सर्दी-जुकाम वाले मरीजों पर पैनी नजर

By: दिव्य हिमाचल ब्यूरो- ऊना Dec 2nd, 2020 12:20 am

जिला दंडाधिकारी ऊना राघव शर्मा ने आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 34 के तहत आदेश जारी किए हैं कि कोविड-19 के लक्षण से ग्रसित कई मरीज स्वास्थ्य विभाग को समय पर सूचित कर अपना परीक्षण नहीं करा रहे हैं और ऐसे मरीज बिना टेस्ट अन्य चिकित्सकों, वैद, कैमिस्ट इत्यादि से अपना इलाज करवा रहे हैं और जब स्थिति गंभीर हो रही है, तभी स्वास्थ्य विभाग को सूचित कर रहें हैं। स्वास्थ्य विभाग को ऐसे रोगियों के इलाज के लिए कठिनाई हो रही है और सामुदायिक संक्रमण फैलाने में भी सहायक बन रहे हैं।

उन्होंने आदेश दिए हैं कि ऐसे सभी मरीज जो किसी निजी चिकित्सक के पास इलाज के लिए आते हैं और जिनमें कोविड-19 के लक्षण बुखार, खांसी, जुकाम, गले में दर्द, सांस में तकलीफ इत्यादि दिखाई देते हैं, उनकी सूचना संबंधित निजी चिकित्सक द्वारा तुरंत मुख्य चिकित्सा अधिकारी, ऊना या संबंधित खंड चिकित्सा अधिकारी को देना कानूनन अनिवार्य होगा।

वहीं, किसी भी कोरोना पॉजिटिव मरीज से प्राप्त जानकारी से यह पाया जाता है कि किसी चिकित्सक ने पूर्व में उसका इलाज किया है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग को सूचित नहीं किया है अथवा किसी केमिस्ट, दुकानदार ने उस मरीज को लक्षणों से संबंधित दवाई बिना चिकित्सक के परामर्श के दी है, ऐसी स्थिति में आदेशों का उल्लंघन समझा जाएगा और मुख्य चिकित्सा अधिकारी, ऊना तथा संबंधित खंड चिकित्सा अधिकारी आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 60 के अंतर्गत आग्रिम कानूनी कार्रवाई के लिए

अधिकृत होंगे।

आम जनता से अपील

डीसी ने आम जनता से भी अपील की है कि कोविड संक्रमण को रोकने को अपना सामाजिक दायित्व समझते हुए प्रशासन का सहयोग करें।

पंचायत प्रधानों को देनी होगी वैद्य-हकीम की जानकारी

ग्रामीण क्षेत्रों में सभी पंचायत प्रधान और शहरी क्षेत्र में सभी वार्ड सदस्य इन आदेश के बारे में अपने क्षेत्र के सभी निजी चिकित्सकों, वैद्य, हकीम इत्यादि को उनकी कानूनी जिम्मेदारी के बारें में शीघ्र व्यक्तिगत रूप से सूचित करें।

आदेश किन पर लागू होंगे

आदेशों के अनुसार जिला के सभी निजी चिकित्सकों पर लागू होंगे चाहे वे किसी भी चिकित्सा पद्धति से इलाज करते हों जैसे एलॉपथी, आयुर्वेद, यूनानी, सिद्धा, होमियोपैथी या किसी अन्य नाम से प्रचलित पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली और किसी भी वैद्य, हकीम इत्यादि नाम से जाने जाते हों तथा किसी भी संस्थान में कार्यरत हों जैसे अस्पताल, क्लिनिक, स्वास्थ्य विभाग तथा अन्य सरकारी विभागों व प्राधिकरणों में कार्यरत चिकित्सकों पर भी लागू होंगे।


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