बात कर रही है। इन्हीं संगठनों के हजारों किसान अपने ट्रैक्टर-ट्रॉली में राशन और रहने का सामान लेकर दिल्ली कूच कर रहे हैं, जिनका दावा है कि वे अगले 4-5 महीने का राशन साथ लाए हैं। पंजाब में भी पिछले काफी दिनों से महिलाएं, बुजुर्ग, बच्चे और युवा सड़कों पर उतरे हुए हैं। गौरतलब है कि पंजाब और हरियाणा उन राज्यों में से एक हैं, जो बड़ी संख्या में सरकार को फसल उपलब्ध कराते हैं। ऐसे में अगर देश को राशन की जरूरत पड़ती है, तो पंजाब का किसान सबसे आगे खड़ा होता है। पंजाब के किसानों का आंदोलन का असर रहा कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो समेत दुनिया के कई अन्य नेताओं का ध्यान इस ओर गया और उन्होंने अपनी राय रखी।


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