बागबानों को नहीं भा रहा मौसम का मिजाज
कार्यालय संवाददाता — पतलीकूहल
इस वर्ष मौसम का मिजाज कुल्लू के बागबानों के चिंता का सबब बन रहा है। जनवरी महीने के समाप्त होने के मात्र शेष छह दिन रह गए हैं, लेकिन अभी तक पर्याप्त रूप से वर्षा व बर्फबारी की दरकार बागबानों के लिए आगामी सेब की फसल के लिए संजीवनी प्रदान नहीं कर पाई है। वैसे भी इस बार बर्फ छह हजार फुट की ऊंचाई वाले क्षेत्रों तक ही सीमित रही। बागबानों को चिंता है कि इस बार खुश्की व नमी की कमी के चलते सेब की फसल के वाछिंत चिंलिंग आवर्ज पूरे नहीं होंगे, जिस तरह से मौसम का मिजाज बना हुआ है। वैसे भी सेब शीतोष्ण कटिंबध क्षेत्र की फसल है लेकिन जिस तरह से मौसम का मिजाज हर वर्ष बदलता जा रहा है उससे सेब में पाये जाने वाले रोग व कीड़े इत्यादि का प्रकोप बढ़ने लगा है।
बागबानी विशेषज्ञों के माने सेब की अच्छी पैदावर व बढि़या क्वालिटी के लिए 1200 से 1600 घंटे चिंलिंग आवर्ज सर्दी के मौसम में चाहिए वह नहीं मिल रहें हैं। अपर कुल्लू के प्रगतिशील बागबानों खेखराम नेगी, जोगराज मंहत, लोकराज भल्ला, नवीन तनवर, पंडित बालकृ ष्ण शर्मा, गोकूल चंद ठाकुर, अनंतराम, सचिन शर्मा, देवेंद्र भल्ला, प्रेम सिंह व करतार इत्यादि बागबानों का कहना है पिछले कई वषर्ोें से घाटी में बर्फबारी व वर्षा की कमी से निरंतर पर इसका कुप्रभाव पड़ रहा है, जिससे सेब की फसल तो प्रभावित हो रही है साथ नई पौध लगाने के लिए भी पर्याप्त नमी है बहरहाल वर्षा की कमी व बर्फबारी का न होना बागबानों की चिंताओं को बढ़ा रहा है।
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