बैजनाथ-पपरोला में टूटा भाजपा का सपना

नगर पंचायत में अध्यक्ष-उपाध्यक्ष को लेकर नेताओं के बिगड़े समीकरण, समर्थकों की अनदेखी पड़ी महंगी

कार्यालय संवाददाता- बैजनाथ

हिमाचल प्रदेश की सबसे बड़ी नगर पंचायत बैजनाथ-पपरोला के अध्यक्ष -उपाध्यक्ष बनाने के सपने भाजपा के दिग्गज नेताओं के विफल हो गए। भाजपा महामंत्री त्रिलोक कपूर, सांसद इंदु गोस्वामी, विधायक मुलखराज राज प्रेमी व प्रदेश सचिव विशाल चौहान की मौजूदगी में पालमपुर में वूल फेडरेशन के कार्यालय में दो दिन पूर्व बनाई रणनीति पूरी तरह से नाकाम रही। उस दिन इन नेताओं ने अध्यक्ष-उपाध्यक्ष बनाने के नामों तक की घोषणा कर दी थी। मगर सोमवार को शपथ ग्रहण समारोह के बाद उनके द्वारा बनाई गई रणनीति पूरी तरह विफल रही।

देखने में यह आया कि भाजपा के पूर्व मंडल अध्यक्ष कर्ण सिंह जम्वाल, युवा मोर्चा के अध्यक्ष रहे अजय राजपूत व पूर्व जिला परिषद के सदस्य रहे तिलक राज की अनदेखी इन भाजपा नेताओं व  बैजनाथ भाजपा मंडल पर भारी पड गई, जिसके चलते उनकी बनाई सारी रणनीति पर पानी फिर गया। गौर करने वाली बात है कि जब विधानसभा चुनाव हुए तो   उस समय कर्ण सिंह जम्वाल बैजनाथ भाजपा के मंडल अध्यक्ष थे। अजय राजपूत युवा मोर्चा के अध्यक्ष थे। बैजनाथ के हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा ने 12226 मतों से जीत हासिल की थी व लोकसभा चुनावों में  30000 से अधिक मतों से जीत हासिल की थी। तिलक राज ने भी विधिवत रूप में  भाजपा का दामन थामा था। तिलक राज का भी अच्छा खासा जनाधार है। आमजन में उनकी पकड़ है। मगर धीरे-धीरे इन तीनों को हाशिये पर धकेल दिया गया। मंडल में उनकी पूरी तरह से अनदेखी की जाने लगी। उस समय से यह गुमनाम हो कर अंदर खाते अपनी रणनीति तैयार करते रहे।

नगर पंचायत के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष के चुनावों में कोरम  पूरा न होने बाद धीरे-धीरे पार्षदों का गायब होना। इस बात का साफ  संकेत है कि भाजपा को यह अनदेखी बहुत महंगी पड़ रही है। उधर, सोमवार को एसडीएम छवि नांटा ने अपने   कार्यालय में सभी 11 पार्षदों को शपथ ग्रहण तो करवाई । बाद में इन्हें कोरम पूरा करने के लिए समय दिया था। अध्यक्ष-उपाध्यक्ष के चुनाव के लिए 11 में से आठ पार्षद होने  चाहिए थे। मगर जैसे  ही शपथ ग्रहण समारोह संपन्न हुआ धीरे-धीरे पार्षद गायब होते नजर आए, जिस कारण कोरम पूरा न होने के चलते  चुनाव नहीं हो सके । अब एसडीएम ने 21 जनवरी को सुबह 11 बजे तिथि निर्धारित  की है। अब देखना यह है कि भाजपा के नेता अब कौन सी रणनीति अख्तियार करते हैं  या पुनः  21 जनवरी को वही स्थिति होती है ।