चतुर दर्जी की कहानी

By: Jan 23rd, 2021 12:20 am

राजा ने तुरंत कुछ चुने हुए सिपाहियों को तैयार होने के लिए कहा व सूखी घास के गट्ठरों का प्रबंध करने का आदेश दिया। राजा खुद इतना अचंभित था कि वह स्वयं भी साथ जाने को तैयार हो गया। गुफा के मुहाने पर पहुंचकर राजा और दर्जी दबे पांव गुफा के भीतर गए। राजा के आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा जब उसने देखा कि नीचे पड़े दैत्य के होंठ सचमुच ही सिले हुए हैं। दैत्य अब भी खर्राटे भर रहा था। राजा ने प्रशंसा के भाव से दर्र्जी की ओर देखा। दोनों मुस्कराए। फिर राजा व दर्जी गुफा से बाहर निकल आए। राजा ने गुफा में घास भर कर उसमें आग लगाने का आदेश दिया ताकि दैत्य जल मरे…

-गतांक से आगे…

‘हां हां, वह बेचारा कैसे नहीं लड़ता? जान सबको प्यारी होती है। उसने लड़ने की कोशिश की तो मैंने उल्टे हाथ का एक करारा थप्पड़ उसे जड़ दिया। वह बेहोश होकर गिर पड़ा। अब वह दो दिन तक नहीं उठ  पाएगा। मुझे कुछ बहादुर सिपाहियों की जरूरत है, जो उस गुफा तक घास के गट्ठ ले जा सकें। गुफा में घास भरकर आग लगा देंगे और दैत्य का क्रियाकर्म हो जाएगा। मैं भी उनके साथ चलूंगा।’’ दर्जी ने छाती फुलाते हुए गर्व से कहा। राजा ने तुरंत कुछ चुने हुए सिपाहियों को तैयार होने के लिए कहा व सूखी घास के गट्ठरों का प्रबंध करने का आदेश दिया। राजा खुद इतना अचंभित था कि वह स्वयं भी साथ जाने को तैयार हो गया। गुफा के मुहाने पर पहुंचकर राजा और दर्जी दबे पांव गुफा के भीतर गए। राजा के आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा जब उसने देखा कि नीचे पड़े दैत्य के होंठ सचमुच ही सिले हुए हैं। दैत्य अब भी खर्राटे भर रहा था। राजा ने प्रशंसा के भाव से दर्र्जी की ओर देखा। दोनों मुस्कराए। फिर राजा व दर्जी गुफा से बाहर निकल आए। राजा ने गुफा में घास भर कर उसमें आग लगाने का आदेश दिया ताकि दैत्य जल मरे।

सिपाहियों ने राजा के आदेश का पालन किया। गुफा में घास ठूंस कर उसमें आग लगा दी गई। घास में आग लगते देर न लगी। सारी गुफा भभक उठी। आग की ऊंची-ऊंची लपटें गुफा से निकल कर ऊपर की ओर लपकने लगीं। और साथ ही सबने गुफा से आती दैत्य की चीख-पुकारो की आवाज सुनी। कुछ ही देर में दैत्य भीतर ही जल-भुनकर राख हो गया। वह बच न सका। राजा दर्जी व सिपाहियों के साथ अपने महल में लौट आया। अपने वीरतापूर्ण कार्य के लिए दर्जी ने बहुत-सा पुरस्कार पाया। उसे सबकी प्रशंसा तो मिली ही, एक समारोह का आयोजन कर दर्जी का नागरिक अभिनंदन किया गया। अभिनंदन में राजा ने भी भाग लिया। जब दर्जी की वीरता का एक मंत्री बखान कर रहा था तो राजा दर्जी की ओर झुका और उसके कान में फुसफुसाया-‘मैंने तुम्हारी वीरता के लिए यथोचित से भी अधिक पुरस्कार दे दिया है। पर वहां गुफा में मैंने जीवन में पहली बार किसी बेहोश पड़े को जोर से खर्राटे लेते देखा।’

(परियों की कथाओं में हम अगले अंक में कई कथाएं लेकर आ रहे हैं, जो रोचकता से भरपूर हैं। आशा है ये कथाएं आपको खूब पसंद आएंगी। न केवल बच्चे, बल्कि युवा और अन्य लोग भी इन कथाओं को पढ़कर आनंद उठा सकते हैं। आप हमारी मैगजीन ‘आस्था’ के साथ  जुड़े रहें तथा एक से अनेक कथाओं का आनंद उठाते रहें।)


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