सेब के दुश्मन कीट का होगा खात्मा, वैज्ञानिकों ने दिया यह मन्त्र

By: रिपोर्टः निजी संवाददाता, नौणी Dec 6th, 2020 12:08 am

सेब की बात चलती है,तो अकसर वूलि एफिड नामक कीट का जिक्र आता है। यह कीड़ा सेब व अन्य फसलों का दुश्मन है। बागबानों की मांग पर अपनी माटी टीम ने नौणी यूनिवर्सिटी का दौरा किया। पेश है बागबानों के लिए बड़े काम की यह खबर…

नौणी – सेब व अन्य फसलों को वूलि एफिड नामक कीड़ा बहुत नुकसान पहुंचाता है। यह कीड़ा पत्तों से रस चूसकर धीरे धीरे फसलों को खत्म कर देता है। इसे रूईंदार कीड़ा भी कहते हैं। अपनी माटी के लिए नौणी से हमारी सहयोगी मोहिनी सूद ने डिपार्टमेंट ऑफ एंटोमोलॉजी से डा. राकेश कुमार से बात की। राकेश कुमार ने बताया कि अगर बागबान इस पर प्लानिंग से काम करें, तो वूलि एफिड पूरी तरह खत्म हो सकता है। उन्होंने कहा कि यह कीट काफी फसलों को नुकसान पहुंचाता है, लेकिन सेब का सबसे बड़ा दुश्मन है। बागबान इस कीट को रोकने की शुरुआत सर्दियों से भी कर सकते हैं। इसके  लिए किसानों को एक चिपकू बैंड का प्रयोग करना चाहिए। इस बैंड में लगी गौंद पानी से भी खराब नहीं होगी, लेकिन इस बैंड पर मिट्टी नहीं लगनी चाहिए। इस बैंड को पेड़ के शुरआती हिस्से में लगाना चाहिए। कीट जब  इस बैंड पर से गुजरता है तो वह इससे चिपक जाता है और मर जाता है।

रिपोर्टः निजी संवाददाता, नौणी

कविंद्र को प्रगतिशील किसान का पुरस्कार

चंबा। डा. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी सोलन के स्थापना दिवस के मौके पर चंबा की कीड़ी पंचायत के बंजल गांव के कविंद्र कुमार को मुख्यमंत्री ने प्रगतिशील किसान का पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। इस समारोह का आयोजन वर्चुअली किया गया। समारोह की अध्यक्षता महामहिम राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने की, जबकि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने बतौर मुख्यातिथि उपस्थिति दर्ज करवाई। रविंद्र कुमार को यह पुरस्कार कृषि क्षेत्र में बेहतरीन कार्य करने के लिए प्रदान किया गया।

वाह! किसान…दिल्ली में जमीन पर खाने खा रहे किसानों की यह तस्वीर किसान आंदोलन की पूरी कहानी बयां कर रही है। किसान आंदोलन के दौरान हाल ही में जब दिल्ली में एक मीटिंग में सरकार की ओर से किसानों को लंच ऑफर किया गया, तो किसानों ने उसे ठुकरा दिया। इससे किसानों ने अपनी एकता का संदेश दिया है।

हिमाचल में फिर उठी शुगर मिल खोलने की मांग किसान बोले, मंड में खोला जाए गन्ना उद्योग

मंड (इंदौरा, कांगड़ा)। सिरमौर जिला की पांवटा वैली और कांगड़ा जिला के मंड एरिया में इन दिनों गन्ने की फसल पूरी तरह तैयार है। किसान दिन-रात गन्ना काटने में जुटे हुए हैं, लेकिन बड़े दुख की बात है कि प्रदेश में एक भी शुगर मिल नहीं है। इस कारण  हमारे किसानों को पंजाब या हरियाणा की मंडियों में अपना माल बेचना पड़ता है। अकेले मंड एरिया की बात करें,तो वहां के किसानों को पंजाब के मुकेरियां में अपनी फसल बेचनी पड़ती है। दिक्कत यह है कि पंजाब में वहां हिमाचल के किसानों को उसी समय तवज्जो मिलती है,जब उनका माल बिक जाए। कई बार रेट की भी दिक्कत रहती है। ऐसे में ट्रांसपोर्टेशन में बहुत खर्च हो जाता है। मंड के किसानों ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि प्रदेश में ही शुगर मिल खोली जाए। किसानों ने कहा कि प्रदेश सरकार को चाहिए कि उसके अधिकारी मंड इलाके का दौरा करके यहां कारखाने की संभावना तलाशें। इलाके के हजारों किसानों ने अपनी माटी के जरिए उम्मीद जताई है कि सीएम जयराम ठाकुर जरूर उनके इस मसले पर गौर करेंगे।

