सुनो सरकार…मेरे बेटे का यूं न करो तिरस्कार

कारगिल युद्ध में वीरगाथा लिखने वाले परमवीर चक्र विजेता कैप्टन विक्रम बतरा के पिता तथा उनकी माता कमला बतरा ने सरकार मांग की है कि उनके बेटे की प्रतिमा की हालत दिन-प्रतिदिन खराब हो रही है। शहीद कैप्टन विक्रम बतरा मैदान के निकट लगे इस स्टेच्यू के  मेंटेनेंस या इसे बदलने की गुहार उन्होंने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से की है। हालांकि यह स्टेच्यू सही हालत में है, लेकिन आसपास का मार्बल टूट गया है । इस स्टेच्यू की स्थापना दिसंबर 2000 में की गई थी। उस समय परमवीर चक्र विजेता कैप्टन विक्रम बतरा के स्टैचू के लगाने की मांग उठी थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने इस मांग को  पूरा कर विक्रम बतरा की प्रतिमा शहीद कैप्टन विक्रम बतरा मैदान के निकट स्थापित करवाई थी। प्रतिमा का अनावरण भी उन्होंने ही किया था। 20 वर्ष बीत जाने के बाद अब इस स्टेच्यू के चबूतरे के आसपास का मार्बल उखड़ने लगा है।

सात जुलाई को पिया था शहादत का जाम

बता दें कि कि भारत माता के सपूत विक्रम बतरा ने अपने सैन्य जीवन की शुरुआत छह दिसंबर,1997 को 13 जम्मू-कश्मीर रायफल यूनिट में नियुक्ति पाकर की थी । जब कारगिल युद्ध चल रहा था,  तब टेररिस्ट के भेष में पाकिस्तानी सेना के जवान कारगिल में घुस आए थे। कमांडो ट्रेनिंग खत्म होते ही लेफ्टिनेंट विक्रम बतरा की तैनाती कारगिल युद्ध क्षेत्र में की गई । पहली जून, 1999 में अपनी यूनिट के साथ लेफ्टिनेंट विक्रम बतरा  ने दुश्मन सेना के खिलाफ  मोर्चा संभाल लिया था। अभूतपूर्व वीरता का परिचय देते हुए विक्रम बतरा सात जुलाई, 1999 को वीरगति को प्राप्त हुए थे।