तीन दिन बंद रहेंगे 1200 गत्ता उद्योग, आज से हिमाचल पंजाब-हरियाणा में रहेगी हड़ताल

By: दिव्य हिमाचल ब्यूरो — बीबीएन Dec 6th, 2020 12:06 am

पेपर मिलों की मनमानी से भड़के

पेपर मिलों की मनमानी से बर्बादी की कगार पर पहुंच चुके तीन राज्यों के गत्ता उद्योगों ने रोष स्वरूप सोमवार से तीन दिन के लिए उद्योग बंद करने का ऐलान किया है। इस उद्योग बंदी में पंजाब, हरियाणा हिमाचल के 1200 से ज्यादा उद्योग शामिल होंगे। बता दें कि क्राफ्ट पेपर के दाम में बेतहाशा बढ़ोतरी ने पैकेजिंग उद्योग का दम निकाल दिया है। हालात ये हैं कि कच्चे माल के दामों में हो रहे इजाफे  और ऑर्डर न मिलने से गत्ता उद्योग तालाबंदी की कगार पर पहुंच गया है।

दरअसल पेपर मिलें लगातार क्राफ्ट पेपर की कीमतों में इजाफा कर रही हैं। ऐसे में पहले से ही आर्थिक मोर्चे पर चुनौतियों का सामना कर रहे गत्ता उद्यमियों के लिए उद्योग चलाना महंगा सौदा साबित हो रहा है। इसी कड़ी में तीन राज्यों के गत्ता संचालकों की संयुक्त बैठक में पेपर मिलों की लगातार मनमानी व गत्ते के रेट उद्योगों की ओर से न बढ़ाए जाने पर गत्ता उद्योग बंद करने का फैसला लिया गया है। सोमवार से तीन दिन तक लगातार उद्योग बंद रहेंगे और अगर गत्ते के डिब्बे के रेट उद्योगपतियों ने नहीं बढ़ाए और पेपर मिलों ने अपनी मनमानी पर रोक नहीं लगाई, तो यह बंद आगे बढ़ा दिया जाएगा। गत्ता उद्योगों के इस निर्णय से उद्योगों में पैकेजिंग मैटीरियल की किल्लत होने के आसार है।

उद्यमियों का कहना है कि चार माह के अरसे में ही पेपर मिलों ने अपने पेपर के दाम 40 फीसदी बढ़ा दिए हैं। ऐसे में गत्ता उद्योगपतियों को अपने कारोबार चलाना एक घाटे का सौदा साबित हो रहा है। बैठक में वक्ताओं ने कहा कि पेपर मिल लगातार अपने दाम बढ़ा रही है और उद्योगपति उनके गत्ते के डिब्बे के दाम मसलन तैयार माल के दाम बढ़ाने को तैयार नहीं है। ऐसे में गत्ता संचालक दोनों के बीच में पिस कर रह गए हैं। उद्यमियों ने तय किया है कि गत्ता उद्यमी किसी भी सूरत में अब घाटे में काम नहीं करेंगे।

एकजुट हो जाएं

बद्दी इकाई के प्रधान हेमराज चौधरी ने सभी गत्ता संचालकों से एकजुट होकर अपने गत्ते के डिब्बे के दाम बढ़ाने की बात कही। गत्ता संचालक अशोक राणा ने कहा कि जब तक गत्ता संचालक एकजुट नहीं होंगे, तब तक उनका ऐसे ही शोषण होता रहेगा। कालाअंब इकाई के प्रधान अंकुर गोयल ने कहा कि सभी को एक साथ चलना होगा, तभी पेपर मिलों की मनमानी पर रोक लगेगी। हरियाणा राज्य के रजत गुप्ता व पंजाब इकाई के अध्यक्ष आरके गर्ग ने हिमाचल इकाई का पूरा सहयोग देने की बात कही। परवाणू इकाई के उपप्रधान हेमराज ने गत्ता उद्योग से निकलने वाले वेस्ट का भी रेट बढ़ाने का सुझाव रखा।

स्थायी समाधान ही चाहिए

संयुक्त सचिव रमन अग्रवाल ने कहा कि जब तक स्थायी समाधान नहीं होगा, तब तक ये समस्याएं आती रहेंगी। पंजाब के रोहित नय्यर ने भी तीनों राज्यों को एकजुट होने की बात कही। पालमपुर से विनय डढवाल ने कहा कि सभी को एक साथ उद्योग बंद करने होंगे, तभी कुछ बात बनेगी। वरिष्ठ उपाध्यक्ष राजीव गुल्हाटी ने कहा कि अगर सभी गत्ता संचालक बढ़े हुए रेट से अपना माल बेचें और किसी प्रकार के भाई भतीजवाद के चक्कर में न पड़ें, तो उन्हें अपने कारोबार चलाना आसान हो जाएगा। हिमाचल के पूर्व राज्य अध्यक्ष गगन कपूर ने कहा कि पेपर मिलों के साथ बात करनी होगी और जररूरत पड़ने पर धरना देना पड़े, तो भी तैयार रहना होगा।

उद्योगों से चल रही 50 हजार की रोजी-रोटी

गत्ता उद्योग संघ की हिमाचल इकाई के अध्यक्ष सुरेंद्र जैन ने कहा कि पंजाब-हरियाणा व हिमाचल में करीब 1200 उद्योग हैं, जिसमें करीब 50 हजार लोगों को रोजी रोटी मिल रही है। एक तरफ सरकार कहती है कि चीन के माल का बहिष्कार किया जाए और दूसरी तरफ से चीन के लिए निर्यात खुला रखा है, जिससे पेपर मिल अपने पर चीन को भेज रही है। केंद्र सरकार को चाहिए कि जब पेपर अपने देश में खपत पूरी नहीं हो रही है, तो बाहर भेजने की जरूरत क्यों पड़ी है। इस पर पूरी तरह रोक लगाई जाए।


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