कम पानी में तैयार होता है कुफरी ज्योति आलू

हमीरपुर। कृषि विक्रय केंद्रों में कुफरी ज्योति आलू का 170 क्विंटल बीज पहुंच गया है। किसानों को बीज पर दो रुपए की सबसिडी मुहैया करवाई जा रही है। हालांकि किसान अभी बीज खरीदने में ज्यादा रूचि नहीं दिखा रहे हैं। कृषि सेल सेंटरों पर अभी गिने-चुने लोग ही बीज खरीदने पहुंच रहे हैं। किसानों को आलू का एक किलो बीज 51 रुपए में पड़ रहा है। लाहुल का मशहूर कुफरी ज्योति आलू बीज कम पानी में तैयार होने वाली फसल की हमीरपुर में ज्यादा डिमांड है। आलू की फसल 85 से 90 दिनों में तैयार होती है। कुफरी ज्योति बीज की बिजाई दिसंबर माह के दूसरे हफ्ते तक ही किसान कर सकेंगे।

सिरमौर का अदरक बाजार में धड़ाम

सफेद सोने के नाम से मशहूर सिरमौरी अदरक की इस बार खूब बेकद्री हो रही है। इसके तीन बड़े कारण हैं। पेश है अपनी माटी में यह स्पेशल खबर

सिरमौर जिला का अदरक दुनिया भर में मशहूर है। अपने साइज और खास स्वाद के कारण इसे ग्राहक हाथोंहाथ उठाते हैं, लेकिन इस बार मंडियों में यह अदरक महज 20 रुपए किलो बिक रहा है। इससे हजारों किसानों पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है। अपनी माटी टीम ने रेट कम होने के कारण खंगालने की कोशिश की,तो पता चला कि यह अदरक मुख्यतः रेणुका मेले में बिकता था। इस बार मेला खानापूर्ति तक सिमटा रहा। दूसरा कारण यह है कि देश भर के आढ़ती किसान आंदोलन में हिस्सा ले रहे हैं। ऐसे में अदरक को सिर्फ लोकल मार्केट का सहारा है। तीसरी वजह कोरोना है। इस महामारी ने हर बिजनेस की तरह सिरमौरी अदरक पर भी असर डाला है। गौर रहे कि सिरमौर में 1600 हेक्टेयर जमीन के ज्यादातर हिस्से में अदरक उगाया जाता है। अदरक की खूब डिमांड रहती है। यह प्रदेश की इकॉनामी में अच्छा योगदान देता है,लेकिन इस बार अदरक को गहरा धक्का लगा है। रिपोर्टः निजी संवाददाता, नौहराधार

सुलाह में पेंटर ने उगाए चाय के दो हजार पौधे

हिमाचल में चाय बागानों का रकबा लगातार कम हो रहा है। इसी बीच कुछ ऐसे बागबान हैं,जो अपने दम पर चाय की खेती को सहेज रहे हैं। पेश है पालमपुर से यह हौसलों की उड़ान भरती सक्सेस स्टोरी

कांगड़ा जिला के तहत सुलाह हलके में छोटा सा खूबसूरत गांव है मंघेड़। इस गांव के रहने वाले चंद्रभान बाबला पेंटर का काम करते हैं। बाबला काम भले ही पेंटर का करते हों, लेकिन उन्हें चाय की खेती का शौक रहा है। यही कारण है कि उन्होंने अपने दम पर अब चाय के दो हजार पौधे तैयार कर लिए हैं। अपनी माटी के लिए पालमपुर से सीनियर जर्नलिस्ट जयदीप रिहान ने मंघेड़ गांव का दौरा किया। उन्होंने  सिहोल पंचायत जाकर चंद्रभान बाबला से बात की। बाबला ने बताया कि उन्होंने वन विभाग और चाय विभाग के अधिकारियों से मिलकर यह काम आगे बढ़ाया है। उन्होंने बताया कि दोनों विभागों से सहयोग से यह संभव हो पाया है।  बाबला ने बताया कि दो साल पूर्व उन्होंने जय भारत किसान क्लब के बैनर तले खाली जमीन पर यह प्रोजेक्ट शुरू किया था,जिसका अब शानदार रिजल्ट आ रहा है। अब अधिकतर पौधे अच्छा रूप ले रहे हैं। आज समूचे प्रदेश को बाबला जैसे होनहारों पर नाज है

  रिपोर्टः कार्यालय  संवाददाता, पालमपुर

सीधे खेत से

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