शांति बनाए रखें किसान, ट्रैक्टर रैली में गणतंत्र दिवस की गरिमा बनाए रखने की कैप्टन की अपील

By: Jan 27th, 2021 12:08 am

निजी संवाददाता— चंडीगढ़

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंदर सिंह ने किसानों से अपील की है कि वे गणतंत्र दिवस पर निकाली जा रही ट्रैक्टर रैली के दौरान शांति और गणतंत्र दिवस की गरिमा बनाए रखें। उन्होंने केंद्र सरकार को एक बार फिर किसान भाईचारे के संकट को सुलझाने के लिए उनकी आवाज़ सुनने की अपील की है। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर सोमवार को यहां जारी संदेश में उन्होंने कहा कि इन संघर्षशील महीनों में अमन-शांति आपके लोकतांत्रिक संघर्ष की मिसाल बनी रही और राष्ट्रीय राजधानी में ट्रैक्टर रैली समेत आने वाले दिनों में आपके आंदोलन के दौरान यही भावना बरकरार रहनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी की सड़कों पर आपके ट्रैक्टर निकलने का दृश्य इस तथ्य का सूचक होगा कि संविधान और हमारे गणतंत्र के सिद्धांतों पर कोई समझौता नहीं हो सकता और न ही इनको अलग किया जा सकता है। यह बड़े दुख की बात है कि हमारा संघीय ढांचा मौजूदा हुकूमत के अधीन सबसे बड़े खतरे का सामना कर रहा है। बिना किसी बहस या विचार-चर्चा के तीन कृषि कानून लागू किए गए, वह ढंग दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में बर्दाश्त करने लायक नहीं।

केंद्र सरकार के पास कृषि जैसे राज्यों से संबंधित विषय पर कानून बनाने का कोई अधिकार है ही नहीं और कृषि कानूनों को लागू करना हमारे संविधान और संघीय ढांचे के सिद्धांत की सरासर उल्लंघना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह एक साझी लड़ाई है, जिसमें उनकी सरकार किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है, का उद्देश्य संविधान के संघीय ढांचे की हिफाज़त करना है। हम हरेक उस किसान के साथ खड़े हैं, जिसके खून-पसीने ने दशकों तक पंजाब की धरती को सींचा है और जिनके बगैर भारत एक आत्मनिर्भर देश नहीं बन सकता था। हरेक मृतक किसान के एक पारिवारिक सदस्य को नौकरी और मुआवज़े के अलावा हम उनके परिवारों को अन्य किसी भी तरह की संभव मदद मुहैया करने के लिए तैयार हैं। भारत सरकार तक अपनी आवाज़ पहुंचाने के लिए दिल्ली की सरहद पर डटे किसानों के परिवारों तक हम अपनी पहुंच जारी रखेंगे। उन्होंने कहा कि केंद्र हठधर्मिता न अपनाती तो आंदोलन टाला जा सकता था और इसके बाद भी काफी देर पहले खत्म हो सकता था। इन कानूनों को रद्द करने से इनकार करने के पीछे कोई उचित वजह नजर नहीं आती और ये कानून भी किसानों और अन्य संबंधित पक्षों के साथ सलाह मशविरा लिए बिना लागू कर दिए गए।


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